मुंबई| डेस्कः महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दोनों गुटों को अलग-अलग नया चुनाव चिन्ह देने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की है.
मामले की सुनवाई के लिए 25 सितंबर को होगी.
शरद पवार गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से मांग करते हुए कहा है कि महाराष्ट्र में संभवतः नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए मामले को तत्काल सूचीबद्ध किया जाए.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की शरद पवार गुट की सांसद सुप्रिया सुले ने मीडिया से चर्चा करते हुए कोर्ट से अनुरोध किया है कि एनसीपी के दोनों गुटों के साथ समान व्यवहार किया जाए.
जिस तरह उनकी पार्टी को नया चुनाव चिन्ह दिया गया है, उसी तरह अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट के लिए भी ऐसा ही किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय का भागीदारी केवल प्रतीकों के आबंटन तक ही सीमित नहीं है. पार्टी की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले शरद पवार के नाम और छवि का इस्तेमाल अजित पवार गुट द्वारा राजनीतिक लाभ के लिए नहीं किया जा सकता.
शरद पवार ने साल 1999 में कांग्रेस छोड़ने के बाद पीए संगमा और तारिक अनवर के साथ मिलकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना की थी.
पार्टी को चुनाव चिन्ह के रूप में सिंबल ‘घड़ी’ मिला था.
साल 2023 जुलाई में अजित पवार कई विधायकों के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी छोड़कर शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल हो गए थे, जिससे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में विभाजन हो गया था.
इस साल फरवरी में चुनाव आयोग ने अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह ‘घड़ी’ आवंटित किया था.
इसका शरद पवार गुट ने विरोध करते हुए न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की थी.
इसके बाद लोकसभा चुनाव से पहले 19 मार्च को शीर्ष अदालत ने शरद पवार गुट को अपने नाम के रूप में ‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार’ और चुनाव चिन्ह ‘तुरहा बजाता हुआ आदमी’ दिया था.
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