जशपुर नगर ।सी सी आर टी उदयपुर राजस्थान प्रशिक्षण में शामिल हुए छत्तीसगढ़ के प्रतिभागी शिक्षक शिक्षिका प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात वापस आ गए हैं “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया” पूरे भारतवर्ष में गूंज रहा राजस्थान उदयपुर में आयोजित “विद्यालयी शिक्षा में हस्तकला कौशल का समावेश” इस विषय पर आयोजित प्रशिक्षण में भारतवर्ष से कुल 14 राज्य के 97 प्रतिभागी उपस्थित हुए।
जिसमें छत्तीसगढ़ से कुल 13 प्रतिभागी शामिल हुए , जिनकी संस्कृति भारत के अन्य राज्यों की संस्कृति के महासंगम से ओत प्रोत होकर आए हैं।
जो छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से हैं। जो वापस आ गये हैं। इस प्रशिक्षण/कार्यशाला में विद्यालयी शिक्षा में हस्तकला को बढ़ावा देने के साथ पढ़ाई में किस प्रकार भारतीय संस्कृति को समाहित किया जाना है ।
जिससे छात्रों में संस्कार और अपने पूर्वजों के धरोहर के प्रति सम्मान का भाव जागरूक हो सके। जशपुर जिले से शामिल शिक्षक मुकेश कुमार ने बताया कि उक्त प्रशिक्षण में विभिन्न हस्तकला जैसे मकरम,बुक बाइंडिंग,पेपर बैग, टाई एंड डाई, मिट्टी के खिलौने बनाना एवम प्राकृतिक अपशिष्ट से खिलौना कैसे बनाकर विद्यार्थियों की क्रिएटिविटी को बढ़ाना आदि विषय पर प्रशिक्षण प्राप्त किया।
साथ ही भारत वर्ष विभिन्न भाषा संस्कृति खान पान रहन सहन वाला देश है, सभी की संस्कृति व गीत को जानने से ही संस्कृति का आदान प्रदान होगा। विभिन्न भाषाओं में गीत भी सीखे जिसको स्कूल में भी सिखाया जाएगा जैसे गुजराती,मराठी,बंगाली ,राजस्थानी,भोजपुरी आदि।
इस प्रशिक्षण में उदयपुर स्थित महाराणा प्रताप से संबंधित स्थल का भी दर्शन कराया गया जैसे मोती मगरी, फतेहसागर झील,लोककला मंडल,शिल्पग्राम, आहड़ म्यूजियम, आदि जो वहां की सांस्कृतिक धरोहर है।
छत्तीसगढ़ से शामिल 13 प्रतिभागी श्रीमती रीतामंडल रायपुर, मिलिंद कुमार यादव शक्ति, सुश्री सोनम तंबोली जांजगीर एवेन्द्र कुमार जायसवाल रायपुर,लकेश्वर दास कोरिया, संजय कुमार साहू बीजापुर , कुंवर सिंह मरकाम धमतरी,श्रीमती इंदू सोनकर दुर्ग, शेष नारायण दुर्ग, अनुभा झा रायपुर,श्रीमती पूर्णिमा यादव दुर्ग, श्रीमती हिमोनी बघेल दुर्ग जिले से शामिल होकर छत्तीसगढ़ की संस्कृति को पूरे भारत वर्ष में संप्रेषित किया। पुरे प्रशिक्षण उपरांत छत्तीसगढ़ की ओर से जशपुर जिले के प्रतिभागी मुकेश कुमार शासकीय प्राथमिक शाला दासडूमरटोली ने कार्यशाला का अनुभव CCRT उदयपुर निदेशक की उपस्थिति में साझा किया और निदेशक महोदय को आश्वत किया कि जो निर्देशन ,प्रशिक्षण आपने दिया है उसे 100% स्कूल में बच्चों को सिखाएंगे जिससे संस्कार युक्त व्यक्तित्व का निर्माण कर सकें। साथ में नई शिक्षा नीति के अनुरूप बच्चों की शिक्षा में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।