Chhattisgarh Assembly Election 2023
रायपुर. छत्तीसगढ़ में पहले चरण की वोटिंग के लिए अब 4 दिन ही शेष हैं. 7 नवंबर को पहले चरण के लिए मतदान होगा. फिलहाल कांग्रेस और भाजपा के नेताओं का फोकस पहले चरण की सीटों पर है, इसलिए मैदानी इलाकों में ज्यादा रुझान नजर नहीं आ रहा. पहले चरण की वोटिंग के बाद कांग्रेस और भाजपा के साथ-साथ अन्य दलों के संगठन और स्टार प्रचारकों का रुख मैदानी इलाकों में होगा. इससे चुनावी गरमाहट आएगी. फिलहाल जो रुझान सामने आ रहे हैं, उसमें पहले चरण की 5 सीटों को मिलाकर 20 सीटों पर जबर्दस्त मुकाबला होने वाला है. यहां दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है. आइए जानें इन हाई प्रोफाइल सीटों के बारे में…
1. भरतपुर सोनहत – गुलाब कमरो (कांग्रेस) – रेणुका सिंह (भाजपा)
यहां केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह भाजपा की प्रत्याशी हैं. रेणुका पहले राज्य में महिला एवं बाल विकास मंत्री भी रह चुकी हैं. उनका मुकाबला वर्तमान विधायक गुलाब कमरो के साथ है. कमरो को दूसरी बार मौका दिया गया है. इस सीट पर दो बार भाजपा की चंपा देवी पावले विधायक रह चुकी हैं.
2. रामानुजगंज – डॉ. अजय तिर्की (कांग्रेस) – रामविचार नेताम (भाजपा)
छत्तीसगढ़ के पूर्व गृह व पंचायत मंत्री राम विचार नेताम का नाम भाजपा ने आचार संहिता लागू होने से पहले ही घोषित कर दिया था. इस सीट पर बृहस्पत सिंह विधायक हैं, लेकिन उन्हें कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया, बल्कि डॉ. अजय तिर्की को उतारा है. रामविचार नेताम भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं.
3. अंबिकापुर – टीएस सिंहदेव – राजेश अग्रवाल
डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव लगातार तीन बार अंबिकापुर से विधायक चुने गए हैं. तीनों बार उनके सामने भाजपा से अनुराग सिंहदेव थे. इस बार भाजपा ने राजेश अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया है. सिंहदेव सीएम कैंडिडेट भी हैं, इसलिए यहां के समीकरण पर सबकी निगाह है.
4. सीतापुर – अमरजीत भगत – रामकुमार टोप्पो
सीतापुर सीट पर भाजपा कभी नहीं जीती. यहां से खाद्य मंत्री अमरजीत भगत चार बार के विधायक हैं और पांचवीं बार चुनाव मैदान में हैं. भाजपा ने अमरजीत के खिलाफ वीरता पदक प्राप्त एक पूर्व सैनिक को चुनाव मैदान में उतारा है. यही वजह है कि भाजपा ने उन्हें चुनाव मैदान में उतारकर मुकाबले को रोमांचक बना दिया है.
5. रायगढ़ – प्रकाश नायक – ओपी चौधरी
रायपुर कलेक्टर रहते 2018 चुनाव से पहले आईएएस की नौकरी से इस्तीफा देने वाले ओपी चौधरी इस बार रायगढ़ से चुनाव लड़ रहे हैं. यहां से पूर्व मंत्री शक्राजीत नायक के बेटे प्रकाश नायक दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं. चौधरी 2005 बैच के डायरेक्ट रिक्रूटेड आईएएस हैं, इसलिए पूरे देश की आईएएस लॉबी की नजर इस सीट पर है.
6. खरसिया – उमेश पटेल – महेश साहू
यह सीट भी आजादी के बाद से कांग्रेस की ही रही है. यहां से एक बार िफर उमेश पटेल चुनाव मैदान में हैं. उमेश उच्च शिक्षा मंत्री हैं. इससे पहले उनके पिता स्व. नंदकुमार पटेल पांच बार विधायक रहे. इसी सीट से मुख्यमंत्री रहते अर्जुन सिंह उपचुनाव लड़ चुके हैं. छत्तीसगढ़ की राजनीति में यह चुनाव भी केस स्टडी हैं, क्योंकि भाजपा के दिलीप सिंह जूदेव ने सिटिंग सीएम के सामने इतनी मुश्किलें पेश कर दी कि उन्हें कैम्प करना पड़ा था. जूदेव हार गए थे लेकिन हारकर भी शहर में जुलूस निकाला था.
