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तिरुपति लड्डू पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा-भगवान को राजनीति से दूर रखा जाए

नई दिल्ली | डेस्क: तिरुपति लड्डू विवाद सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू को कहा कि राजनीति और धर्म को मिलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती. अदालत ने कहा कि जब यह साफ़ ही नहीं है कि जिस घी का उपयोग हुआ, वह शुद्ध नहीं है तो फिर इसे मीडिया में उछालने की क्या ज़रुरत थी?

गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने 19 सितंबर को दावा किया था, कि पिछली सरकार के दौरान तिरुमला लड्डू को बनाने में शुद्ध घी की बजाय जानवरों की चर्बी वाला घी इस्तेमाल किया जाता था.

इस मामले में सुब्रमण्यम स्वामी, राज्यसभा सांसद वाईवी सुब्बा रेड्डी और इतिहासकार विक्रम संपत ने तीन अलग-अलग याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की हैं.

सोमवार को जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की.

सुप्रीम कोर्ट ने चंद्रबाबू नायडू के लिए कहा, ”आप संवैधानिक पद पर हैं. हम उम्मीद करते हैं कि भगवान को राजनीति से दूर रखा जाए. अगर आपने पहले ही जांच के आदेश दे दिए थे तो मीडिया में जाने की क्या ज़रूरत थी? लैब रिपोर्ट जुलाई में आई. आपका बयान सितंबर में आया. रिपोर्ट में भी सब कुछ साफ़ नहीं है.”

सुप्रीम कोर्ट ने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि अब तक ये भी साबित नहीं हुआ है कि जिस घी के बारे में बात हो रही है, वो लड्डू बनाने में इस्तेमाल हुआ भी है या नहीं. आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया कि घी की गुणवत्ता की जांच की जा रही है.

अदालत ने कहा कि आपको फौरन मीडिया में क्यों जाना था? आपको धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना चाहिए. अदालत ने सहा कि आपने स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) बनाई. जांच की रिपोर्ट आने से पहले ही आप मीडिया में क्यों गए? इस मसले पर अगर आप पूरी तरह से पुख़्ता नहीं थे तो आप जनता के बीच क्यों गए. जांच का मकसद क्या है?

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि इस बात के प्रमाण कहां हैं कि यही वो घी है, जिसका लड्डू बनाने में इस्तेमाल हुआ.

आंध्र प्रदेश सरकार की पैरवी कर रहे मुकुल रोहतगी ने कहा कि हमारे पास रिपोर्ट्स हैं.

अदालत ने स्पष्ट कहा कि रिपोर्ट साफ नहीं है. पहली नज़र में ऐसे संकेत मिलते हैं कि ये वो सामग्री नहीं है, जिसे लड्डू बनाने में इस्तेमाल किया गया.आप कह सकते हैं कि टेंडर गलत तरीके से दिए गए, मगर ये कहना कि मिलावट वाला घी इस्तेमाल किया गया… इसके सबूत कहां हैं?

इसके बाद टीटीडी बोर्ड की ओर से पेश हुए वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि लोगों ने लड्डू के ख़राब स्वाद की शिकायत की थी. इस पर अदालत ने कहा कि आपके हिसाब से जिन लड्डू का स्वाद अलग था, क्या वही लड्डू नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड में जांच के लिए भेजे गए थे?

अदालत, तीन अक्टूबर को इस मुद्दे पर सुनवाई करेगा.

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