CBSE बोर्ड के छात्रों के लिए अहम खबर सामने आई है। केंद्रीय माध्यमिक बोर्ड चालू शैक्षणिक वर्ष से कक्षा 6, 7 और 11वीं के लिए नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क पायलेट प्रोजेक्ट लॉन्च करने जा रहा है। इस प्रोजेक्ट का लाभ सीबीएसई छात्रों को मिलेगा।
इस सिस्टम के तहत 9वीं क्लास में पूरे 210 घंटे पढ़ाई करने के बाद छात्रों को 40 से 454 क्रेडिट नंबर मिलेंगे। 1050 घंटे 5 कंपलसरी सब्जेक्ट के लिए दिए जाएंगे। 150 घंटे इंटरनल वैल्यूएशन, फिजिकल एजुकेशन, आर्ट एजुकेशन और वर्क एक्सपीरिएंस के लिए होंगे।
ये क्रेडिट सभी विषयों में परीक्षा पास करने पर ही मिलेगा। साथ ही एक क्लास में सालभर में 75 फीसदी अटेंडेंस अनिवार्य होगी। छात्र को मिलने वाले क्रेडिट एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट में जुड़ते रहेंगे। 9वी के लिए संभावित प्रस्तावित क्रेडिट के मुताबिक, छात्र को 5 सब्जेक्ट्स पास करना होगा। इसमें 2 भाषा और 3 विषय शामिल रहेंगे। इनमें पास होने पर ही छात्रों को क्रेडिट मिलेगा।
जानकारी के लिए बता दें, सरकार ने पिछले साल स्कूल, उच्चतर और व्यावसायिक शिक्षा के निर्बाध एकीकरण को सुनिश्चित करने और छात्रों को पूर्व से अपने ‘क्रेडिट’ जमा करने की अनुमति देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के कार्यान्वयन के तहत प्राथमिक से पीएचडी स्तर तक नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क शुरू किया था।
इसके बाद, CBSE ने भी इसे लागू करने के लिए अपना मसौदा दिशानिर्देश तैयार किया। सीबीएसई ने इस सिस्टम का हिस्सा बनने के लिए सभी स्कूलों को न्योता दिया है। इस संबंध में बोर्ड की ओर से सीबीएसई से संबद्ध सभी स्कूलों को दिशा-निर्देशों की जानकारी दी गई है। बोर्ड ने इसके प्रभाव का टेस्ट, वैल्यूएशन करने के लिए कक्षा 6, 9वीं व 11वीं में इन दिशा निर्देशों के एक पायलट प्रोजेक्ट की योजना बनाई है। सीबीएसई सफल परीक्षण को सुनिश्चित करने के लिए जागरूकता सेशन, एडवाइस प्रोग्राम आयोजित करेगा। इसके साथ ही पायलट प्रोग्राम में शामिल होने वाले स्कूलों को मार्गदर्शन दिया जाएगा।
स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को सीबीएसई द्वारा लिखे पत्र में कहा गया कि, ‘‘सीबीएसई ने मसौदा एनसीआरएफ कार्यान्वयन दिशानिर्देशों को तैयार कर जारी किया, उन पर कई कार्यशालाओं में चर्चा की और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से मंजूरी प्राप्त की। ” पत्र में कहा गया कि इनकी प्रभावशीलता का परीक्षण और मूल्यांकन करने के लिए इन दिशानिर्देशों का प्रायोगिक कार्यान्वयन किया जाना है। सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों में सत्र 2024-2025 के लिए छठी, नौवीं और 11वीं कक्षा में इसे लागू करने की योजना बनाई गई है। सीबीएसई ने कहा कि इस प्रायोगिक कार्यक्रम में रुचि रखने वाले स्कूलों के प्रधानाध्यापक इस बारे में सूचित कर सकते हैं।