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Govardhan Pooja-गोवर्धन पूजा में लगाए जाते हैं 56 भोग

Govardhan Pooja/दिवाली के ठीक बाद गोवर्धन पूजा की जाती है। अन्नकूट भी इसका नाम है। आपको बता दें कि गोवर्धन पूजा के दिन भगवान गोवर्धन की प्रतिमा गाय के गोबर से बनाई जाती है और फिर पूजा जाती है।

इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा होती है, उन्हें अन्नकूट और कढ़ी चावल का भोग लगाया जाता है।

आपको बता दें कि गोवर्धन पूजा पर छप्पन भोग लगाना स्वीकार्य है।

माना जाता है कि छप्पन भोग के बिनागोवर्धन पूजा को संपूर्ण नहीं मानी जाती है. बता दें कि इस बार गोवर्धन पूजा को लेकर भी भ्रम की स्थिती बनी हुई है. हालांकि पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा का पर्व 14 नवंबर को मनाया जाएगा. आइए जानते हैं कि गोवर्धन पूजा में 56 भोग क्यों लगाया जाता है.

कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने गोकुलवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को 7 दिनों तक अपनी उंगलियों पर लेकर खड़े रहे थे. इसी दौरान गोकुलवासियों ने प्रत्येक दिन श्री कृष्ण को 8 व्यंजनों का भोग लगाया था. गणित के अनुसार, 7 दिनों को 8 व्यंजनों से गुणा किया जाए तो कुल अंक 56 आता है.

56 भोग में शामिल हैं ये चीजें

भक्त (भात), सूप (दाल), प्रलेह (चटनी), सदिका (कढ़ी), दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी), सिखरिणी (सिखरन), अवलेह (शरबत), बालका (बाटी), इक्षु खेरिणी (मुरब्बा),त्रिकोण (शर्करा युक्त), बटक (बड़ा), मधु शीर्षक (मठरी),फेणिका (फेनी), परिष्टश्च (पूरी), शतपत्र (खजला), सधिद्रक (घेवर), चक्राम (मालपुआ), चिल्डिका (चोला), सुधाकुंडलिका (जलेबी), धृतपूर (मेसू), वायुपूर (रसगुल्ला), चन्द्रकला (पगी हुई), दधि (महारायता), स्थूली (थूली), कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी), खंड मंडल (खुरमा), गोधूम (दलिया), परिखा, सुफलाढय़ा (सौंफ युक्त), दधिरूप (बिलसारू), मोदक (लड्डू), शाक (साग), सौधान (अधानौ अचार), मंडका (मोठ), पायस (खीर), दधि (दही), गोघृत (गाय का घी), हैयंगपीनम (मक्खन), मंडूरी (मलाई), कूपिका (रबड़ी), पर्पट (पापड़), शक्तिका (सीरा), लसिका (लस्सी), सुवत, संघाय (मोहन), सुफला (सुपारी), सिता (इलायची), फल, तांबूल, मोहन भोग, लवण, कषाय, मधुर, तिक्त, कटु, अम्ल

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