बिलासपुर। आर्थिक अनियमितता करने वाले शिक्षा विभाग के बाबू को निलंबित कर दिया गया है आरोपी बाबू के खिलाफ लोक शिक्षण संचालनालय में शिकायत हुई थी। शिकायत के बाद लोक शिक्षण संचालनालय ने ऑडिट करवाया तब गड़बड़ियों की पुष्टि हुई और फिर सीबीआई के निर्देश पर आज जिला शिक्षा अधिकारी ने बाबू को निलंबित कर दिया है। ज्ञातव्य है कि शिक्षा विभाग के खिलाफ बीईओ ने जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखा था। बावजूद इसके कार्यवाही नही हुई थी। आज डीपीआई से फटकार पढ़ने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी को कार्यवाही करनी पड़ी।
कोटा बीईओ कार्यालय में राजेश कुमार प्रताप लेखापाल के पद पर पदस्थ है। उनके द्वारा 18 लाख रुपए गबन का मामला प्रकाश में आया था। कोटा ब्लॉक में पदस्थ शिक्षक राजकुमार राठौर के सेवानिवृत्त होने के बाद लेखापाल राजेश कुमार प्रताप ने उन्हें एक ही मद से दो दो बार राशि का भुगतान बता गबन कर दिया था। इसके अलावा परिवार कल्याण निधि से 70 हजार दस रुपए, समूह बीमा योजना के नाम से 1 लाख 91 हजार 224 रूपये, अवकाश नगदीकरण के नाम से 6 लाख 75 हजार 392 रुपए, परिवार कल्याण निधि के नाम से 66 हजार 904 रुपए, सामुहिक बीमा योजना के नाम से 1 लाख 77 हजार 179 रुपए, नियम विरुद्ध भुगतान करते हुए राजकीय कोष को आर्थिक क्षति पहुंचाई थी। लाखों रुपए गबन के बावजूद भी आरोपी लेखापाल बेधड़क नौकरी कर रहा था। इसकी शिकायत लोक शिक्षण संचालनालय में हुई थी।
लोक शिक्षण संचालनालय ने जब ऑडिट करवाया तो दागी लेखापाल के द्वारा 18 लाख 56 हजार 91 रुपए की आर्थिक अनियमितता सामने आई। 20 जून को बीईओ ने पत्र लिखकर डीईओ को लेखापाल द्वारा अनियमितता करने की जानकारी दी। अपने पत्र में बीईओ ने बताया था कि संबंधित लेखापाल को पूर्व में भी आर्थिक अनियमितता करने पर स्पष्टीकरण जारी किया गया था एवं जांच भी किया गया है। पर 30 जून को पत्र लिखे जाने के 1 माह पश्चात भी जिला शिक्षा अधिकारी डीके कौशिक ने कोई कार्यवाही नहीं की। डीपीआई से निर्देश मिलने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने कोटा ब्लॉक के विकास खंड शिक्षा कार्यालय में पदस्थ लेखापाल राजेश कुमार प्रताप को निलंबित कर दिया है।
पूर्व में भी ट्रेजरी से हो चुका है 77 लाख रुपए का अनियमित भुगतान
शिक्षा विभाग में आर्थिक अनियमितता का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले बेलतरा हायर सेकेंडरी स्कूल में वर्ष 2018 से 2019 के बीच कैलाश चंद्र सूर्यवंशी, लिपिक निर्मला सिदार और व्याख्याता पुन्नीलाल कुर्रे ने अलग अलग तारीख में एरियर्स के 22 बिल देयक के लिए कोषालय में जमा कर 77 लाख रुपए का अनियमित आहरण करवाया था। जिसके चलते रतनपुर थाने में एफआईआर भी दर्ज हुई थी और आरोपी कर्मचारियों ने अदालत से अग्रिम जमानत भी ले ली है। अब दूसरा मामला गबन का सामने आ गया। दोनों ही मामले में एक चीज समान है वह है कोषालय ( ट्रेजरी)। ट्रेजरी से जहां सामान्य कर्मचारियों को छोटे-छोटे बिल पास करवाने के लिए पसीने छूट जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ शिक्षा विभाग के गवर्नर वाले मामले में देखा जाए तो बड़ी मोटी–मोटी रकम आसानी से पास हो जा रही है । जिसकी भी जांच करवाने की आवश्यकता अधिकारियों को है।