CG NEWS:दुर्ग । छत्तीसगढ़ के प्रख्यात साहित्यकार पंडित शेषनाथ शर्मा ” शील ” के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर आयोजित एक कार्यक्रम में दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति दुर्ग के सदस्यों ने सादर स्मरणांजलि दी । इस अवसर पर शील जी के व्यक्तित्व और कृतित्व का स्मरण किया गया ।
कार्यक्रम में अध्यक्ष सरला शर्मा ने शील जी की कविता ” बंदा बैरागी ” का पाठ किया और बताया कि यह कविता 1965 में ” राष्ट्र धर्म ” पत्रिका में प्रकाशित हुई थी । सचिव बलदाऊ राम साहू ने कक्षा दसवीं के पाठ्यक्रम में संलग्न बरवै छंद की व्याख्या और पाठ प्रस्तुत किया । उन्होंने बताया कि बरवै छंद में रचित ” बेटी की बिदाई ” का प्रसारण जून 1975 में आकाशवाणी रायपुर से हुआ था ।
छत्तीसगढ़ के प्रख्यात साहित्यकार पंडित शेषनाथ शर्मा का जन्म वर्तमान जांजगीर जिले में 14 जनवरी 1919 को हुआ था । वे हिंदी, छत्तीसगढ़ी,संस्कृत, बंगला,ओड़िया,मराठी, अंग्रेजी और ऊर्दू – सात भाषाओं के विद्वान थे । उन्हे वास्तु , ज्योतिष ,संगीत के विषय में भी विशेषज्ञता हासिल थी । शील जी गीतकार-गायक भी थे । उनकी आवाज़ में मिठास थी ।उन्होने छत्तीसगढ़ी गद्य साहित्य में डॉ. पालेश्वर प्रसाद शर्मा जी को भी को लिखने के लिए प्रेरित किया था. । तब उन्होने छत्तीसगढ़ी की सबसे पहली कहानी- “नाव के नेह मां “लिखी थी।
पं शेषनाथ शर्मा के दो रचना संग्रह प्रकाशित हुए। जिनमें कविता लता और रवीन्द्र दर्शन शामिल हैं। उनकी रचनाएं अपने समय की स्थापित पत्रिकाओं – सुकवि,राष्ट्रधर्म, अग्रदूत, संगीत सुधा और विशाल भारत में भी प्रकाशित हुईं थी। वे बांगला भाषा के भी विद्वान थे । उन्होने शांति निकेतन से प्रकाशित पत्रिका का संपादन भी किया । सहज – सरल व्यक्तित्व के धनी शील जी की रचनाओं में भी सहजता और सरलता परिलक्षित होती थी । उन्होने प्रवाहपूर्ण भाषा में छंदबद्ध रचनाएं साहित्य समाज को दीं।