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Contract Employees Regularization : हजारों संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की कवायद तेज

Contract Employees Regularization।संविदा कर्मचारियों के लिए चुनाव के समय में कई वादे और दावे किए जाते हैं, लेकिन सरकार बनने के बाद इन लोगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।

Contract Employees Regularization।संविदा कर्मचारी नियमितीकरण सहित अन्य मांगों को लेकर लगातार लड़ाई दिखते हैं। कभी बड़े अधिकारियों और सरकार के जिम्मेदारों के पास आवेदन-निवेदन तो कभी कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते हैं, फिर कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाता है।

Contract Employees Regularization।इसी बीच अब उत्तराखंड के संविदा कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर सामने आई है। हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद अब शासन स्तर पर नियमितीकरण की कवायद तेज हो गई है।

दरअसल, उतराखंड में 15 हजार से ज्यादा संविदा, आउटसोर्स, दैनिक वेतन, कार्यप्रभारित, नियत वेतन, अंशकालिक, तदर्थ, उपनल कर्मचारी है। अब इनके मन में एक बार फिर पक्की नौकरी की आस जग गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि 024 की कट ऑफ डेट मानते हुए 10 साल नियमित सेवा वालों को पदों की उपलब्धता के हिसाब से नियमित किया जाएगा। प्रदेश में वर्ष 2013 से पूर्व तक संविदा, आउटसोर्स कर्मचारियों के नियमितीकरण का कोई प्रावधान नहीं था। ।दैनिक वेतन, कार्यप्रभारित, संविदा, नियत वेतन, अंशकालिक तथा तदर्थ रूप में नियुक्त कार्मिकों का विनियमितीकरण नियमावली 2013 आई थी, जिसमें कर्मचारियों के लगातार 10 साल की सेवा को आधार बनाकर नियमित करने का प्रावधान किया गया था।

Contract Employees Regularization।लेकिन, यह नियमावली विवादों में आ गई और हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। इसके बाद हरीश रावत सरकार में दोबारा कवायद शुरू की गई और 2017 में एक नियमितीकरण नियमावली लाई गई, जिसमें सेवाकाल 10 साल से घटाकर पांच साल कर दिया गया। इस पर भी आपत्तियां हुईं और हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। करीब सात साल से नियमितीकरण संबंधी सभी काम लटके हुए थे।

मीडिया रिपोर्ट अनुसार हाईकोर्ट ने नरेंद्र सिंह बिष्ट और चार अन्य विशेष अनुमति याचिकाओं की सुनवाई के बाद वर्ष 2013 की नियमितीकरण नियमावली पर मुहर लगाई है, जिसके बाद से शासन स्तर पर कवायद शुरू हो गई है।

अब कार्मिक और वित्त विभाग नियमितीकरण के सभी पहलुओं को बारीकी से देख रहा है। 15 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की उम्मीदें भी परवान चढ़ने लगी हैं। जिन विभागों में पद रिक्त होंगे, तो उनके सापेक्ष संविदा, उपनल या अन्य माध्यमों से कार्य कर रहे कर्मचारियों को मौका मिल सकता है।

रिक्त पदों के सापेक्ष अधिक दावेदार होने पर वरिष्ठता सूची भी बनाई जा सकती है। इन सबके साथ ये भी देखा जाएगा कि कितने पद रिक्त हैं, अर्हता क्या है, आयु कितनी है। शासन के अफसरों का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में मंथन शुरू कर दिया गया है।Contract Employees Regularization

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