बिलासपुर। चिटफंड कंपनी PACL के एक डायरेक्टर को शिकागो से उतरते ही दिल्ली एयरपोर्ट पर बिलासपुर पुलिस की एक टीम ने गिरफ्तार कर लिया। छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी चिटफंड कंपनियों में से एक PACL के खिलाफ धोखाधड़ी के कई मामले प्रदेश के विभिन्न थानों में दर्ज हैं।
बिलासपुर जिले के रतनपुर थाने में भी PACL बीमा कपंनी के विरूद्ध धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज है। इस कंपनी के डायरेक्टरों को गिरफ्तार करने के लिए छत्तीसगढ़ की पुलिस देश के कई हिस्सों में अब तक दबिश दे चुकी है। पिछले महीने समीक्षा बैठक करते हुए एसपी संतोष कुमार सिंह ने इस मामले की पूरी जानकारी ली थी। सभी आरोपी डायरेक्टर्स के दूसरे राज्यों का होना पाया जाने पर उनकी तलाश के लिए अलग-अलग टीम बनाई गई।
रतनपुर थाना प्रभारी कृष्णकांत सिंह ने आयकर विभाग और पासपोर्ट कार्यालय से आरोपियों के संबंध में कुछ ठोस जानकारी एकत्र की। इसके अलावा उनकी चल अचल संपत्ति और वर्तमान ठिकाने के बारे में पता लगाया गया। इस दौरान मालूम हुआ कि एक आरोपी डायरेक्टर सिकंदर सिंह ढिल्लन विदेश प्रवास पर गया है। इस पर पुलिस अधीक्षक ने संबंधित अथॉरिटी को सूचित कर उसके विरुद्ध लुक आउट नोटिस जारी करवाया।
लुक आउट नोटिस जारी होने के एक सप्ताह बाद ही मालूम हुआ कि उक्त डायरेक्टर शिकागो से भारत वापस आ रहा है और दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरने वाला है। एसपी ने रतनपुर थाना प्रभारी के साथ एक टीम को दिल्ली रवाना किया। पुलिस ने इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरते ही ढिल्लन को हिरासत में ले लिया। शनिवार को उसे कोर्ट में प्रस्तुत कर पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया गया है। ढिल्लन तथा अन्य डायरेक्टरों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 34 के अलावा 4,5,6 एवं 10 निक्षेपको के संरक्षण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज है। उससे पूछताछ के बाद दूसरे आरोपी डायरेक्टरों तथा धोखाधड़ी से जुटाई गई रकम के बारे में जानकारी एकत्र की जा रही है।
चिटफंड कंपनी PACL का असली मालिक निर्मल सिंह भंगू है। बताते हैं निर्मल सिंह भंगू एक वक्त पर दूध का कारोबार करता था। चिटफंड के जरिए निवेशकों से पैसे जमा करते हुए निर्मल सिंह भूंग देखते-देखते 1.83 लाख एकड़ जमीन का मालिक बन गया। ये जमीन बंग्लुरु शहर के क्षेत्रफल से भी बड़ी थी।
निर्मल सिंह भंगू ने 1996 में PACL की स्थापना एक रियल एस्टेट कंपनी की रूप में की, लेकिन धोखे से कंपनी को निवेश स्कीम में बदल दिया। मार्केट रेगुलेटर SEBI ने अपनी जांच में पाया कि PACL ने निवेशकों को धोखा देकर उनसे करीब 49,100 करोड़ रुपए योजना के नाम पर लिए हैं। SEBI ने जब सख्ती की तो PACL सुप्रीम कोर्ट चला गया और वहां ये मामला 8 साल चला। इस दौरान PACL का आकार 100 गुना बढ़ गया। सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में PACL के खिलाफ फैसला दिया। निवेशक को लगता था कि उसने अपना पैसा बैंक FD की तरह जमा किया है, जबकि PACL अपने खाते में इसे प्रापर्टी खरीदने के लिए दिए गए एडवांस की तरह दिखाती थी। निर्मल सिंह भंगू और उसके पार्टनर्स को पहले दिल्ली पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है।
निवेशकों से मिले पैसे से निर्मल सिंह भंगू ने जमीन खरीदनी शुरू की और देखते-देखते वह 1.83 लाख एकड़ जमीन का मालिक बन गया। कंपनी देश भर में फैले अपने विशाल नेटवर्क के जरिए निवेशकों से पैसे लेती और उससे सस्ती जमीन खरीदती। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश सहित देश भर में PACL के नेटवर्क का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने सिर्फ 6-7 साल में 30 लाख एजेंट बना लिए थे। आज हालात ये हैं कि PACL के डायरेक्टरों को एक जेल से दूसरे जेल के धक्के खाने पद रहे हैं, वहीं उनकी प्रॉपर्टी को कुर्क कर निवेशकों के पैसे लौटाने की जद्दोजहद की जा रही है।
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