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CG : आयुर्वेदिक कॉलेज में पूजा के बाद मरीजों का इलाज करते हैं डॉक्टर, धनतेरस पर हुई विशेष पूजा

रायपुर,

धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि को पूजने की परंपरा है। छत्तीसगढ़ में इकलौती आदम कद भगवान की प्रतिमा है। ये प्रतिमा रायपुर में है। हर रोज इनकी पूजा होती है। ये पूजा किसी मंदिर में नहीं बल्कि एक कॉलेज में होती है। हम बात कर रहे हैं रायपुर के आयुर्वेदिक कॉलेज की।

रायपुर जीई रोड NIT के पास इस कॉलेज में डॉक्टर जब कॉलेज में प्रवेश करते हैं, भगवान धन्वंतरि को प्रणाम करते हैं, इसके बाद मरीज का चेकअप करते हैं।

धनतेरस के दिन सुबह यहां विशेष पूजा की गई। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ जीआर चर्तुवेदी, प्रोफेसर डॉ संजय शुक्ला और कॉलेज का पूरा स्टाफ नए कपड़ों में पहुंचा। भगवान धन्वंतरि को कमल अर्पित किए गए।

रोज पूजे जाते हैं सेहत के देवता धन्वंतरि

कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ जीआर चर्तुवेदी ने बताया कि कॉलेज में हर दिन भगवान धन्वंतरि की हम पूजा करते हैं। इसके बाद क्लासेस लगती हैं। कॉलेज के सीनियर प्रोफेसर डॉ संजय शुक्ला ने बताया कि साल 2015 में यहां भगवान की आदम कद प्रतिमा लगी। इससे पहले उनकी एक पेंटिंग थी उसकी पूजा की जाती थी। कॉलेज में ये परंपरा 1955 से ही जारी है। कॉलेज की स्थापना के समय से ही भगवान धन्वंतरि यहां पूजे जाते हैं।

मशहूर स्टैच्यू आर्टिस्ट पद्मश्री नेलसन ने ये प्रतिमा बनाई है। इसमें भगवान धन्वंतरि की चार भुजाएं हैं। इसमें एक भुजा में अमृत कलश, दूसरे में आयुर्वेद ग्रंथ, तीसरे में शंख और चौथी भुजा में गिलोय जो आयुर्वेदिक औषधी को दर्शाता है ।

CM साय ने भी की भगवान धन्वंतरि की पूजा

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपने निवास कार्यालय में आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा की। उन्होंने कहा कि मैंने प्रदेशवासियों के निरोगी और सुखमय जीवन की कामना की ।

धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा

धार्मिक ग्रथों की मानें तो धन्वंतरि की उत्पत्ति उस समय हुई थी, जब समुद्र मंथन हो रहा था। ऐसा माना जाता है कि जब अमृत कलश के लिए समुद्र मंथन किया गया था, तब समुद्र से धन्वंतरि ही अमृत का कलश लेकर बाहर निकले थे। इन्हें देवताओं के वैद्य के रूप में जाना जाता था। इसलिए ही धन्वंतरि को सेहत प्रदान करने वाला देवता माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि धनतेरस वाले दिन धन्वंतरि की पूजा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।

आयुर्वेद दिवस से क्रेज बढ़ा

कॉलेज के प्रोफेसर डॉ संजय शुक्ला ने बताया कि आयुर्वेद दिवस साल 2016 से मनाया जा रहा है। इस दिवस की वजर से लोगों में आयुर्वेद को समझने भगवान धन्वंतरि को जानने का क्रेज बढ़ा। हर साल आयुर्वेद दिवस धनतेरस के दिन ही मनाया जाता है। इस दिन को भारत और दुनिया भर में चिकित्सा के हिंदू देवता धन्वंतरि के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

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