Cabinet Decision ।केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को 12 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों – बेरिलियम, कैडमियम, कोबाल्ट, गैलियम, इंडियम, रेनियम, सेलेनियम, टैंटलम, टेल्यूरियम, टाइटेनियम, टंगस्टन और वैनेडियम के लिए रॉयल्टी दरों को मंजूरी दे दी।
Cabinet Decision।बैठक के बाद जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, इससे सभी 24 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों के लिए रॉयल्टी दरों को तर्कसंगत बनाने की कवायद पूरी हो गई है।
Cabinet Decision।सरकार ने पहले 15 मार्च 2022 को चार महत्वपूर्ण खनिजों: ग्लूकोनाइट, पोटाश, मोलिब्डेनम और प्लैटिनम समूह के खनिजों की रॉयल्टी दर अधिसूचित की थी और 12 अक्टूबर 2023 को तीन अन्य महत्वपूर्ण खनिजों, यानी लिथियम, नाइओबियम और रेअर अर्थ मेटल्स की रॉयल्टी दर अधिसूचित की थी।
महत्वपूर्ण खनिजों का उपयोग सौर पैनलों से लेकर अर्धचालकों और पवन टरबाइनों से लेकर भंडारण और परिवहन के लिए उन्नत बैटरियों तक के उच्च तकनीक वाले उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है। स्मार्टफोन और इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाले चिप्स इन्हीं खनिजों से बनाए जाते हैं। इन खनिजों पर चीन जैसे मुट्ठी भर देशों का एकाधिकार है।
खान एवं खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम , 2023 ने हाल ही में एमएमडीआर अधिनियम की पहली अनुसूची के भाग डी में 24 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों को सूचीबद्ध किया था। संशोधन में प्रावधान किया गया कि इन 24 खनिजों के खनन पट्टे और कंपोजिट लाइसेंस की नीलामी केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी।
रॉयल्टी की दरों को गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद केंद्र सरकार पहली बार इन 12 खनिजों के लिए ब्लॉकों की नीलामी कर सकेगी। इसके अलावा, इन खनिजों की औसत बिक्री मूल्य (एएसपी) की गणना का तरीका भी खान मंत्रालय द्वारा तैयार किया गया है जो बोली मापदंडों के निर्धारण को सक्षम करेगा।
एमएमडीआर अधिनियम की दूसरी अनुसूची विभिन्न खनिजों के लिए रॉयल्टी दरें प्रदान करती है। इसकी मद संख्या 55 में प्रावधान है कि जिन खनिजों की रॉयल्टी दर विशेष रूप से प्रदान नहीं की गई है, उनके लिए रॉयल्टी दर औसत बिक्री मूल्य (एएसपी) का 12 प्रतिशत होगी।
इस प्रकार, यदि इनके लिए रॉयल्टी दर विशेष रूप से प्रदान नहीं की गई है, तो उनकी डिफ़ॉल्ट रॉयल्टी दर एएसपी का 12 प्रतिशत होगी, जो अन्य महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की तुलना में काफी अधिक है। साथ ही, 12 प्रतिशत की इस रॉयल्टी दर की तुलना अन्य खनिज उत्पादक देशों से नहीं की जा सकती।