रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में धान की फसल पर मौसम की दो तरफ़ा मार पड़ी है. राज्य के जिन इलाकों में तेज़ धूप निकली है, वहां किसान तनाछेदक का प्रकोप झेल रहे हैं. वहीं कई इलाकों में तेज़ बारिश के कारण बाली लग चुके धान गिर कर पानी में डूब चुके हैं.
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले पांच-छह दिनों तक राज्य के कई हिस्सों में तेज़ बारिश हो सकती है. इसके लिए यलो अलर्ट जारी किया गया है.
ऐसे में किसानों को इस बात की चिंता सता रही है कि अगर अगले पांच-छह दिनों तक बारिश होती रही और धान की बाली पानी में डूबे रह गए तो फसल पूरी तरह से बर्बाद हो सकती है.
राजनांदगांव, कबीरधाम, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, बालोद और दुर्ग में शनिवार-रविवार को आफ़त की बारिश हुई. जल्दी तैयार होने वाली धान की फसल में बाली आ गई थी. लेकिन तेज़ बारिश के कारण धान के पौधे गिर गए और बालियां पानी में डूब गईं.
जिन इलाकों में बारिश नहीं होने का कम होने के कारण उमस बढ़ी है, वहां धान की फसल में तेज़ी से तना छेदक का हमला हुआ है.
संकट ये है कि किसान तना छेदक पर रोक लगाने के लिए जिन कीटनाशक दवाओं का उपयोग कर रहे हैं, वह भी इन पर बेअसर हो रहे हैं.
किसानों का कहना है कि आम तौर पर तना छेदक का छिड़काव करने के बाद महीने भर तक धान में किसी तरह की समस्या नहीं आती थी. लेकिन अभी हाल ये है कि पंद्रह दिन में किसानों को दूसरी बार छिड़काव के लिए बाध्य होना पड़ रहा है.
बेमेतरा, मुंगेली और खैरागढ़ के कुछ किसानों ने कहा कि पिछले कुछ सालों से राज्य में कीटनाशक के नाम पर फर्जी दवाओं की बिक्री तेज़ी से बढ़ी है. लेकिन इन दवाओं को लेकर होने वाली शिकायत पर कोई ध्यान नहीं देता. ऐसे में नकली दवाओं में किसानों का धन और श्रम, दोनों ही बर्बाद हो रहा है.
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