Budget 2024-25 की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2024 को संसद में बजट भाषण पेश करेंगी. इस बार उनके पिटारे से किसके लिए क्या निकलता है, ये तो उसी दिन पता चलेगा.
इस बार लोकसभा के चुनाव भी होने हैं. ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि 2019 की तरह सरकार इस बार भी नई योजनाओं को हवा दे सकती है. एक और खास बात यह है कि इस बार का बजट चुनाव के चलते अंतरिम बजट होगा.
पूर्ण बजट जब चुनाव का रिजल्ट आ जाएगा तब पेश किया जाएगा. क्या आपने कभी सोचा है कि बजट 1 फरवरी को ही क्यों पेश किया जाता है? मोदी सरकार के कार्यकाल में ये परंपरा आखिर क्यों बदल गई ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूं तो 2014 में सत्ता संभाली, लेकिन बजट से जुड़े नियम कायदों में बदलाव उन्होंने 2016 से शुरू किया. ये वो पहला साल था, जब रेल बजट को आम बजट का हिस्सा बना दिया गया. जबकि 1924 देश में रेल बजट हमेशा अलग से और आम बजट से एक दिन पहले पेश होता था.
इसके बाद दूसरा बड़ा बदलाव आया आम बजट पेश करने की तारीख को लेकर, साल 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश का बजट 1 फरवरी को पेश किया. तब से अब तक ये परंपरा बदस्तूर जारी है. इससे पहले आम बजट को फरवरी महीने के आखिरी दिन पेश किया जाता था. ये परंपरा अंग्रेजों के वक्त से चली आ रही थी.
संसद में पहले बजट सत्र के आखिरी यानी फरवरी में पेश किया जाता था. ऐसे में बजट के प्रावधानों को नए वित्त वर्ष 1 अप्रैल से लागू करना थोड़ा मुश्किल होता था. क्योंकि सरकार के पास समय कम होती. इसी समस्या से निजात पाने के लिए सरकार ने बजट को पेश करने की तारीख 1 फरवरी कर दी. अब नया वित्त वर्ष शुरू होने से पहले सरकार बजट से जुड़ी सभी प्रक्रियाओं को पूरा कर लेती है, जिससे बजट के प्रावधान सही तरह से लागू हो पाते हैं.
पहले इन प्रक्रियाओं और मांगों को पूरा होने में मई-जून तक का समय खिंच जाता था. वैसे इससे पहले एक बार और बदलाव किया गया था. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान 2001 में बजट पेश करने का समय भी बदला गया था. बता दें कि अंग्रेजों के जमाने से बजट शाम 5 बजे पेश होता था. लेकिन उस साल वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बजट सुबह 11 बजे पेश किया और तब से ये परंपरा लगातार चल रही है.