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CG NEWS:छत्तीसगढ़ की लोकसभा सीट, जहां से एक नहीं पांच बार चुने गए निर्दलीय सांसद

CG NEWS:( गिरिजेय ) छत्तीसगढ़ के दक्षिणी इलाके की बस्तर लोकसभा सीट के चुनावी आंकड़े दिलचस्प हैं। यह छत्तीसगढ़ की ऐसी लोकसभा सीट है, जहां से निर्दलीय उम्मीदवारों ने पांच चुनाव में जीत हासिल की  और सांसद चुने गए। 2019 के पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस ने जीत हासिल की थी  ।लेकिन बीजेपी के बलिराम कश्यप ऐसे उम्मीदवार रहे, जिन्होंने लगातार चार बार बस्तर सीट से चुनाव जीता।

बस्तर अनुसूचित जनजाति के लिए रिज़र्व लोकसभा क्षेत्र है। अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से इसकी अपनी अहमियत है। उस दौर के इतिहास पर नजर डालें तो बस्तर लोकसभा सीट 1952 में अस्तित्व में आई। 1952 के पहले लोकसभा चुनाव में ही इस बस्तर लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार मुचकी कोसा सांसद चुनकर गए। इसके बाद 1957 में हुए लोकसभा चुनाव में सुरती किस्टारिया  कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीत कर सांसद बने। लेकिन इसके बाद के आंकड़े दिलचस्प हैं। लगातार तीन चुनाव ऐसे रहे, जिसमें बस्तर लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीते। 1962 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय लखमू भवानी ने जीत हासिल की थी। 1967 में भी निर्दलीय झाड़ू राम सुंदरलाल  बस्तर के सांसद चुने गए। 1971 के लोकसभा चुनाव में भी निर्दलीय उम्मीदवार की हैसियत से चुनाव मैदान में उतरे लंबोदर बलियार ने बस्तर सीट जीत ली थी।

1977 के चुनाव के समय देशभर में परिवर्तन की लहर थी। आपातकाल के तुरंत बाद हुए इस लोकसभा चुनाव में बस्तर सीट से भी जनता पार्टी को कामयाबी मिली थी। उस समय जनता पार्टी की टिकट पर दृगपाल शाह चुनाव जीते थे। 1980 के चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की टिकट पर लक्ष्मण कर्मा बस्तर के सांसद चुने गए। इसके बाद बस्तर सीट में लगातार तीन चुनाव में मनकू राम सोढ़ी कांग्रेस के सांसद चुने गए। मनकू राम सोढ़ी ने 1984, 1989 और 1991 में भी बस्तर सीट से जीत हासिल की थी। 1989 में भी देश में परिवर्तन का दौर था। उस समय बस्तर के मतदाताओं ने कांग्रेस का साथ दिया था। 1996  के चुनाव में फिर बस्तर लोकसभा क्षेत्र का सिनेरियो बदल गया। इस चुनाव में बस्तर टाइगर कहे जाने वाले कद्दावर नेता महेंद्र कर्मा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में सांसद चुने गए।

इसके बाद 1998 के चुनाव से बस्तर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने लगातार कब्जा जमाया। 1998 में बस्तर इलाके के कद्दावर नेता बलिराम कश्यप बस्तर सीट से भाजपा के उम्मीदवार बनाए गए। जिसमें उन्होंने जीत हासिल की। इसके बाद 1999 ,2004 और 2009 में बलिराम कश्यप लगातार बस्तर से सांसद चुने जाते रहे। इस तरह लगातार चार बार बस्तर से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बलिराम कश्यप के नाम पर दर्ज है। उनके निधन के बाद  बस्तर लोकसभा सीट के लिए 2011 में उपचुनाव हुआ । जिसमें भाजपा की टिकट पर दिनेश कश्यप सांसद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी दिनेश कश्यप ने बस्तर सीट से जीत हासिल की थी। 2019 के पिछले लोकसभा चुनाव में बस्तर सीट से कांग्रेस के दीपक बैज ने जीत हासिल की ।  बस्तर सीट पर काफी अरसे के बाद कांग्रेस को जीत मिली । यह भी दिलचस्प है कि 2019 में जब देश में बीजेपी की लहर थी और बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में भी 11 में से 9 सीटे जीत ली थीं , उस समय भी बस्तर के मतदाताओं ने कांग्रेस पर अपना भरोसा जताया था।

बस्तर लोकसभा के अंतर्गत कोडागांव, नारायणपुर, बस्तर, जगदलपुर, चित्रकोट ,दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंटा विधानसभा के क्षेत्र आते हैं । 2023 के पिछले विधानसभा चुनाव में बस्तर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले आठ विधानसभा क्षेत्र में पांच सीटों पर बीजेपी को जीत हासिल हुई थी। जबकि कांग्रेस को विधानसभा की तीन सीटें मिली थी।  लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत बीजेपी को जो विधानसभा सीटें मिली है, उनमें कोंडागांव से लता उसेंडी, नारायणपुर से केदार कश्यप, जगदलपुर से किरण सिंह देव, चित्रकूट से विनायक गोयल, दंतेवाड़ा से चैतराम अटामी शामिल है। इसी तरह बस्तर विधानसभा क्षेत्र से लखेश्वर बघेल, बीजापुर से विक्रम मांडवी और कोंटा से कवासी लखमा कांग्रेस के विधायक हैं । बस्तर लोकसभा क्षेत्र में कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर ,दंतेवाड़ा ,बीजापुर और सुकमा जिले आते हैं। अभिभाजित मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ बनने के बाद बस्तर लोकसभा क्षेत्र के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो इस आदिवासी बहुल इलाक़े में उतार-चढ़ाव के दौर को समझा जा सकता है। इससे यह समझना भी कठिन नहीं है कि बस्तर का चुनावी मुकाबला दिलचस्प रहा है। इन आंकड़ों के बीच से गुज़रते हुए ऐसा माना जा सकता है कि 2024 के चुनाव में भी मुकाबला दिलचस्प होगा।

 

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