आजकल लोगों की लाइफस्टाइल बेहद खराब होती जा रही है। जंक फूड, देर रात तक जगना, घंटों स्क्रीन पर टाइम बिताना, हाइजीन मेंटेन न करने से लोग कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। उन्हीं में से एक कैंसर भी है। कैंसर इन दिनों तेजी से फैलने वाली एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। इसके कई प्रकार होते हैं, जिन्हें शरीर के विभिन्न हिस्सों में होने की वजह से उन्हीं के नामों से जाना जाता है।
सर्वाइकल कैंसर इस गंभीर बीमारी का ऐसा ही एक प्रकार है जो महिलाओं के लिए काफी घातक होता है। आज हम आपको इसके रिस्क फैक्टर्स व बचाव के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं विस्तार से-
आपको बता दें कि सर्वाइकल कैंसर महिलाओं के रीप्रोडक्टिव ऑर्गन को प्रभावित करने वाले पांच गंभीर कैंसर में से एक है। जब कैंसर महिलाओं के सर्विक्स (Cervix) में शुरू होता है, तो इसे सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है। सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) नामक वायरस के कारण होता है। एचपीवी से संक्रमित सभी महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का खतरा होता है।
कुछ बीमारियां बिना किसी खास लक्षण के शरीर में नजर आती हैं। जब तक हमें पता चलता है, तब तक हालत खराब हो जाती है। सर्वाइकल कैंसर भी ऐसी ही एक बीमारी है। यह धीरे-धीरे बढ़ता है, लेकिन अगर हम शरीर के संकेतों को समझें तो इसे जल्दी पहचानकर इलाज किया जा सकता है। आमतौर पर ये बीमारी महिलाओं में 35 की उम्र के बाद देखी जाती हैं।
बार-बार यूरिन आना
सफेद पानी निकलना
सीने में जलन और लूज मोशन
असामान्य ब्लीडिंग
भूख न लगना या बहुत कम खाना
बहुत अधिक थकान महसूस करना
पेट के निचले हिस्से में दर्द या सूजन
अक्सर हल्का बुखार और सुस्ती रहना
सेक्स के दौरान दर्द
सेक्स के बाद खून निकलना
पीरियड्स में सामान्य से ज्यादा खून निकलना
पीठ में लगातार दर्द
योनि में गांठ या मस्से
सर्वाइकल कैंसर का कारण
शरीर में एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) वायरस फैलने की वजह से सर्वाइकल कैंसर की समस्या देखने को मिलती है। इसके अलावा आनुवंशिकता भी इसका प्रमुख कारण है। कई स्टडीज में ऐसा पाया गया है कि फैमिली हिस्ट्री होने पर भी महिलाओं में इस कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। इतना ही नहीं सर्वाइकल कैंसर एक सेक्सुअली ट्रांस्मिटेड डिजीज (एसटीडी) भी है। ऐसे में असुरक्षित यौन संबंध से भी यह बीमारी हो सकती है।
ऐसे करें बचाव
इस गंभीर बीमारी को रोकने के लिए ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) के खिलाफ वैक्सीनेशन करा सकते हैं।
वैक्सीनेशन का सबसे सही समय किसी भी संभावित वायरस से संक्रमित होने से पहले का होता है। ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) के लिए यह समय आमतौर पर प्रारंभिक किशोरावस्था में होता है।
कंडोम का इस्तेमाल सुरक्षित यौन संबंध के दौरान एचपीवी ट्रांसमिशन के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। हालांकि इसकी 100 प्रतिशत गारंटी नहीं है।
फलों और सब्जियों से भरपूर आहार काे डाइट में शामिल करने से भी सर्वाइकल कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है।
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