CG NEWS:धमतरी (मनीष जायसवाल) । प्रदेश के अधिकांश सरकारी स्कूलों की कक्षा पांचवी से आठवीं तक की पढ़ाई लिखाई खिचड़ी की तर्ज पर कराई जा रही है..।विषयों को मिक्स वेज फ्राई बना दिया गया है। किसी स्कूल में इतिहास पढ़ा हुआ आर्ट्स का स्नातक पास गुरूजी आठवीं का गणित पढ़ा रहा है।तो किसी स्कूल में बायोलाजी का स्नातक पास गुरूजी हिंदी, संस्कृत, इतिहास पढ़ाने को मजबूर है..। क्योंकि पूर्व की सरकार और उनके विद्वान अधिकारियो ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में भर्ती और पदोन्नति के लिए विषय बाध्यता समाप्त कर इस प्रयोग की हांडी को व्यवस्था की काठ पर चढ़ाया है ..! जो अब प्रचलन में है जिसकी वजह से सरकारी मिडिल स्कूलो की नींव कमजोर बन रही है। नई भर्ती पदोन्नति की वजह से आज आलम यह है कि कुछ स्कूलों में चार गणित के शिक्षक हो गए है तो दूसरे स्कूल में चार आर्ट्स के शिक्षक हो गए है। अव्यवस्था को देख अब इस मिक्स वेज खिचड़ी फ्राई की हांडी का विरोध सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक भी कर रहे है।
छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रांतीय प्रवक्ता हुलेश चंद्राकर का कहना है कि स्कूल का रिजल्ट खराब तो शिक्षक और स्कूल दोषी हो जाता है जबकि इसके लिए दोष शासन की नीतियों का होना चाहिए।शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए विषय विशेषज्ञ शिक्षकों से ही शिक्षा व्यवस्था मे क्रांति लाने जोर दिया गया था। हम RTE से विपरित चल रहे है।प्रदेश में शिक्षक वर्ग के लिए विषय बाध्यता समाप्त हो गई है।
हुलेश का कहना है कि आम शिक्षक कुछ भी पढ़ा तो सकता है पर विषय विशेषज्ञ शिक्षक की बराबरी नहीं कर सकता है ।विशेषज्ञ शिक्षक बारीकी के साथ बहुत से तकनिकी पहलुओं को ध्यान में रख कर पढ़ाते है। जो अब शासन की नीतियों की वजह से प्रदेश के शासकीय स्कूलों मे हो नही रहा है।अब मिडिल स्कूलों में अच्छी गुणवत्ता युक्त शिक्षा तभी मिल पाएगी जब छात्रों को विषय विशेषज्ञ शिक्षकों के द्वारा विषय आधारित शिक्षा दी जाएगी।
शिक्षक नेता ने बताया कि पिछली भूपेश सरकार में स्कूल शिक्षा प्रमुख सचिव डा. आलोक शुक्ला के कार्यकाल में यह बड़ा बदलाव हुआ था। शासन ने राजपत्र मे विषय बाध्यता को खत्म किया गया था। वह शिक्षा के अधिकार के नियम के बिल्कुल विपरीत था,वर्तमान सरकार उसे पुनः संशोधन करते हुए विषय शिक्षकों की भर्ती कर छत्तीसगढ़ के गरीब नौनिहालों को शिक्षा का सही अधिकार देने करने पहल की जानी चाहिए ..! अन्यथा प्राइवेट स्कूलों मे पढ़ने वाले बच्चों को विशेष शिक्षा मिलेगी और गरीब,मजदूर के बच्चों को औसत मिलेगी, क्योंकि प्राइवेट स्कूल अपनी गुणवत्ता बनाए रखने विषय शिक्षकों का सहारा लेते आए है। यदि सरकारी स्कूलों मे विषय शिक्षक नही होंगे तों, पुरा शिक्षा का स्तर गिर जाएगा, और गरीब, मजदूर के होनहार बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित होना भी पड़ सकता है। जिसका सारा दोष शिक्षको पर ढाल दिया जायेगा।
शिक्षक नेता हुलेश चंद्राकर का कहना है कि शिक्षा व्यवस्था में आ रही कठनाइयों को देखते हुए प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में आई इस खामी को दूर करने के लिए हम प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से मांग करते है कि प्रदेश में विषय आधारित शिक्षकों की हो भर्ती पदोन्नति होनी चाहिए। विषय युक्त सेटअप के अनुसार स्कूलों का चिन्हांकन कर विषय आधारित युक्ति युक्तिकरण होना चाहिए।