उज्जैन
कार्तिक पूर्णिमा पर शुक्रवार को गोधूलि बेला में मोक्षदायिनी शिप्रा में दीपदान हुआ। दीपों के आलोक से मां शिप्रा का आंचल आकाशगंगा की तरह दमक उठा। ग्राम नारायणा स्थित स्वर्णगिरी पर्वत भी दीपों से दमका। आसपास के आठ गांव के भक्तों ने दीपदान किया। प्रत्येक घर से 11 दीप प्रज्वलित किए जा रहे हैं। इस्कॉन मंदिर, रामघाट स्थित श्री गणपतेश्वर महादेव मंदिर, चित्रगुप्त घाट पर भगवान चित्रगुप्त सहित विभिन्न स्थानों पर धार्मिक आयोजन हुए।
भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा के मैत्री स्थल ग्राम नारायणा में स्थित स्वर्णगिरी पर्वत वृंदावन स्थित गिरिराज गोवर्धन की तरह ही पूजनीय है। देश-विदेश से हजारों भक्त एकादशी के दिन स्वर्णगिरी की परिक्रमा करने आते हैं। स्वर्णगिरी की परिक्रमा ग्राम चिरमिया स्थित स्वर्णगिरी पर्वत के मुखारविंद से शुरू होती है। भक्त यहां भगवान श्रीकृष्ण व सुदामाजी के चरण चिह्न का अभिषेक, पूजन कर दूध और जलेबी का भोग लगाते हैं। उसके बाद यात्रा प्रारंभ होती है। प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर यहां देव दीपावली मनाई जाती है। शाम को गोधूलि वेला में सैकड़ों भक्त ने दीपदान किया।
भक्तों ने मोक्षदायिनी शिप्रा में किया स्नान
कार्तिक पूर्णिमा पर शुक्रवार को देशभर से आए हजारों श्रद्धालुओं ने मोक्षदायिनी शिप्रा नदी में पर्व स्नान किया। शाम को दीपदान से शिप्रा का आंचल आकाशगंगा की तरह दमक उठा। दूरदराज से आए भक्तों ने कार्तिक मेले में झूले चकरी का आनंद भी लिया। परंपरा अनुसार कार्तिक पूर्णिमा से शुरू हुआ कार्तिक मेला एक माह लगेगा। कार्तिक माह में तीर्थ स्नान व दीपदान का विशेष महत्व है, जो भक्त मास पर्यंत उक्त धार्मिक कार्य नहीं कर पाए उन्होंने पूर्णिमा के दिन शिप्रा स्नान व दीपदान किया।
पर्व स्नान के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालुओं का उज्जैन पहुंचने का सिलसिला शुरू से ही शुरू हो गया था। शुक्रवार को अलसुबह से शिप्रा के विभिन्न घाटों पर स्नान की शुरुआत हुई। देर शाम तक हजारों भक्तों ने मोक्षदायिनी में आस्था की डुबकी लगाई। शाम को देव, ऋषि, पितृ के निमित्त दीपदान किया। पूर्णिमा पर दीपदान करने से पितरों का मार्ग आलोकित रहता और वे अपने वंशजों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
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