रायपुर । “महिलाओं के खिलाफ लैंगिक हिंसा और पीड़ित क्षतिपूर्ति से सम्बंधित कानून” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन क़ानूनी मार्गदर्शन केंद्र द्वारा शहर के निजी होटल में किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य यौन हिंसा के कानूनों के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करना और बच्चों की सुरक्षा के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं का आदान-प्रदान करना था।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री सोनल कुमार गुप्ता, सदस्य, छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, ने अपने संबोधन में कहा कि यौन हिंसा के मामलों में कानूनी प्रावधानों की जानकारी बच्चों और महिलाओं के लिए अति आवश्यक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि बच्चों को पोक्सो अधिनियम की जानकारी होना जरूरी है और इसे स्कूलों की शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि वे अपने अधिकारों के बारे में जागरूक हो सकें और किसी भी प्रकार की हिंसा से बचाव कर सकें।
श्री गुप्ता ने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ में बाल सुरक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाने के कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अभी भी इसके प्रभावी कार्यान्वयन में चुनौतियाँ बनी हुई हैं। उन्होंने इस दिशा में कार्य कर रहे विभागों और संस्थाओं की सराहना की। साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के महत्वपूर्ण कार्यों का उल्लेख भी किया ।
कार्यशाला के दौरान विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की एक पैनल चर्चा भी हुई। इस पैनल में स्नेहिल (UNICEF), संजय निराला (DCPO और सहायक प्राध्यापक डॉ. राहुल तिवारी सहित अन्य वक्ताओं ने बच्चों और महिलाओं के कानूनी अधिकारों पर अपने विचार साझा किए और पीड़ितों की सहायता के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा की। इस कार्यक्रम में यौन हिंसा और जाति आधारित हिंसा के मामलों में कानूनी कार्यान्वयन से जुड़ी समस्याओं पर भी विचार-विमर्श हुआ। उपस्थित प्रतिभागियों ने इस मुद्दे पर अपने प्रश्न भी पूछे, जिनका पैनल ने उत्तर दिया।
अंत में, कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन और पीड़ितों के लिए न्याय और मुआवजा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए किया गया।