भोपाल | संवाददाताः मध्यप्रदेश सरकार 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती से प्रदेश में एक बड़ी पहल करने जा रही है.
इसके तहत राज्य के जेल अब सुधार संस्थान और इनके अधिकारी सेवा अधिकारी कहलाएंगे.
जेलर बंदियों के लोकल गार्जियन के तौर पर काम करते हुए बंदियों के सुधार, पढ़ाई और आध्यात्मिक विकास की देखरेख करेंगे.
जेल से छूटने के बाद बंदी अपराध की दुनिया में वापस न जाए, इसके लिए सजा काट लेने के बाद भी उनकी देखरेख की जाएगी.
मध्यप्रदेश में 2 अक्टूबर, गांधी जयंती के दिन से मध्यप्रदेश सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह अधिनियम 2024 लागू होगा.
इसके बाद 100 साल पुराना जेल मैन्युअल बदल जाएगा. इसे केंद्र सरकार के मॉडल कारागार अधिनियम 2023 की तर्ज पर तैयार किया गया है.
इसके तहत अब केंद्रीय जेल को केंद्रीय जेल और सुधार संस्थान, जिला जेल को जिला जेल और सुधार संस्थान, उप जेल को उप-कारागार और सुधार संस्थान तथा खुली जेल को खुला सुधार संस्थान कहा जाएगा.
महानिदेशक जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं गोविंद प्रताप सिहं ने कहा कि ‘नाम के साथ भावनाएं भी बदली जा रही हैं. पहले सजा के बाद रेखरेख का कोई प्रावधान नहीं था, लेकिन अब जेल विभाग बंदियों का गार्जियन होगा. उनके सुख-दुख में शामिल होगा. सरकार पूरी सोच बदल रही है, निश्चित तौर पर इससे बदलाव देखने को मिलेगा.’
नए अधिनियम के लागू होने के बाद बंदियों के डाइट चार्ट में भी बदलाव होगा.
रूटीन में डॉक्टर्स की तैनाती जेल में की जाएगी.
जेल में बंदियों के आध्यात्मिक विकास के लिए सेमिनार आदि आयोजित किए जाएंगे.
एआई का उपयोग कर कैदियों की साइकोलॉजी समझी जाएगी, ताकि सुधार किया जा सके.
कैदियों के आयुष्मान कार्ड भी बनवाए जाएंगे, ताकि जेल से बाहर आने के बाद वे अपना बेहतर ट्रीटमेंट करा सके.
मध्यप्रदेश की 132 जेलों में करीब 50 हजार बंदी हैं.
भीड़-भाड़ से निपटने के लिए बैतूल, दमोह, छतरपुर, सागर, भिंड, मंदसौर और रतलाम में नई जेलों का प्रस्ताव बनाया गया है.
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