CG NEWS:बिलासपुर ।विधानसभा चुनावों को देखते हुए आचार सहिंता के करीब सत्ता से जुड़े जनप्रतिनिधियों की सबसे बड़ी दिक्कत में है कि उन्हें उनके अपनो को खोने का डर सता रहा है। उनकी सिफारिश का महत्व अब खत्म हो गया है। मैच के अंतिम ओवर में गलत फील्डिंग लगा दी गई। मतलब तो बहुत कुछ साफ है ..!
विकेट को बचाये रखने के लिए बस्तर और सरगुजा के सत्ता से जुड़े कई प्रमुख राजनीतिक ओहदेदारो ने जमीनी हकीकत को देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों के सामने शिक्षक पदोन्नति संशोधन मामले को लेकर राहत देने के लिए जोर आजमाइश की थी लेकिन वह काम नही आई ।
अब सारा मामला स्कूल शिक्षा विभाग से निकल कर राज्य शासन के पास चला गया है।
शासन स्तर पर इस विषय को लेकर जनप्रतिनिधियों के कई पत्राचार भी हुए और चर्चाएं भी हुई पर हासिल किसी को कुछ नहीं हुआ।
कुल मिला कर शिक्षको और शिक्षकों के बने नए मोर्चे को अपनी लड़ाई खुद लड़नी है। शिक्षक पदोन्नति संशोधन मामले में उच्च न्यायालय में सुनवाई की वजह से बहुत से आम नियमित शिक्षकों की सितंबर महीने की तनख्वाह नहीं मिल पाई है।
आलम यह है कि किसी को ईएमआई की चिंता तो किसी को घर खर्च की चिंता अब सताने लगी है। संशोधन का लाभ लिए हुए बहुत से शिक्षक शासन के एक तरफा संशोधित शाला में कार्यमुक्त होने की वजह और कोर्ट के यथास्थिति के आदेश की वजह से न घर के हैं नहीं घाट के है।
बहुत से शिक्षको को समस्या अब स्कूल नही जाने के कारण घर पर रहने की वजह से गहरा गई है। संशोधन की चर्चा चार दिवारी से निकलकर मोहल्ले और परिवार तक पहुंच कर चर्चा का विषय बनी हुई है।
लोगो को जवाब देते देते हुए शिक्षक अब हताशा में सरकार, अधिकारियों और इस सिस्टम कोसते हुए अपनी भड़ास निकाल रहे है। सबकी उम्मीदें न्यायालय के रुख पर टिकी हुई है।
बताया जा रहा है कि तीन हफ्ते गुजर जाने के बाद भी शासन की ओर से अभी तक कोई जवाब नही दिया गया है।शिक्षक पदोन्नति संशोधन मामला सुनवाई के लिए लिस्ट नही हुआ है।
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