CG NEWS:बिलासपुर।बीते दस पन्द्रह सालो में सरकंडा थाना क्षेत्र में आवास और जनसंख्या तेजी से बड़ी है। जिसमे बाहरी भी अधिक है। कुछ दिनों पूर्व हुई चाकूबाजी और मर्डर की घटनाओं ने थाना सरकंडा पर सबका ध्यान आकर्षित किया है। यह क्षेत्र अब युवा अपराध के बढ़ते मामलों को लेकर एक नई पहचान के रूप में स्थापित होता जा रहा है। जिसकी बड़ी वजह व्यवस्था के जिम्मेदार लोगो ने जो बीते कई सालो में अपराधिक गतिविधियों की खरपतवार को पनपने दिया ।अब वही फसल बन कर लहलहा रही है..। इस क्षेत्र में बढ़ते हुए अपराध की बढ़ती हुई खरपतवार के नई किस्म की फसल को नगर निगम की नीतियों ने खाद और पानी से सींचा भी है..। सियासत से जुड़े कुछ रसूखदारो ने इस खरपतवार को बाजार दिया है। पूरे शहर की तरह सरकंडा इलाक़े में भी पुलिस चुस्त है … क्राइम की ख़बर के बाद पहुंची भी है। लेकिन इस अमन पसंद इलाक़े के लोगों के बीच से अब यह बात भी उठने लगी है कि अपराध को रोकने के लिए भी ठोस पहल ज़रूरी है । नहीं तो यही कहते रह जाएंगे…. ” हज़ूर आते -आते कहीं देर ना हो जाए….!”
नशे के विरुद्ध चल रहे निजात अभियान के कई पोस्टर इस क्षेत्र में आम लोगो को दिखाई देते है। नशेड़ियों को अवैध शराब, नशीली दवाइयां, नशीले इंजेक्शन और गांजा इस क्षेत्र में कहां किस गली ,किस टपरी में मिलेगा इसके लिए किसी पोस्टर की जरूरत नहीं पड़ती नशेड़ी ठिकाना खोज लेते है..।लेकिन थाना सरकंडा की पुलिस और इनके मुखबिरों की पहुंच इन पते ठिकाने तक नही पहुंच पाती है..!
ठीक ऐसे ही गली गली और नुक्कड़ों में चल रहे ठेले खोमचे पर चखना, गिलास, गोगो ,पान गुटखे, चाय ठेले टपरे में खूब फल फूल रहे है। ये सभी नगर निगम और व्यवस्था से जुड़े जिम्मेदार लोगो के संज्ञान में है फिर भी ये दुकानें बेखौफ बिना किसी नीति नियम के चल रही है..। यही वजह है कि सस्ते सुलभ और विवाद के लिए देर रात तक मेले जैसा माहौल महफिल जमाए युवाओं को मिल रहा है..!
सरकंडा थाना क्षेत्र कोई एक दिन या साल भर में युवा अपराध के लिए पहचान स्थापित नही करता हुआ दिख रहा है..। ऐसा माना जा रहा है कि इस आधुनिक शहरी जीवनशैली और सामाजिक परिवर्तनों पर शासन प्रशासन के अंकुश के ढील की वजह से 18 से 21 साल के युवा वर्ग के बीच अपराध में भी वृद्धि देखी जा रही है। इस बढ़ते हुए अपराध के लिए राजनीतिक संरक्षण भी एक बड़ी भूमिका में कुछ मामलों में सामने आया है।
अब तक राज्य की सरकारों ने सरकंडा थाना क्षेत्र के अंतर्गत ही जिले की युवा प्रतिभाओं को सामने लाने के लिए इस क्षेत्र में युवाओं के लिए खेल लिए एक से बढ़ कर एक खेल के मैदान और खेल से जुड़ी कई योजनाएं बनाई है। यह क्षेत्र खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन में जिले से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक प्रतिनिधित्व करता है। लेकिन अब अव्यवस्था का आलम यह है कि रात में शराब खोरी का ये अड्डा बने हुए है यहां शराब खोरी की गवाही बिखरे पसरे हुए पानी के पाउच डिस्पोजल ग्लास देते रहते है। इसके बावजूद भी पुलिस मूक दर्शक बनी हुई देख रही है।
नदिया पार के … व्यवस्था के जिम्मेदार लोग चिंतित तो है लेकिन इनकी चिंता खनिज खनन, रियल स्टेट और निर्माण कार्य के गुण दोष तक सीमित होती जा रही है।ये फिलहाल समझना नही चाहते कि इस क्षेत्र के कुछ युवाओं में अपराध करने की बढ़ती हुई प्रवृत्ति न केवल उनके भविष्य को खतरे में डालती है, बल्कि समाज को भी नुकसान पहुंचा रही है। शहर के स्लम एरिया का बड़ा हिस्सा इस क्षेत्र में होने की वजह से शिक्षा के अभाव में बहुत से युवा सही और गलत के बीच अंतर नहीं कर पा रहे है ..। नशे के सस्ते और सुलभ साधन मौजूद होने की वजह से बहुत से युवाओ में सोचने समझने की कमी आ रही है यह भी एक वजह है कि इस क्षेत्र के कुछ युवा अपराधिक प्रवृत्ति की ओर जा रहे है..।
विडंबना यह भी है कि व्यवस्था के जिम्मेदार लोग समझ ही नही पाए कि जाने अंजाने में इस क्षेत्र में आधुनिकता का प्रभाव सोशल मीडिया और इंटरनेट के माध्यम से बहुत से युवाओं को बरगला रहा है। जिसे इस क्षेत्र की पुलिस आईटी सेल इन पर नजर नहीं रखा पा रहा है। मनो वैज्ञानिक नजरिए से यदि देखा जाए तो सोशल मीडिया में युवाओं के इंस्टाग्राम फेसबुक और इनके वाहनों में या शरीर में बने टैटू के रूप में अपराध की दुनिया की ओर इन्हे खींचने के साधन और माध्यम के संकेत शायद दिखाई दे भी सकते है।
एक आम सी धारणा यह भी बनी हुई है कि पुलिस के पास कोई जादू का डंडा होना चाहिये जिसे डंडा घुमाया जाए और सब ठीक हो जाए । लेकिन यह धारणा भी है कि पुलिस के पास जो डंडा है उससे भी पूरी तरह इकबाल कायम किया जा सकता है। यदि पुलिस भी पूरी ईमानदारी के साथ निष्पक्ष होकर डंडे का जादू चलाएं तब शायद परिस्थियां बदल सकती है। ठीक ऐसे ही व्यवस्था के जिम्मेदार लोग अपने नजरिए को लेकर नही बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा , सजगता और सुविधा के क्षेत्र गुण दोष निकलाने बजाय निष्पक्ष होकर पूरे ईमान के साथ काम करे तब भी परिस्थितियां बदल सकती है।
सरकंडा क्षेत्र में बढ़ते अपराधो ने यहां के लोगो को चिंता में डाल दिया है। धारणा यह भी बन गई है कि जो बीते कई सालों में नहीं हुआ उससे वह आज भी सही होगा मुश्किल लगाता हुआ दिखाई देता है। क्योंकि दस्तूर कुछ ऐसा है कि अवैध गतिविधियों पर नजर जाती नहीं …और घटना होने के बाद पुलिस ठीक से हरकत में आती नही है..। जब हंगामा मंचता है तब तक देर हो चुकी होती है ..