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ED की जांच में बड़ा खुलासा- चैरिटी के नाम पर की करोड़ों की धोखाधड़ी’

ED की गाजियाबाद स्पेशल PMLA कोर्ट ने बुधवार, 12 अक्टूबर को राणा अय्यूब (Rana Ayyub) के खिलाफ एक अभियोजन शिकायत दर्ज की, जिसमे अय्यूब के खिलाफ कई अवैध प्लेटफार्म के जरिए आम लोगों से चैरिटी के नाम पर पैसे जुटाने का आरोप लगा है। अपने आरोपों में ED ने कहा कि उन्होंने इकट्ठा किए गए पैसे में से थोड़ी सी राशि का प्रयोग राहत कार्यों के लिए किया, जबकि इसके ज्यादातर हिस्से से अय्यूब ने कथित तौर पर अपने लिए संपत्तियां खरीदी है।

ED ने गाजियाबाद के एक पुलिस स्टेशन में IT एक्ट के तहत दर्ज FIR के आधार पर अपनी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी। राणा अय्यूब पर ऑनलाइन क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म ‘केटो’ का उपयोग करके फंडरेजिंग अभियान के तहत चैरिटी के नाम पर आम जनता से अवैध रूप से धन प्राप्त करने का आरोप लगाया गया था। इसके अलावा, प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि उन्हें FCRA के उल्लंघन में विदेशी फंडिंग मिली थी।

ED की जांच में क्या आया सामने?

ईडी की जांच के अनुसार, राणा अय्यूब ने अप्रैल 2020 से केटो पर 3 फंडरेज़र अभियान शुरू किए और 2,69,44,680 (2.69 करोड़ रुपये) रुपये इकट्ठा किए। इन पैसों को झुग्गीवासियों और किसानों के लिए धन जुटाने, असम, बिहार और महाराष्ट्र में राहत कार्य के साथ भारत में COVID-19 से प्रभावित लोगों की मदद करने के लिए इकट्ठा किए गए थे। ये पैसे अय्यूब के के पिता और बहन के खातों में जमा किए गए थे, बाद में उन्हें उनके निजी खातों में ट्रांसफर कर दिया गया था। ED ने एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि राहत कार्य के लिए सिर्फ 29 लाख रुपये का इस्तेमाल किया गया, इसके बाद अय्यूब ने 50 लाख रुपये की FD बनाई और एक नए बैंक खाते में इतने ही पैसे ट्रांसफर कर दिए।

इसके अलावा, राणा अय्यूब ने राहत कार्य के लिए खर्च किए गए पैसों के फर्जी बिल भी जमा किए। जांच एजेंसी ने कहा कि अय्यूब ने आम जनता को धोखा देने के एकमात्र इरादे से उपरोक्त ऑनलाइन अभियान शुरू किए। ईडी के अनुसार, उन्होंने इन फंडों के सही इस्तामेल के रूप में दिखाने की कोशिश की और इस तरह, आम जनता से मिले पैसों को अपने लिए रख लिया। इसमें कहा गया है कि उसने FD और बैंक बैलेंस के रूप में अपराध की आय अर्जित की। ईडी ने यह भी आरोप लगाया कि उसे सरकार से किसी अप्रूवल या रजिस्ट्रेशन के बिना विदेशों से फंड मिला।

ईडी का बयान:

“ईडी द्वारा की गई जांच से पता चला है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जुटाई गई धनराशि उनके पिता और बहन के खातों में प्राप्त हुई थी और बाद में उनके निजी खातों में ट्रांसफर कर दी गई थी। राणा अय्यूब ने इन पैसों का उपयोग अपने लिए 50 लाख रुपये की FD बनाने के लिए किया था और एक नए बैंक खाते में 50 लाख रुपये भी ट्रांसफर किए। ED की जांच से पता चला कि केवल 29 लाख रुपये राहत कार्य के लिए इस्तेमाल किए गए थे। राहत कार्य के लिए अधिक खर्च का दावा करने के लिए, राणा अय्यूब ने नकली बिल भी बनाए थे। इसके बाद , राणा अय्यूब के खातों में रु.1,77,27,704/- (50 लाख की FD सहित) की बैंक शेष राशि PMLA की धारा 5(1) के तहत एक प्रोविजिनल अटैचमेंट ऑर्डर, 04.02.2022 के तहत अटैच की गई थी।
 
ED की जांच में पता चला कि राणा अय्यूब ने आम जनता से ठगी कर चैरिटी के नाम पर तीन ऑनलाइन अभियान चलाकर 2.69 करोड़ रुपए अवैध रूप से जुटाए। इन निधियों का उपयोग उन उद्देश्यों के लिए नहीं किया गया था जिसके लिए इन्हें इकट्ठा किया गया था, बल्कि इनसे उन्होंने अपनी संपत्ति बनाई थी। राणा अय्यूब ने इन पैसों को सही इस्तामेल के रूप में दिखाने का प्रयास किया और इस प्रकार आम जनता से प्राप्त पैसे की लॉन्ड्रिंग की है। राणा अय्यूब ने भी इन निधियों को विदेशों से सरकार के बिना किसी अप्रूवल या रजिस्ट्रेशन के प्राप्त किया, जो कि Foreign Contribution Regulation Act, 2010 के तहत जरूरी है।

पैसे किए गए अटैच

बता दें कि ED इस मामले में राणा अय्यूब से पहले ही पूछताछ कर चुकी है। 2 फरवरी को, केंद्रीय एजेंसी ने PMLA की धारा 5(1) के तहत उनके खातों में 1,77,27,704 रुपये की बैंक शेष राशि अटैच की। जबकि उन्हें इस साल 29 मार्च को विदेश यात्रा से रोक दिया गया था, दिल्ली उच्च न्यायालय ने 4 अप्रैल को इस संबंध में उन्हें अनुमति दी थी। अगस्त में, दिल्ली हाईकोर्ट ने ईडी को उनकी कुर्क संपत्ति पर आगे कदम उठाने से रोक दिया था। वर्तमान में, वह शिकागो विश्वविद्यालय के राजनीति संस्थान में प्रित्ज़कर फेलोशिप के लिए अमेरिका में हैं।

 
ED की जांच में पता चला कि राणा अय्यूब ने आम जनता को धोखा देने के एकमात्र इरादे से फंडरेजिंग का अभियान शुरू किया था और FD के रूप में अपराध की आय और बैंक खातों में शेष राशि को बेदाग के रूप में पेश किया था।

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