रायपुर | संवाददाताः राज्य प्रशासनिक सेवा की निलंबित अफसर सौम्या चौरसिया को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जमानत दे दी है. हालाँकि उनकी रिहाई अभी नहीं होगी. जस्टिस सूर्यकांत, और जस्टिस उज्जवल भुईयां की पीठ में सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई.
अदालत ने उनकी रिहाई के लिए कई शर्तें रखी हैं. उन्हें राज्य से बाहर जाने की इजाज़त नहीं होगी. वे एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा दर्ज़ मामले में भी गिरफ़्तार हैं और इस मामले में उन्हें जमानत नहीं मिली है.
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से जमानत के बाद भी उनकी रिहाई नहीं हो पाएगी.
सौम्या चौरसिया और अन्य लोगों पर छत्तीसगढ़ में 540 करोड़ से भी अधिक की अवैध कोयला लेवी की वसूली का आरोप ईडी और आयकर विभाग ने लगाया था.
आरोप है कि राज्य सरकार के अधिकारियों, नेताओं और कारोबारियों ने कोयला परिवहन में प्रति टन 25 रुपये की अवैध वसूली शुरु की थी. इसके लिए ऑनलाइन कोयला परिवहन की अनुमति के नियम तक को बदल दिया गया था.
जो परिवहनकर्ता अवैध पैसा देता था, उसे ही परिवहन की ऑफलाइन अनुमति दी जाती थी.
इस मामले में ईडी ने कांग्रेस नेता और कारोबारी सूर्यकांत तिवारी, आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई, कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल, तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सबसे करीबी अधिकारी सौम्या चौरसिया को गिरफ़्तार किया गया था.
साथ ही सूर्यकांत तिवारी के चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी, खनिज अधिकारी शिवशंकर नाग, राजेश चौधरी और संदीप नायक को आरोपी बनाया था, उनकी गिरफ़्तारी की गई थी.
इसके बाद इन सबके ख़िलाफ़ राज्य सरकार की एंटी करप्शन ब्यूरो ने भी मामला दर्ज कर जाँच शुरू की थी.
तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव सौम्या चौरसिया को 2 दिसंबर 2022 को कोयला लेवी घोटाला और कथित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ़्तार किया गया था.
साल 2008 बैच की राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी 44 साल की सौम्या चौरसिया उसके बाद से ही जेल में बंद हैं.
इस दौरान उन्होंने कई बार जमानत की कोशिश की लेकिन हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने उनकी जमानत याचिका ठुकरा दी गई.
पिछले साल 14 दिसंबर को तो सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगा दिया था.
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