बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के दूसरे महत्वपूर्ण शहर बिलासपुर के सरकारी अस्पताल में इन दिनों मोबाइल फ़ोन की रोशनी में ऑपरेशन किए जा रहे हैं. असल में अस्पताल में जब बिजली गुल हो जाती है तो डीजल की कमी के कारण, जेनरेटर सेट नहीं चलाया जाता. यही कारण है कि अस्पताल के डॉक्टर अब ऑपरेशन के समय अपना सेलफोन साथ रखते हैं.
ताज़ा मामला सामने आने के बाद ज़िले के कलेक्टर अवनीश शरण ने रिपोर्ट मांगी है.
यह स्थिति तब है, जब हाईकोर्ट ने ज़िले के कलेक्टर को पहले ही चेतावनी दी थी. बिलासपुर के ज़िला अस्पताल की अव्यवस्था पर चीफ जस्टिस बोल चुके हैं कि ऐसे सरकारी अस्पताल का क्या लाभ है ! लेकिन हाईकोर्ट की फटकार के बाद भी स्वास्थ्य व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है.
बिलासपुर के ज़िला अस्पताल में आसपास के ज़िलों से बड़ी संख्या में मरीज आते हैं. लेकिन अस्पताल अव्यवस्थाओं से जूझ रहा है. इसे सुधारने की कोई ऐसी कोशिश भी नहीं हो रही है.
ज़िला अस्पताल और मातृ शिशु अस्पताल में बिजली गुल होने पर जेनरेटर की व्यवस्था है. एक या दो नहीं, दोनों अस्पताल में मिला कर आठ जेनरेटर सेट हैं. लेकिन जेनरेटर सेट में डीजल की व्यवस्था नहीं है. बिजली गुल होने के बाद डीजल मंगाया जाता है.
सोमवार को ऐसी ही स्थिति सामने आई, जब अस्पताल में ऑपरेशन चल रहा था और बिजली गुल हो गई.
हमेशा की तरह पता चला कि जेनरेटर सेट में डीजल नहीं है. डीजल मंगाया जा रहा है.
इसके बाद चिकित्सकों ने मोबाइल फ़ोन की रोशनी में ही ऑपरेशन किया.
डॉक्टरों का कहना है कि यह स्थिति कई बार बनती है. शिकायत भी की जाती है. लेकिन इसके बाद भी जेनरेटर सेट के लिए डीजल की व्यवस्था नहीं की जाती है.
इधर मामला सामने आने के बाद ज़िले के कलेक्टर अवनीश शरण ने कहा है कि पूरे मामले पर सिविल सर्जन से रिपोर्ट मांगी गई है.
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