7. कोरबा – जयसिंह अग्रवाल – लखनलाल देवांगन
राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल कोरबा से लगातार तीन बार के विधायक हैं और चौथी बार यहां से चुनाव मैदान में हैं. इस सीट से भाजपा ने पूर्व विधायक लखनलाल देवांगन को उतारा है. देवांगन कटघोरा विधायक रह चुके हैं, लेकिन उन्हें इस बार कोरबा का प्रत्याशी बनाया गया है.
8. लोरमी – थानेश्वर साहू – अरुण साव
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व बिलासपुर के सांसद अरुण साव अपने गृह क्षेत्र लोरमी से उम्मीदवार हैं. भाजपा ने उभरते हुए ओबीसी चेहरे हैं. साथ ही, सीएम कैंडिडेट के रूप में भी देखे जा रहे हैं. इसी सीट के विधायक धर्मजीत सिंह भाजपा में शामिल होकर तखतपुर से चुनाव लड़ रहे हैं. साव के खिलाफ थानेश्वर साहू चुनाव मैदान में हैं. जोगी कांग्रेस प्रत्याशी सागर सिंह बैस ने चुनाव को रोचक बना दिया है, क्योंकि वे मुंगेली के कांग्रेस के जिलाध्यक्ष थे.
9. कोटा – अटल श्रीवास्तव – प्रबल प्रताप सिंह जूदेव – डॉ. रेणु जोगी
जूदेव परिवार के प्रबल प्रताप सिंह जूदेव पहली बार चुनाव मैदान में हैं. जबकि सीएम भूपेश बघेल के करीबी अटल श्रीवास्तव बिलासपुर के बजाय कोटा से चुनाव लड़ रहे हैं. चार बार की विधायक डॉ. रेणु जोगी के जीत के सिलसिले को तोड़ने के लिए अटल और प्रबल दोनों की बड़ी चुनौती है.
10. बिलासपुर – शैलेष पांडेय – अमर अग्रवाल
चार बार के विधायक और भाजपा के तीनों कार्यकाल में मंत्री रहे अमर अग्रवाल को कांग्रेस के शैलेष पांडेय ने 2018 के चुनाव में हराया था. एक बार फिर दोनों आमने-सामने हैं. अमर भाजपा के पितृपुरुष स्व. लखीराम अग्रवाल के बेटे हैं. इस बार अमर फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं तो घर घर जाकर वोट निकालने में शैलेष के पसीने छूट रहे हैं.
11. सक्ती – डॉ. चरणदास महंत – खिलावन साहू
विधानसभा स्पीकर डॉ. चरणदास महंत चुनाव मैदान में हैं. छत्तीसगढ़ में एक मिथक है कि विधानसभा स्पीकर चुनाव नहीं जीतते. इससे पहले गौरीशंकर अग्रवाल, धरमलाल कौशिक और प्रेमप्रकाश पांडेय चुनाव हार चुके हैं. पं. राजेंद्र प्रसाद शुक्ल जीते थे, लेकिन कांग्रेस हार गई थी. यहां से भाजपा ने साहू प्रत्याशी उतारा है.
12. रायपुर पश्चिम – विकास उपाध्याय – राजेश मूणत
छत्तीसगढ़ के किसी विधानसभा क्षेत्र में कितना विकास हुआ है, यह जानना है तो रायपुर पश्चिम सबसे उत्कृष्ट उदाहरण हो सकता है. हालांकि ये काम वर्तमान में नहीं, बल्कि भाजपा शासन काल में हुए थे और राजेश मूणत पीडब्ल्यूडी मंत्री होने के अलावा रायपुर पश्चिम के विधायक थे. इसके बाद भी वे हार गए. अब मूणत और विकास उपाध्याय फिर से आमने-सामने हैं.
