रायपुर। कोरबा जिले में जिला खनिज न्यास (DMF) से महिला एवं बाल विकास विभाग को बीते 3 वर्ष में करोड़ों रुपयों का फण्ड मिला, जिसे मनमाने तरीके से खर्च किया गया। यह मामला तब उजागर हुआ जब विधानसभा में उठाये गए प्रश्न के जवाब में इसकी गलत जानकारी दी गई। संचालक ने मामले की प्रारंभिक जांच की, तब पाया कि भंडार क्रय नियम का पालन ही नहीं किया गया है, साथ ही हितग्राहियों की संख्या और खरीदी गई सामग्रियों की मात्रा में भी भारी हेरफेर है। इस संबंध में संचालक के पत्र के आधार कलेक्टर कोरबा ने मामले की जांच के लिए अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय समिति गठित कर दी है। समिति को यह तय करना है कि इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी कौन-कौन हैं।
DMF से कोरबा जिले में बच्चों और महिलाओं के लिए पूरक पोषण आहार और आंगनबाड़ी केंद्रों को सर्वसुविधायुक्त बनाने के लिए बीते 3 सालों में लगभग 50 करोड़ रूपये दिए गए। इस रकम से हुए खर्च की जानकारी विपक्षी दल भाजपा के विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने विधानसभा में मांगी, तब कोरबा में पदस्थ प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी गजेन्द्र देव सिंह एवं प्रभारी डीएमएफ शाखा लिपिक शिव शर्मा ने दो बार में अलग-अलग जानकारी दी, जिसमें 5 करोड़ 29 लाख 62 हजार रूपये का अंतर आया। गड़बड़ी की आशंका होने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग की संचालक दिव्या उमेश मिश्रा ने सारे दस्तावेजों को मुख्यालय में मंगवाया। पता चला है कि बीते 3 वर्ष में किये गए खर्च से संबंधित दस्तावेजों से एक जीप पूरी भर गई, जिसे रायपुर मुख्यालय लाया गया था।
महिला एवं बाल विकास विभाग की संचालक दिव्या उमेश मिश्रा व उनके अधीनस्थों ने जब दस्तावेजों की जांच की तो सारी गड़बड़ियां सामने आ गईं। अक्सर ऐसा होता है कि विभागीय मुख्यालय में किसी भी मामले में करप्शन की शिकायत होती है और फिर मुख्यालय के निर्देश पर जिलों में मामलों की जांच कर रिपोर्ट उच्चाधिकारी के पास भेजी जाती है, मगर ऐसा संभवतः पहली बार हो रहा है, जब मुख्यालय ने समस्त दस्तावेजों की जांच की और कलेक्टर को पत्र लिखकर गड़बड़ियों की जानकारी देते हुए यह कहा कि मामले की गंभीरता से जांच कराएं और गड़बड़ी के लिए उत्तरदायी अधिकारियों को चिन्हांकित करें और उनके खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव हफ्ते भर में विशेष वाहक के जरिये प्रेषित करें। इसी के सन्दर्भ में कोरबा कलेक्टर संजीव झा ने अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय जांच समिति है। हालांकि मीडिया में जब संचालक द्वारा पत्र भेजे जाने का मामला उजागर हुआ उसके बाद जांच समिति गठित करने की बात सामने आ रही है।
विधान सभा प्रश्न क्रमांक 599 के जवाब हेतु संचालक महिला बाल विकास विभाग रायपुर के द्वारा प्रपत्र अ एवं प्रपत्र ब में जानकारी चाही गई। प्रपत्र अ में वर्ष 2020-21, 2021-22 एवं 2022-23 में कितनी राशि डीएमएफ कार्यालय कलेक्टर कोरबा जिला खनिज न्यास से प्राप्त हुई तथा प्रपत्र ब में क्या-क्या सामाग्री किन-किन संस्थाओं से कितनी मात्रा में भण्डार क्रय नियम के नियम पालन करते हुए क्रय किया गया अथवा नहीं, यह जानकारी चाही गई थी।
इसके जवाब में विभाग के प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी गजेन्द्र देव सिंह एवं प्रभारी डीएमएफ शाखा लिपिक शिव शर्मा के द्वारा प्रपत्र के कालम क्रमांक 10 मे उल्लेखित प्रश्न क्या भण्डार क्रय नियम का पालन किया गया है, में “हां” का उल्लेख कर जवाब प्रेषित किया गया है। जबकि संचालक द्वारा अपने स्तर पर की गई जांच में पाया गया कि DMF से मिले फंड से की गई करोड़ो की खरीदी में छ.ग. भण्डार क्रय नियम का पालन ही नहीं किया गया है।
बहरहाल राज्य भंडार क्रय नियमों का पालन नहीं करने के मामले में संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग के पत्र के बाद जिला प्रशासन ने जांच कमेटी गठित कर दी है। जिसमें अपर कलेक्टर अध्यक्ष, जिला पंचायत सीईओ, महाप्रबंधक उद्योग, जिला कोषालय अधिकारी सदस्य एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी सदस्य सचिव के तौर पर शामिल किए गए हैं। माना जा रहा है कि यह कमेटी शीघ्र ही कलेक्टर को जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगी। TRP न्यूज़ को महिला एवं बाल विकास विभाग में DMF के मद से मिली राशि में की गई हेराफेरी के संबंध में अन्य कई जानकारियां हाथ लगी है, जिसकी फ़िलहाल पुष्टि की जा रही है।
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