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CG NEWS:सरकारी अस्पताल के वॉशरूम में महिला का प्रसव और कमोड में ही बच्चे की मौत… लापरवाही पर पर्दा डालने की कोशिश, सदन में उठा मामला

CG NEWS:रायपुर । किसी सरकारी अस्पताल में इससे बड़ी लापरवाही और क्या हो सकती है कि वहां प्रसव के लिए पहुंची कोई महिला वॉशरूम में जाए….. और कमोड में ही बच्चा पैदा हो जाए……। इतना ही नहीं कमोड में ही अंतिम सांस ले लेकर वह बच्चा दुनिया से विदा हो जाए…। प्रसव के लिए गई महिला खुद भी 2 घंटे वॉशरूम में वॉशरूम में बेहोश पड़ी रहे….। इसके बाद भी इस मामले में जिम्मेदार लोगों को बचाने की कोशिश की जाए  और कामयाब भी हो जाए….। भरोसा नहीं होगा लेकिन यह वाक्या 12 अगस्त 2023 की तारीख पर  छत्तीसगढ़ के जशपुर जिला अस्पताल में हुआ था ।

 

यह मामला मंगलवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा के मौजूदा सत्र में प्रश्न काल के दौरान उठा। मंगलवार को प्रश्न काल में सबसे पहला सवाल महिला एवं बाल विकास से संबंधित था। यह सवाल विधायक श्रीमती गोमती साय ने रखा था। उन्होंने पूछा था कि छत्तीसगढ़ प्रदेश के आंगनबाड़ी केदो की स्थिति में सुधार के लिए शासन की क्या योजनाएं हैं और क्या प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश को कुपोषण से पूर्णतः मुक्त की जाने हेतु सरकार द्वारा क्या कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी जानना चाहा था कि आंगनबाड़ी केदो में बालक – बालिका, गर्भवती शिशुवती माता की संपूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु शासन की ओर से क्या प्रयास किया जा रहे हैं ।

 

महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने इस सवाल का जवाब दिया । एक मंत्री के रूप में विधानसभा में सवाल का जवाब देते हुए यह उनके कार्यकाल का पहला अवसर था। इस मौके पर स्पीकर डॉ. रमन सिंह ने उन्हें शुभकामनाएं भी दीं। श्रीमती गोमती साय के सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि प्रदेश के आंगनबाड़ी केदो की भौतिक संरचना में सुधार के लिए विभागीय बजट में उपलब्ध मरम्मत मद से सक्षम आंगनबाड़ी के तहत आंगनबाड़ी केदों का चरणबद्ध उन्नयन तथा स्थानीय स्तर पर डीएमएफ फंड, नीति आयोग की निधि से आंगनबाड़ी केदों की स्थिति में सुधार की कार्रवाई की जा रही है। हितग्राहियों के स्वास्थ्य एवं पोषण स्थिति में सुधार के लिए योजनाओं के साथ ही कई तरह के प्रयास किया जा रहे हैं। कुपोषित बच्चों के पोषण स्तर में सुधार के लिए विभाग की ओर से आंगनबाड़ी केदो की सेवाओं तथा संबंधित विभाग योजना की जरिए विविध प्रयास किया जा रहे हैं। इनमें पूर्ण पोषण आहार, टीकाकरण, संदर्भ सेवा, स्वास्थ्य जांच, स्वास्थ्य एवं पोषण शिक्षा का लाभ आदि प्रमुख है।

 

विभागीय मंत्री ने यह भी बताया कि आंगनबाड़ी केदो के जरिए दर्ज बच्चों, गर्भवती एवं शिशुवती महिलाओं के स्वास्थ्य एवं पोषण स्थिति में सुधार के लिए कई प्रयास किया जा रहे हैं । विधायक श्रीमती गोमती साय ने कहा कि उत्तर में योजनाओं की जानकारी उन्हें मिली । लेकिन उन्होंने जशपुर जिले की एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना को सामने रखते हुए गंभीर सवाल भी खड़ा किया। उन्होंने कहा कि “मैं मां की पीड़ा को समझ सकती हूं और एक मां का  अपना बच्चा खो जाता है उस पीड़ा को भी मैं समझ सकती हूं…..।” यह घटना इस तरह की है – जब 12 अगस्त 2023 को जशपुर जिला अस्पताल में एक गर्भवती महिला प्रसव के लिए पहुंचती है। डिलीवरी के समय वॉशरूम का उपयोग करने जाती है और वही कमोड में बच्चों को जन्म देती है। उस कमोड में ही बच्चा अंतिम सांस लेता है और शौचालय में ही महिला 2 घंटे तक बेहोश रहती है। उन्होंने कहा कि यह घटना अत्यंत ही निंदनीय और दुर्भाग्य जनक है। उन्होंने कहा कि इस घटना को लेकर उनके मन में बहुत दिनों से पीड़ा थी…। विभाग की बहुत सारी योजनाएं हैं  । लेकिन क्या इस तरह की लापरवाही बरतने वाले लोगों के खिलाफ कार्यवाही का कोई प्रावधान नहीं है। क्या महिला और बच्चों के विकास, सुरक्षा की जिम्मेदारी किसी की नहीं है ।

 

सवाल का जवाब देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी रजवाड़े ने कहा कि महिला का दर्द सभी को समझना चाहिए ।  इस तरह की कोई घटना मेरे पास तक पहुंचेगी तो उस पर कार्रवाई का प्रयास करेंगे। श्रीमती गोमती साय ने कहा कि इस संबंध में  ऐसा नियम बनाया जाना चाहिए, जिससे ऐसी घटनाओं की में दोषी पाए गए लोगों पर सख्त कार्रवाई हो सके। इस मुद्दे पर विधायक राय मुनी भगत ने भी अपनी बात रखी  ।उन्होंने बताया कि 12 अगस्त 2023 को जब इस घटना की जानकारी मिली थी तो सूचना मिलने के तुरंत बाद वे खुद भी अस्पताल पहुंची थी। अगर किसी प्रसव पीड़ित महिला का प्रसव कमोड में हो जाता है और बच्चे की मौत हो जाती है तो इससे पीड़ा दायक बात और क्या हो सकती है। उन्होंने कहा कि उस दिन उन्होंने यह भी देखा कि सारे अधिकारी जो डॉक्टर- नर्स वगैरह उस समय ड्यूटी पर थे , सारे लोग उन्हें बचाने में लगे हुए थे। उन्होंने बताया कि वह करीब 6 घंटे तक उस अस्पताल में रहीं । उस दौरान उन्होंने खुद देखा था कि सारे अधिकारी इस मामले को छिपाने की कोशिश में लगे हुए हैं । पीड़ित व्यक्ति पर भी दबाव बनाया गया। राय मुनी भगत ने कहा कि 2 घंटे तक वह महिला बेहोश रही  ।लेकिन जो लोग उसे समय ड्यूटी पर थे । उन्होंने क्या यह सब नहीं देखा। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। जिससे दोबारा कभी ऐसी घटना ना हो।

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