13. रायपुर दक्षिण – महंत रामसुंदर दास – बृजमोहन अग्रवाल
बृजमोहन अग्रवाल लगातार सात बार के विधायक हैं. छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद लगातार 15 साल मंत्री रहे. इससे पहले मध्यप्रदेश सरकार में भी मंत्री रहे. राजिम कुंभ की पहचान देश-दुनिया में कराई थी. अब उनके सामने महंत रामसुंदर दास प्रत्याशी हैं. महंत दो बार के विधायक हैं. इस चुनाव में धर्म गुरुओं और संतों की भी नजर है.
14. पाटन – भूपेश बघेल – विजय बघेल – अमित जोगी
सीएम भूपेश बघेल का यह विधानसभा क्षेत्र है, इसलिए यह सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है. प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष रहते हुए भूपेश ने भाजपा के 15 सालों की सरकार का तिलिस्म तोड़कर कांग्रेस की सरकार बनाई. वे पांच बार के विधायक हैं. 2008 में उन्हें उन्हीं के भतीजे विजय बघेल ने हराया था. विजय बघेल अभी सांसद हैं और 2018 के लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा मार्जिन से जीतने वाले सांसद हैं. यहां से पूर्व सीएम अजीत जोगी के बेटे व जनता कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी की उम्मीदवारी ने चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है.
15. रविंद्र चौबे – ईश्वर साहू
रविंद्र चौबे 7 बार के विधायक हैं. वे सीएम भूपेश बघेल के सबसे करीबी हैं. साजा विधानसभा से लगातार 6 बार जीतने के बाद 2013 में उन्हें भाजपा के लाभचंद बाफना ने हराया था, लेकिन 2018 में चौबे फिर जीत गए. िबरनपुर में हिंदू-मुस्लिम विवाद के बाद जो परिस्थिति बनी, उसे देखते हुए भाजपा ने ईश्वर साहू को उम्मीदवार बनाया है. ईश्वर के बेटे की ही विवाद में मौत हुई थी. इस कारण यह सीट नेशनल न्यूज में भी है.
16. कवर्धा – मोहम्मद अकबर – विजय शर्मा
2018 के चुनाव में मोहम्मद अकबर ने सबसे ज्यादा मार्जिन से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बनाया था. वे मंत्री भी हैं. यहां झंडा विवाद को लेकर हिंदू और मुस्लिमों के बीच तनाव की स्थिति बनी थी. इस मामले में विजय शर्मा जेल गए थे. भाजपा ने शर्मा को ही उम्मीदवार बनाया है. यहां भाजपा के फायर ब्रांड हिंदू नेता योगी आदित्यनाथ आ चुके हैं.
17. राजनांदगांव – गिरीश देवांगन – डॉ. रमन सिंह
छत्तीसगढ़ में भाजपा के 15 साल के सीएम और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह की सीट 15 सालों से हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है. इस सीट पर कांग्रेस ने गिरीश देवांगन को प्रत्याशी बनाया है. गिरीश सीएम के करीबियों में से एक हैं.
18. केशकाल – संतराम नेताम – नीलकंठ टेकाम
विधानसभा के डिप्टी स्पीकर संतराम नेताम के खिलाफ भाजपा ने पूर्व आईएएस व कलेक्टर नीलकंठ टेकाम ाके उम्मीदवार बनाया है. टेकाम ने चुनाव से पहले ही इस्तीफा दिया है.
19. कोंडागांव – मोहन मरकाम – लता उसेंडी
मोहन मरकाम कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे और अब मंत्री हैं. एक समय मरकाम का नाम भी सीएम कैंडिडेट के रूप में लिया जा रहा था. यहां से पूर्व मंत्री रहीं लता उसेंडी विधायक हैं. लता भी भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और आदिवासी समाज का महत्वपूर्ण चेहरा हैं.
20. कोंटा – कवासी लखमा – सोयम मुक्का
कवासी लखमा भले ही अक्षर ज्ञान के मामले में कमजोर हैं, लेकिन राजनीति का ज्ञान जबर्दस्त है. यही वजह है लगातार पांच बार से विधानसभा में कोंटा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. उद्योग और आबकारी मंत्री हैं. सीएम के भरोसेमंद नेताओं में से एक हैं. यहां से सोयम मुका भाजपा के प्रत्याशी हैं. वे मैट्रिक पास हैं.