CG NEWS:रायपुर । छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र में प्रश्न काल के दौरान एक सवाल के संदर्भ में बिलासपुर के जाने-माने साहित्यकार स्वर्गीय डॉ. पालेश्वर प्रसाद शर्मा जी का भी के नाम का भी उल्लेख आया। उनका नाम विधायक कुंवर सिंह निषाद ने छत्तीसगढ़ की समृद्ध साहित्य परंपरा का जिक्र करते हुए किया था।
विधायक कुंवर सिंह निषाद ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के स्कूलों में छत्तीसगढ़ भाषा में पढ़ाई- लिखाई को लेकर एक सवाल किया था । इसी सवाल के संदर्भ में उन्होंने विधानसभा में कहा कि अगर छत्तीसगढ़ को समझना है तो सबसे पहले छत्तीसगढ़ी को समझना होगा। जिसमें सब कुछ है । जिस तरह पूरे देश के अन्य राज्यों में अपनी-अपनी बोली के हिसाब से पढ़ाई होती है । इसी तरह छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी में होना चाहिए। पूर्व में भूपेश बघेल की सरकार ने घोषणा की थी कि प्राथमिक स्तर की पढ़ाई को हम छत्तीसगढ़ी में कराएंगे।
विधायक कुंवर सिंह निषाद ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ी का व्याकरण बहुत समृद्ध है । छत्तीसगढ़ की विधा से जुड़े बहुत से साहित्यकारों ने काफी साहित्य की रचना की है। उन्होंने महाकाव्य के रूप में प्रणय जी के कृष्ण कथा, खंडकाव्य पंडित सुंदरलाल शर्मा के दान लीला ,गोविंद विट्ठल का जिक्र किया । कहानीकारों में उन्होंने डॉ. पालेश्वर प्रसाद शर्मा की कहानी सुसक झन कुररी सुस्ता ले.. का भी उल्लेख किया। उन्होंने इसी क्रम में केयूर भूषण के मोगरा, पंडित श्याम लाल चतुर्वेदी के भोला बनिस भोलाराम सहित उपन्यास में बंशीधर पांडे, नाटक में पंडित लोचन प्रसाद और खूबचंद बघेल के नाम का भी उल्लेख किया ।इन नामों के उल्लेख के साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि छत्तीसगढ़ में प्राथमिक स्तर की पढ़ाई छत्तीसगढ़ी में होना चाहिए।
विधानसभा में छत्तीसगढ़ की माटी के सपूत बिलासपुर के जाने- माने साहित्यकार डॉ. पालेश्वर प्रसाद शर्मा जी के नाम का उल्लेख आने पर साहित्य प्रेमियों ने गर्व की अनुभूति की। गौरतलब़ है कि डॉ. पालेश्वर प्रसाद शर्मा जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केन्द्रित स्मृति ग्रंथ के प्रकाशन की तैयारी भी चल रही है। छत्तीसगढ़ और बिलासपुर के साहित्यकारों के प्रयास से इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है।