CG NEWS:रायपुर । शिक्षक से व्याख्याता और प्राथमिक स्कूल के हेड मास्टर से व्याख्याता के पद पर पदोन्नति को लेकर हो रही लेट लतीफी से शिक्षक परेशान है।बीते 14 महीने में 12 बार इसके लिए आदेश हो चुके है। शिक्षक पदोन्नति अभी सिर्फ दावा आपत्ति तक सीमित है।जो आधी अधूरी है। हर बार वरिष्ठता सूची में ही कई गलतियां निकल रही है। इसे लेकर कई बार कई शिक्षक संघ आपत्ति दर्ज कर चुके हैं। उसके बाद भी वही ढांक के तीन पात वाली स्थिति है।
राज्य के सबसे बड़े विभाग होने का गौरव स्कूल शिक्षा विभाग के पास है। इस विभाग की खासियत यह है कि योजनाएं तो शाही पुलाव की तर्ज पर बनाई जाती है। लेकिन इसे धरातल पर लाने वाले अधिकारी अपनी कार्य शैली के चलते शाही पुलाव को खिचड़ी में तब्दील कर देते हैं। इसका जीता जागता उदाहरण शिक्षकों की पदोन्नति है…।
प्रदेश में संविलियन के बाद अभी तक जिला स्तर पर सहायक शिक्षकों की प्राथमिक स्कूल के प्रधान पाठक के पद पर पदोन्नति जिला शिक्षा अधिकारियों की ओर हो चुकी है। वहीं सहायक शिक्षकों की शिक्षक के पद पर और शिक्षको की मिडिल स्कूल के प्रधान पाठक के पद पर पदोन्नति संभागीय संयुक्त संचालकों की ओर से हो चुकी है। अब शिक्षक से व्याख्याता और मिडिल स्कूल के हेड मास्टर से व्याख्याता के पद पर इसके अलावा व्याख्याता और मिडिल स्कूल के हेड मास्टर से प्राचार्य के पद पर पदोन्नति
लोक शिक्षण संचालनालय की ओर से की जानी प्रस्तावित है। और यही से वरिष्ठता सूची में गलतियों पर गलतियां निकाल रही है..!
इस विभाग में बरसों से जमे हुए अधिकारी या तो इस कार्य में रुचि नहीं ले रहे या फिर मामला कुछ और ही है। इस बेतरतीब कार्यशैली, लालफीताशाही व कर्मचारी हितों के प्रति उदासीनता से विभाग के लाखों कर्मचारी न केवल आहत हैं, बल्कि उनमें भारी आक्रोश भी फैला है।
इसे लेकर शालेय शिक्षक संघ में कड़ा विरोध भी जताया है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे का कहना कि वर्तमान में प्राचार्य व व्याख्याता पदों पर पदोन्नति के लिए विगत 6 वर्षों से जारी हो रही त्रुटिपूर्ण सूची से ही प्रस्ताव मंगाई गए है, जबकि संगठन ने उक्त सूचियों की सैकड़ों त्रुटियों का प्रमाण सचिव व संचालक सहित जिम्मेदार अधिकारियों को सौंपकर सत्यापन करने व त्रुटि रहित सूची जारी करने की मांग की थी।
शिक्षक नेता वीरेंद दुबे बताते है कि स्कूल शिक्षा विभाग में कार्यरत लगभग एक लाख 80 हजार एल बी संवर्ग के शिक्षकों को उनकी संख्या के अनुपात में पदोन्नति का पद नहीं दिया जा रहा है जो कि एल बी संवर्ग के हितों के प्रति कुठाराघात है।
अभी करीब स्कूल शिक्षा विभाग में पदोन्नति के लगभग 40 हजार संस्था प्रमुख व शिक्षकीय पद रिक्त हैं। व्याख्याता व प्राचार्य के रिक्त पदों पर 7 वर्षों से पदोन्नति नहीं दी गई है, जबकि फीडिंग कैडर के लाखों कर्मचारी बेसब्री न केवल पदोन्नति की प्रतीक्षा कर रहे हैं बल्कि पदोन्नति से वंचित रहते हुए सेवानिवृत्त भी हो रहे हैं। विभाग में आलम यह है कि स्थानांतरण, युक्तियुक्तकरण,नई नई योजनाएं बनाने आदि में तो भारी रुचि ली जाती है, भले ही उसमें भर्राशाही व्याप्त होकर भारी अव्यवस्था फैल जाए, लेकिन कर्मचारी हितैषी पदोन्नति जैसे कार्यों में विभाग की नीयत पर प्रश्नचिन्ह है।
इसी मामले में छत्तीसगढ़ राज्य व्याख्याता पदोन्नत समिति के प्रदेश संचालक मुकुन्द उपाध्याय का कहना है कि बस्तर और सरगुजा संभाग की सूची में सैकड़ों कमियां हैं, बार बार दावा आपत्ति और सीआर मंगाया जाता है फिर भी निराकरण नही होने से प्रदेश के पदोन्नति योग्य शिक्षको में हताशा के साथ आक्रोश भी है। आखिर सिस्टम के ऐसी कौन सी खामी आ गई जो इस सूची बनाने में बार बार गलतियां सामने आ रही है। इस विषय मे हम सोमवार को मुख्यमंत्री और ,शिक्षा सचिव व संचालक से मिलकर समस्या से अवगत कराएंगे।