CG News/रायगढ़/ जिले में संचालित छात्रावास/आश्रमों में वर्ष 2024-25 हेतु प्रवेशित अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा हेतु रायगढ़ जिले के निजी प्रेक्टिशनरों जिनकी योग्यता एमबीबीएस, बीएएमएस एवं बीएचएमएस डिग्रीधारी चिकित्सकों से एक या एक से अधिक संस्थाओं (छात्रावास/आश्रम)के लिए 31 मई 2024 तक आवेदन पत्र मंगाये गये है। इच्छुक चिकित्सक अपना आवेदन कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास रायगढ़ में निर्धारित तिथि तक कार्यालयीन समय में पंजीकृत डाक से भेज सकते है।
CG News/सहायक आयुक्त आदिवासी विकास कार्यालय, रायगढ़ से प्राप्त जानकारी के अनुसार निजी प्रेक्टिशनर चिकित्सकों को जिले में स्वीकृत 50 सीटर छात्रावास/आश्रमों में प्रवेशित छात्र-छात्राओं के चिकित्सकीय परीक्षण हेतु 750 रुपये प्रति भ्रमण एवं 100 सीटर छात्रावास/आश्रमों में छात्र-छात्राओं के चिकित्सकीय परीक्षण हेतु 1200 रुपये प्रतिभ्रमण मानदेय भुगतान दिया जाएगा। निजी चिकित्सक माह में कम से कम दो बार छात्रावास/आश्रम के छात्रों का स्वास्थ्य परीक्षण करेंगे। साथ ही प्रत्येक छात्रावास/आश्रम के विद्यार्थियों का स्वास्थ्य परीक्षण उपरांत एक स्वास्थ्य पंजी में विवरण दर्ज करेंगे।
इच्छुक निजी चिकित्सक अपने लेटर पेड में आवेदन पत्र के साथ शासकीय/मान्यता प्राप्त मेडिकल कालेज/संस्था से उत्तीर्ण चिकित्सक डिग्री एवं चिकित्सकीय कार्य का सक्षम अधिकारी द्वारा जारी अनुभव प्रमाण-पत्र, निवास प्रमाण-पत्र, रजिस्ट्रेशन प्रमाण-पत्र, स्थायी/अस्थायी मोबाइल नंबर, वर्तमान पता तथा भारतीय स्टेट बैंक के खाता के प्रथम पृष्ठ (जहां फोटो चस्पा हो) एवं पेन कार्ड की छायाप्रति के साथ कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास रायगढ़ में निर्धारित तिथि तक कार्यालयीन समय में पंजीकृत डाक से भेज सकते है।
आवेदन पत्र सीधे कार्यालय में नहीं लिया जाएगा। निर्धारित तिथि के पश्चात प्राप्त आवेदन पत्र मान्य नहीं किए जायेंगे। नये अभ्यर्थी उल्लेखित समस्त दस्तावेज/प्रमाण-पत्र के साथ आवेदन कर सकेंगे तथा वर्ष 2023-24 में अनुबंधित (कार्य कर चुके)अभ्यर्थी अपने लेटर पेड में सामान्य आवेदन पत्र प्रस्तुत कर सकेंगे। निजी चिकित्सकों का चयन जिला स्तरीय चयन समिति के निर्णय द्वारा पात्रता के आधार पर किया जाएगा। चिकित्सकीय कार्य हेतु अनुबंध के संबंध में चयन समिति का निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा। नियमों एवं शर्तो की विस्तृत जानकारी सहायक आयुक्त आदिवासी विकास कार्यालय, रायगढ़ में कार्यालयीन दिवस एवं समय पर संपर्क कर सकते है।
