CG NEWS: ( गिरिजेय ) छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है । जिसमें पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और खासकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रदेश भाजपा के प्रभारी ओम माथुर की अहम भूमिका रही। लेकिन उनकी पूरी चुनावी रणनीति एक सौम्य चेहरे के रूप में अरुण साव के जरिए जमीन पर उतरी। अरुण साव एक तरह से बीजेपी के लिए “लकी” साबित हुए। जिन्होंने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद दिन-रात एक कर चुनावी तैयारी को अंजाम तक पहुंचाया और पार्टी को एक बड़ी जीत हासिल हुई । जाहिर सी बात है कि अरुण साव का चेहरा बीजेपी के काम आया और अब उनके हिस्से में और भी बड़ी जिम्मेदारी आ सकती है।
छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सियासत पर बात करते हुए 5 साल पहले लौटना पड़ता है । जब लगातार 15 साल तक सरकार बनाने के बाद बीजेपी महज 15 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। यह बीजेपी को छत्तीसगढ़ में बड़ा झटका था। और पार्टी के केंद्रित केंद्रीय नेतृत्व के सामने भी बड़ा सवाल था कि आखिर छत्तीसगढ़ में इस तरह के हालात क्यों बने….? हालांकि भाजपा अपनी कार्य शैली के हिसाब से छत्तीसगढ़ में सक्रियता बनाए हुई थी। लेकिन 2018 के बाद से छत्तीसगढ़ बीजेपी ऐसी पहचान नहीं बना पा रही थी, जिसे सक्रियता का नाम दिया जा सके। उस समय की प्रदेश प्रभारी डी.पुरंदेश्वरी ने 2018 के पहले से पार्टी की कमान संभाल रहे तमाम नेताओं को कई टास्क भी दिए। लेकिन आखिर पुरानी टीम दिल्ली को संतुष्ट नहीं कर पा रही थी। इस बीच विधानसभा 2023 के चुनाव नजदीक आते-आते पार्टी ने आखिर बदलाव का फैसला कर लिया। पार्टी ने ओम माथुर के रूप में नया प्रदेश प्रभारी बनाया। साथ ही बिलासपुर के सांसद अरुण साव को प्रदेश भाजपा की कमान सौंपी और नारायण चंदेल को नया नेता प्रतिपक्ष बना दिया।
कायदे से इस फेरबदल के बाद ही बीजेपी ने विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी। ओम माथुर को पहले उत्तर प्रदेश सहित दूसरे राज्यों में चुनाव की राजनीति का सफल रणनीतिकार माना जाता रहा है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में कैंप कर यहां के हालात को समझने की कोशिश की और पूरे प्रदेश में बैठकें लेकर नीचे से ऊपर तक कसावट लाने की शुरुआत की। इसके बाद रायपुर में बेरोजगार नौजवानों की रैली और बिलासपुर में महिलाओं की बड़ी रैली भी आयोजित हुई। इन कार्यक्रमों को मिली जबरदस्त कामयाबी से प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष अरुण साव पर केंद्रीय नेतृत्व का भरोसा भी बढ़ाता गया। इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी छत्तीसगढ़ के चुनावी तैयारियों की कमान ख़ुद संभाल ली। प्रदेश में उनकी आवाजाही का सिलसिला तेज हुआ। करीब हर मौके पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव उनके साथ नजर आते रहे। बल्कि अमित शाह और ओम माथुर की बनाई रणनीति को जमीन स्तर पर उतारने में लगातार अहम भूमिका भी निभाते रहे। उम्मीदवारों के चयन से लेकर छत्तीसगढ़ में प्रचार अभियान के सारे कार्यक्रमों को अंतिम रूप देने में उन्होंने शिल्पकार के रूप में भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आमसभाओं में अपने खास अंदाज में भाषण देकर भी अरुण साव ने अपनी एक अलग पहचान बनाई ।
पार्टी ने उन्हें लोरमी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया। इसके बाद भी पूरे प्रदेश के दौरे पर रहे और लोरमी सीट के चुनाव को लेकर अपने कार्यकर्ताओं की टीम पर भरोसा किया। जहां वे अच्छी बढ़त लेकर चुनाव भी जीत लिए। बीकॉम के बाद एलएलबी की डिग्री हासिल करने वाले अरुण साव बचपन से ही आरएसएस के स्वयंसेवक रहे। उनके पिता अभयराम साव जनसंघ के समय से राजनीति में सक्रिय रहे । जिससे उन्हें परिवार में ही राजनीति का माहौल मिला।अरुण साव भी संघ और बीजेपी की ऐसी पाठशाला से निकले हैं,जहां से पार्टी के कई दिग्गज नेता निकलकर आए हैं। 1990 के बाद उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में सक्रिय रहकर छात्र राजनीति में हिस्सा लिया। जिसमें उन्होंने नगर अध्यक्ष, विभाग प्रमुख, संभाग प्रमुख, प्रदेश सह मंत्री, राष्ट्रीय कार्य समिति सदस्य जैसे कई जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। अरुण साव ने बीजेपी में बूथ स्तर के कार्यकर्ता के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू कर किया। वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष, जिला महामंत्री, जिला उपाध्यक्ष, प्रदेश महामंत्री, प्रदेश उपाध्यक्ष और बाद में भाजपा के राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य बनाए गए । बीजेपी ने उन्हें प्रदेश चुनाव समिति में भी सदस्य नियुक्त किया । पिछले साल अगस्त में उन्हें भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। इसके पहले 2019 के चुनाव में उन्हें बिलासपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया। जिसमें उन्होंने करीब़ एक लाख चालीस हज़ार से अधिक वोट से जीत हासिल की। वकालत के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाते हुए उन्होंने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में उपमहाधिवक्ता की भी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। अरुण साव सोशल इंजीयरिंग के लिहाज़ से साहू समाज से आते हैं और समाज के कई पदों पर रहकर भी काम कर चुके हैं।
छत्तीसगढ़ के चुनाव में सौम्य चेहरे के रूप में अपनी अलग पहचान बनाते हुए अरुण साव अपनी पार्टी के लिए “लकी” साबित हुए। उनकी अगुवाई में बीजेपी ने छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में 54 सीटें हासिल की। अरुण साव बीजेपी की पाठशाला से निकले हुए ऐसे औबीसी नेता हैं, जिन्होंने बूथ स्तर से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक काम किया है और एक सांसद के रूप में भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है। माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में 2023 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अरुण साव की खूबियां को देखते हुए उन्हें जिस तरह प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप गई थी, इसी तरह मौजूदा विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद पार्टी उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपने पर विचार कर सकती है । छत्तीसगढ़ में ओबीसी तबके के बीच पहचान कायम करने के लिए बीजेपी को एक ऐसे ही सौम्य चेहरे की तलाश थी । प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय करते समय उन्हें अरुण साव के रूप में यह चेहरा उन्हें मिल गया था। जिन्होने केन्द्रीय नेतृत्व के सामने अपनी काब़िलियत साबित भी कर दी । अब प्रदेश सरकार की कमान सौंपने के लिए भी यही चेहरा भरोसेमंद नजर आ रहा है तो हैरत की बात नहीं है।अक्सर कहा जाता है कि कई बार इतिहास अपने आप को दोहराता है। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 2003 के चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल कर उस समय के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और सौम्य चेहरे के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले डॉ. रमन सिंह को सीएम की कमान सौंपी थी । क्या इस बार भी इतिहास अपने आपको दोहराएगा…? यह दिलचस्पी से देखा जा रहा है।
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