Chhattisgarh First CM Chhattisgarh Assembly Election Ajit Jogi First Love
रायपुर. लगभग हर किसी को जीवन में किसी न किसी से एकतरफा प्रेम होता है, जिसे वह बयां नहीं कर पाता. कई बार अपने रंग-रूप या आर्थिक परिस्थिति के कारण इंकार के डर से, लेकिन हर बार यह जरूरी नहीं. कई बार किसी पर भी क्रश यानी एकतरफा प्रेम हो सकता है. छत्तीसगढ़ के पहले सीएम अजीत जोगी को भी एकतरफा प्रेम हो गया था. कॉलेज में पढ़ते-पढ़ाते, आईपीएस या आईएएस एकेडमी में नहीं, बल्कि प्राइमरी स्कूल की टीचर के साथ.
दरअसल, जोगी जब 5 साल के हुए तो उन्हें उनके गृह ग्राम जोगी डोंगरी से एक किलोमीटर दूर ज्योतिपुर के एक मिशन स्कूल में भर्ती कराया गया. यह ऐसा समय था, जब आदिवासी परिवार के बच्चों की डेट ऑफ बर्थ का रिकॉर्ड रखना संभव नहीं था. ऐसे में यह जानना कठिन होता था कि बच्चे की उम्र कितनी है. यह जानने के लिए एक प्रयोग किया जाता था. बच्चे को अपने दाएं हाथ से सिर की ओर से बाईं कान को पकड़ने कहा जाता था. यदि बच्चा कान पकड़ लेता, तब उसे भर्ती किया जाता था.
खैर, जब जोगी का मिशन स्कूल में पहली कक्षा में एडमिशन हो गया, तब उनकी क्लास टीचर का नाम सरोजनी था. सरोजनी एक ईसाई महिला था, जो गोरी और खूबसूरत थी. पहली कक्षा के स्टूडेंट अजीत जोगी को टीचर का चेहरा इतना प्यारा लगता था कि वे दिनभर उसे निहारते रहते थे. वे एकतरफा प्रेम करने लगे. बॉबी िफल्म के ऋषि कपूर की तरह. टीचर के एकतरफा प्रेम में जोगी उनके द्वारा पढ़ाए एक-एक शब्द को याद कर लेते थे.
शर्मीले पर लड़कियों के प्रति था आकर्षण
जोगी वैसे शर्मीले स्वभाव के थे, लेकिन लड़कियों के प्रति बाल आकर्षण था. वह पढ़ाई लिखाई में अच्छे थे, लेकिए क्लास रूम में थोड़ी बदमाशी भी कर बैठते थे, इसलिए टीचर सरोजनी उन्हें दो लड़कियों के बीच बैठने की सजा देती थीं. जोगी को देखकर बाकी साथी हंसते थे और यह देखकर उन्हें और असहज लगता था. हालांकि जोगी का लड़कियों के प्रति आकर्षण भी था. वे जोगी डोंगरी और उनके स्कूल के बीच अमेरिकन मिशनरियों के बनाए छात्रावास की ओर जाते थे और वहां पढ़ने वाली लड़कियों को देखते थे.
और… इस तरह चखा था देसी शराब का स्वाद
जोगी पढ़ने-लिखने में होशियार थे. उनका गांव के मुखिया दयाल सिंह गोंड़ से परिचय था. दयाल सिंह काफी बड़ा था, लेकिन पढ़ने में कमजोर था, इसलिए जोगी की क्लास में था. उसे जोगी नकल कराते थे. इस कारण दोनों में दोस्ती हो गई थी. जोगी को वे अपने घर में खाना खिलाते थे. सुगंधित विष्णु भोग चावल में शुद्ध घी डालकर खाना जोगी को काफी पसंद था. दयाल सिंह को शराब पीने की भी आदत थी. वह जोगी को भी महुए की देसी शराब भी पिलाया करता था. हालांकि कड़ुवाहट के कारण वे ज्यादा पी नहीं पाते थे. जोगी इसे ही शराब की लत नहीं लगने के लिए जिम्मेदार मानते हैं. शराब के कारण दयाल सिंह की जमीन बिकने की स्थिति को भी जोगी समय समय पर अपने भाषण में सुनाते थे.