CG NEWS:बिलासपुर (मनीष जायसवाल )।प्रदेश में शिक्षक से व्याख्याता के पद पर पदोन्नति की प्रकिया बीते दो साल से चल रही है। यह पूरी प्रक्रिया कागजों से बाहर नहीं निकल पाई है। इस पदोन्नति के लिए अब भी कागजी जमा खर्च किए जा रहे है।लेकिन इसमें भी इस बात का विशेष ध्यान नहीं रखा जा रहा है कि व्याख्याता के लिए बीएड की डिग्री अनिवार्य है या नहीं ..! ऐसे कोई आदेश अब तक स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से जारी नहीं हुए है। विभाग से स्पष्ट आदेश जारी नहीं होने पर शिक्षक से व्याख्याता पद पर पदोन्नति की राह देख रहे शिक्षको के बीच भी भ्रम की स्थिति है।जबकि इस मामले में उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ का निर्णय भी आ चुका है। बीते दिनों श्रवण कुमार प्रधान एवं अन्य के मामले में उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ के डिवीजन बेंच में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री रमेश सिन्हा एवं श्री रविंद्र अग्रवाल की अदालत में सुनवाई हो चुकी है। जिसमे शिक्षक के पद से व्याख्याता के पद पर पदोन्नति के लिए केवल बीएड डिग्री धारी शिक्षकों को ही पात्र माना है।
श्रवण कुमार प्रधान एवं अन्य के मामले की पैरवी कर चुके उच्च न्यायालय के अधिवक्ता गोविंद देवांगन इस मामले के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि श्रवण कुमार प्रधान एवं अन्य शिक्षकों की ओर से उच्च न्यायालय के समक्ष छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक एवं प्रशासनिक संवर्ग)भर्ती तथा पदोन्नति नियम 2019 की अनुसूची 4 के सरल क्रमांक 14 में शिक्षक/ प्रधान पाठक प्राथमिक शाला (प्रशिक्षित स्नाकोत्तर) जो कि शिक्षक के पद से व्याख्याता के पद पर पदोन्नति से संबंधित है । जिसमें शिक्षक के पद से व्याख्याता के पद पर पदोन्नति के लिए पात्रता 5 वर्ष का कार्य अनुभव शिक्षक के पद पर होनी चाहिए एवं प्रशिक्षित स्नाकोत्तर होने चाहिए, जबकि भर्ती नियम 2019 में प्रशिक्षित शब्द को कहीं भी परिभाषित नहीं किया गया है , जिसके कारण डीएड डिग्री धारी भी व्याख्याता के पद पर पदोन्नति हेतु पात्र हो जा रहे थे।
जबकि एनसीटीई रेगुलेशन 2014 के अनुसार सीधी भर्ती हो या पदोन्नति हो दोनों ही स्थिति में बीएड अनिवार्य डिग्री है, इसी आधार पर श्रवण कुमार प्रधान एवं अन्य शिक्षकों के द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष शिक्षक भर्ती नियम 2019 की अनुसूची 4 में सरल क्रमांक 14 में दिए हुए प्रशिक्षित स्नाकोत्तर को विलोपित करते हुए बीएड डिग्री धारी को ही पात्र माना जाए करके चुनौती दिया गया था ।जिसमें यह बताया गया कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शिक्षक भर्ती नियम 2019 को बनाते समय एनसीटीई द्वारा न्यूनतम योग्यता के संबंध में दिए गए गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया है, जबकि एनसीटीई द्वारा निर्धारित मिनिमम योग्यता राज्य शासन के लिए बाध्यकारी है और इसके विपरीत कोई नियम या योग्यता राज्य शासन निर्धारित नहीं कर सकता। इसीलिए अनुसूची 4 की सरल क्रमांक 14 में प्रशिक्षित स्नाकोत्तर को विलोपित करते हुए उसके स्थान पर बीएड डिग्री धारी को ही पात्र माना जाए करके याचिका प्रस्तुत किया गया था।
अधिवक्ता गोविंद देवांगन ने इस मामले आगे यह भी बताया कि देश के उच्चतम न्यायालय के द्वारा देवेश शर्मा बनाम संघ मामले में निर्धारित न्याय दृष्टांत जिस पर उच्चतम न्यायालय के द्वारा यह भी निर्धारित किया गया है कि बीएड डिग्री धारी प्राइमरी स्कूल के शिक्षक के लिए अपात्र है..! एवं इस प्रकार डीएड डिग्री धारी व्याख्याता के पद पर पदोन्नति हेतु अपात्र है..। जिस पर उच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई करते हुए यह निर्धारित किया गया कि एनसीटीई द्वारा निर्धारित मिनिमम योग्यता राज्य शासन पर बाध्यकारी है, और राज्य शासन के द्वारा ऐसी कोई नियम या योग्यता नहीं रख सकते जो एनसीटीई के द्वारा निर्धारित योग्यता के विपरीत या उससे अलग हो ..!
इस प्रकार छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा श्रवण कुमार प्रधान एवं अन्य के द्वारा दायर याचिका में यह अभी निर्धारित किया है कि व्याख्याता के पद पर पदोन्नति हेतु केवल बीएड डिग्री धारी ही योग्य एवं पात्र होंगे और डीएड डिग्री धारी व्याख्याता के पद पर पदोन्नति हेतु अपात्र हो जाएंगे।
उच्च न्यायालय के फैसले से यह तो स्पष्ट होता है कि शिक्षक से व्याख्याता के पद पर पदोन्नति के लिए बीएड की डिग्री अनिवार्य है.! ऐसे में व्याख्याता पद के लिए बनाई जा रही वरिष्ठता सूची में डीएड धारी शिक्षकों को जगह दिया जाना और स्कूल शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ की ओर से स्पष्ट आदेश जारी नहीं किया जाना व्यवस्था के जिम्मेदार लोगों की ओर से व्याख्याता पदोन्नति में प्रशिक्षित स्नाकोत्तर बीएड और डीएड के शिक्षकों के बीच भ्रम को बरकार रखता हुआ दिखाई दे रहा है। जो कहीं न कही आगे इस प्रस्तावित पदोन्नति की राह में रोड़ा अटका सकता है ।