कलेक्टर श्री कार्तिकेया गोयल के निर्देशन एवं जिला पंचायत सीईओ जितेन्द्र यादव के मार्गदर्शन में खरसिया विकासखंड अंतर्गत अंजोरीपाली संकुल के ग्राम छोटे मुड़पार में आंगनबाड़ी से आठवीं तक के बच्चों का सीखना-सिखाना केंद्र में समर कैम्प का आयोजन अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के सहयोग से किया गया। जिसमें प्रतिदिन 20 से 41 बच्चों ने उपस्थिति दर्ज की गई।
सीखना-सिखाना केंद्र के हर दिवस को चार विभिन्न हिस्सों मे बाँटा गया पहला सर्कल टाइम ऐक्टिविटी-इसमें बच्चों के साथ हिन्दी एवं अंग्रेजी के बालगीत को हाव-भाव और अभिनय के साथ रोजाना गाया जाता था एवं उस दिवस में होने वाले क्रियाओं पर बातचीत की जाती थी।
इसमे रोजाना बच्चों के साथ आज की बात भी की जाती थी। इस प्रक्रिया से बच्चों के अंदर अपने आप को सभी के समक्ष बिना किसी हिचक रखने का मौका दिया जा रहा था, जिससे की उनमे आत्मविश्वास बढ़े, साथ ही अभिव्यक्ति की दक्षता का विकास हो सके। दूसरा-भाषा की दुनिया-इसके अंतर्गत स्थानीय कहानी का वाचन, अभिनय, हाव-भाव से किसी टीएलएम के माध्यम से प्रस्तुत करना, हस्तपुस्तिका निर्माण व लेखन हेतु सुझाव, बच्चों से पहले दिन सुनी गई कहानी को पुन: सुनना, उस कहानी में आए शब्दों को लेकर बात करना, इसी तरह की किसी अन्य कहानी का लेखन, रचनात्मक लेखन के अवसर देना, किसी थीम पर लिखना जैसे खेत, तालाब, नदिया, बादल आदि। बच्चों को स्थानीय त्यौहारों के संबंध में व्यक्तव्य देने के लिए आमंत्रित करना एवं उनके स्थानीय परिवेश के संबंध में बनने वाली समझ को परिपुष्ट करना।
इसमे हिंदी एवं गणित दोनों ही भाषा पर विभिन्न गतिविधियों की माध्यम से कार्य किया गया। इससे बच्चों के अंदर बौद्धिक क्षमता का विकास, लेखन कौशल मे विकास, पढऩे-लिखने की क्षमता का विकास, नवीन शब्दों को सीखने की प्रक्रिया को ध्यान दिया गया साथ ही स्थानीय परिवेश से बच्चों को जोडऩे का अभिनव पहल है। तीसरा-गणित के खेल-गणित के अंतर्गत संख्या पूर्व अवधारणा, 1 से 20 तक की संख्याओं को लिखकर उसके ऊपर संख्या अनुसार कंचे या कंकड़ जमाना और संख्या पहचान, जोड़, घटाव, गुणा, आकार एवं स्थानिक समझ, मापन आदि जैसे विभिन्न अवधारणाओं पर विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से कार्य किया गया जैसे की कार्यपुस्तिका, आइ हैव-यू हैव गतिविधि आदि। चौथा-कला की दुनिया- इसके अंतर्गत बच्चों को रचनात्मक तौर पर स्वतंत्र किया गया जिसमे उन्होंने अपने मान की कल्पना को विभिन्न कलाओं द्वारा कागज पर उतारा। जैसे-पत्तों से कलाकारी, सब्जियों से चित्रकारी, रंगीन चावल की कला, मिट्टी का खिलौना निर्माण, अपनी अंगुली और अंगूठे से चित्रकारी, ऑरगामी वर्क, धागे से विभिन्न डिजाइन बनाना, मुखौटा निर्माण कर उस पर नाटक प्रस्तुत करना आदि। अंतिम दिवस बच्चों द्वारा किए गए कार्यों की एक प्रदर्शनी भी रखी गई जिसमे बच्चों के पालक भी शामिल हुए। इस पूरे समर कैम्प के आयोजन में ग्राम के यादराम पटेल का पूरा सहयोग मिला।