CG NEWS:बिलासपुर (मनीष जायसवाल ) । विष्णु देव साय की सरकार में अब स्कूलों के युक्ति युक्तकरण की प्रकिया से शिक्षक विहीन स्कूलों और एकल शिक्षकिय स्कूलों के अच्छे दिन आने वाले है..। शिक्षको की कमी की समस्या से निपटने के लिए अब राज्य स्तर पर बड़े पैमाने में तीनों शिक्षक संवर्ग में युक्ति युक्तकरण की प्रक्रिया को लेकर तैयारियां चल रही है। यह प्रक्रिया एक प्रकार का प्रशासनिक ट्रांसफर या प्रशासनिक सर्जरी ही है..! जिसमें बड़ी संख्या में अतिशेष और व्यवस्था के तहत अटैच किए हुए शिक्षको को उनकी सुविधा जनक स्कूलों से हटा कर शिक्षक विहीन स्कूलों और एकल शिक्षकिय स्कूलों में भेजा जाने वाला है। लेकिन साय सरकार की यह महत्वपूर्ण योजना अपने साथ विवाद भी ला सकती है। युक्ति युक्तकरण की प्रकिया के नियम कायदे आने से पहले ही शिक्षक संघ मांग कर चुके है कि पहले पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी की जाए उसके बाद युक्ति युक्तकरण किए जाए।
इस प्रक्रिया में विवाद की चिंगारी उठने के कई कारण है…। जिसमे सबसे प्रमुख स्कूल शिक्षा विभाग की अब तक की कार्य शैली है..। इसके बाद बारी आती है नियम कायदों की तो इसमें बेहद महत्वपूर्ण प्रश्न है कि युक्ति युक्तकरण में कौन से स्कूल सेटअप का पालन किया जाएगा..। इसके अलावा बेहद कम दर्ज संख्या वाले एक ही गांव या शहर के स्कूलों को यदि मर्ज किया जाएगा तो उसका भी आधार क्या होगा..। एक ही ग्राम या निकाय के आस पास वाले स्कूल जो ट्राइबल और एजुकेशन में है उसका क्या होगा..। सेवा निवृत होने वाले या हो चुके सहायक शिक्षक से लेकर व्याख्याता जिन्हें शिक्षा सत्र तक पुनर्नियुक्ति दी गई है उन स्कूलों पर इस प्रक्रिया का क्या प्रभाव होगा…। मिडिल स्कूलों में युक्ति युक्तकरण सिर्फ दर्ज संख्या या फिर दर्ज संख्या और विषय दोनो पर आधारित होगा…। मिडिल स्कूल में विषय बाध्यता पर क्या फैसला होगा..! मिडिल स्कूलों में ही बस्तर और सरगुजा संभाग में नई नियुक्ति वाले शिक्षको पर यह नियम लागू होगा या नहीं …। युक्ति युक्तकरण की शुरुवात सबसे पहले शहर से होगी या ग्रामीण क्षेत्र से होगी। युक्ति युक्तकरण संकुल से संकुल और ब्लॉक तक ही सीमित होगा या इसका दायरा अंतर जिला तक बढ़ेगा ..! बीएड और डीएलएड विवाद से जुड़े कई स्कूलों के सहायक शिक्षको के स्कूलों को भी युक्ति युक्तकरण में रखा जायेगा और इस पूरी प्रकिया के पारदर्शी माप दंड क्या होंगे। ऐसे कई सवाल है। जो अभी से चर्चाओं में है।
इस बात में दो मत नहीं है कि प्रदेश के शहरी क्षेत्र और उसके नजदीकी स्कूलों में अतिशेष शिक्षकों की संख्या सबसे अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों के दूर दराज इलाको में शिक्षको की कमी है..। इसकी एक वजह शहरी क्षेत्र में बहुत से अतिशेष रसूखदार शिक्षक है जो भारी गुणा भाग करके ये शहर और इसके आसपास के स्कूल में डटे हुए हैं और इनमें से कुछ इस प्रक्रिया के विवाद की चिंगारी में आग भड़काने का काम कर सकते है ..! यदि ऐसा हुआ तो ऐसी परिस्थितियों से निपटने में अधिकांश जिला शिक्षा अधिकारी नाकाम हो भी सकते है…।शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं का जमीनी स्तर पर ठीक ढंग से क्रियनावन नही कर पाने के कई उदाहरण भरे पड़े है। फिर इस कार्य को पूरा करने का नोडल या प्रमुख कौन होगा ..? और ये किन कड़े निर्देशों के आधार पर कार्य करेंगे ..!
क्या इस बार शिक्षको की युक्ति युक्तकरण की पूरी प्रक्रिया में गलती की गुंजाइश नहीं होने का अनुमान है ..! क्योंकि शिक्षा विभाग के भार साधक मंत्री के रूप में खुद मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के हाथ में इस टीम की कमान है। उन्होंने विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन एक सवाल का जवाब देते हुए बताया था कि प्रदेश में शिक्षको की कमी तो है। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर औसत शिक्षकों के मामले में छत्तीसगढ़ बेहतर स्थान पर है देश में 26 बच्चों पर एक शिक्षक औसत माना गया है लेकिन छत्तीसगढ़ में 21 बच्चों पर है एक शिक्षक है..! शिक्षको की कमी की समस्या से निपटने के लिए अब राज्य में युक्ति युक्तकरण की प्रक्रिया शुरू की गई है ..! इसके बाद शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। कुल मिलाकर इस बार स्कूल शिक्षा विभाग के लिए भी यह परीक्षा का दौर है। इस युक्ति युक्तकरण की सफल प्रक्रिया से भविष्य में बहुत कुछ तय होगा।