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Heat Alert: अप्रैल से जून तक तपेगा पारा, झुलसाएगी गर्मी…जाने गर्मी से बचने क्या करें और क्या न करें

Heat Alert/देश में मार्च के अंतिम सप्ताह से गर्मियों के सीज़न की शुरुआत हो गई है। बढ़ती गर्मी को देखते हुए मौसम विभाग ने अप्रैल से जून तक भीषण गर्मी की चेतावनी जारी की है। साथ ही जुलाई में मानूसन आने के बाद ही गर्मी से थोड़ी राहत लोगों को मिलेगी।

Heat Alert/IMD ने बताया है कि अप्रैल-जून के बीच अल नीनो के प्रभाव के न्यूट्रल होने की संभावना है, लेकिन इस दौरान उत्तर, दक्षिण के कुछ हिस्सों में भीषण गर्मी पड़ेगी। अनुमान है कि गर्मी का सबसे अधिक असर दक्षिणी हिस्से, मध्य भारत, पूर्वी भारत और उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों पर पड़ेगा. इसका मतलब ये हुआ कि देश के मैदानी इलाके इस बार हर साल से ज्यादा तपने वाले हैं। साथ ही लू की चेतावनी भी जारी की है।

क्या कहा मौसम विभाग ने/Heat Alert

मौसम विभाग के मुताबिक, पश्चिमी विक्षोभ को मध्य और ऊपरी क्षोभमंडलीय पछुआ हवाओं में एक गर्त के रूप में देखा जा सकता है, जिसकी धुरी समुद्र तल से 5.8 किमी ऊपर है और लगभग 64 डिग्री पूर्व देशांतर के साथ 30 डिग्री उत्तर अक्षांश के उत्तर में चल रही है। उत्तरी बांग्लादेश और आसपास के निचले स्तरों पर एक चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है।

एक पूर्व-पश्चिम ट्रफ रेखा उत्तरी बांग्लादेश पर उपरोक्त चक्रवाती परिसंचरण से असम होते हुए दक्षिण-पूर्व अरुणाचल प्रदेश तक बनी हुई है। दक्षिणी तमिलनाडु से पूर्वी विदर्भ तक आंतरिक कर्नाटक होते हुए विदर्भ तक ट्रफ/हवा का विच्छेदन बना हुआ है। 5 अप्रैल से एक ताजा पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालय क्षेत्र को प्रभावित करने की संभावना है।

अगले 24 घंटों के लिए चेतावनी/Heat Alert

स्काई मेट वेदर के मुताबिक, अगले 24 घंटों के दौरान, पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में अगले 3 से 4 दिनों तक छिटपुट हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी की गतिविधियां जारी रह सकती हैं। अगले 4 से 5 दिनों तक पूर्वोत्तर भारत में हल्की से मध्यम बारिश संभव है।

केरल और दक्षिणी तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश संभव है। उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में अलग-अलग स्थानों पर हल्की बारिश संभव है। उत्तरी आंतरिक कर्नाटक, ओडिशा और गंगीय पश्चिम बंगाल के अलग-अलग इलाकों में लू की स्थिति संभव है। ओडिशा के अलग-अलग हिस्सों में रात का मौसम काफी गर्म हो सकता है।Heat Alert

गर्मी के दौरान क्या करें

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पर्याप्त पानी पिएं – प्यास न लगने पर भी। मिर्गी या हृदय, गुर्दे या जिगर की बीमारी वाले व्यक्ति जो तरल-प्रतिबंधित आहार पर हैं या द्रव प्रतिधारण की समस्या है, उन्हें तरल पदार्थ का सेवन बढ़ाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

अपने आप को हाइड्रेटेड रखने के लिए ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन), घर का बना पेय जैसे लस्सी, तोरानी (पसीया/चावल पानी), नींबू पानी, छाछ, नारियल पानी आदि का उपयोग करें।

हल्के, हल्के रंग के, ढीले, सूती कपड़े पहनें।

अगर बाहर हैं, तो अपना सिर ढकेंः कपड़े, टोपी या छतरी का प्रयोग करें। अपनी आंखों की सुरक्षा के लिए धूप का चश्मा और अपनी त्वचा की रक्षा के लिए सनस्क्रीन का प्रयोग करें।

बुजुर्गों, बच्चों, बीमार या अधिक वजन के व्यक्ति का विशेष ध्यान रखें क्योंकि उनके अत्यधिक गर्मी के शिकार होने की संभावना अधिक होती है।

अन्य सावधानियाँ

जितना हो सके घर के अंदर ही रहें।

पारंपरिक उपचार जैसे प्याज का सलाद और कच्चे आम में नमक और जीरा मिलाकर लू से बचाव किया जा सकता है।

पंखे, नम कपड़े का प्रयोग करें और ठंडे पानी से नहाएं।

आपके घर या कार्यालय में आने वाले विक्रेताओं और डिलीवरी करने वाले लोगों को पीने के पानी उपलब्ध कराए ।

सार्वजनिक परिवहन और कार-पूलिंग का उपयोग करें। इससे ग्लोबल वार्मिंग और गर्मी को कम करने में मदद मिलेगी।

सूखे पत्ते, कृषि अवशेष और कचरा न जलाएं। जल निकायों का संरक्षण करें। वर्षा जल संचयन का अभ्यास करें।

ऊर्जा दक्ष उपकरणों, स्वच्छ ईंधन और ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग करें।

अगर आपको चक्कर या बीमार महसूस होता है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें या किसी से कहें कि वह आपको तुरंत डॉक्टर के पास ले जाए।

न करने योग्य बातें

धूप में बाहर जाने से बचें, खासकर दोपहर 12.00 बजे से दोपहर 3.00 बजे के बीच।

दोपहर में जब बाहर हों तो भारी कार्य की गतिविधियों से बचें।Heat Alert

नंगे पांव बाहर न निकलें।

चरम गर्मी के वक्त खाना पकाने से बचें। खाना पकाने के क्षेत्र को पर्याप्त रूप से हवादार करने के लिए दरवाजे और खिड़कियां खोलें।

शराब, चाय, कॉफी और कार्बोनेटेड शीतल पेय से बचें, जो शरीर को निर्जलित करते हैं।

उच्च प्रोटीन, नमकीन, मसालेदार और तैलीय भोजन से बचे। बासी भोजन न करें।

खड़े वाहनों में बर्चा या पालतू जानवरों को अकेला न छोड़ें।

गर्मी प्रदान करने वाले प्रकाश बल्बों का उपयोग करने से बचें।

करने योग्य

खड़ी फसलों में हल्की और बार-बार सिंचाई करें।

पौधों के विकास के महत्वपूर्ण चरणों में सिंचाई की बारंबारता बढ़ाएं।

फसल अवशेष, पुआल/पॉलीथीन के साथ मल्चिंग करें या मिट्टी की नमी को संरक्षित करने के लिए मिट्टी की मल्चिंग करें।

केवल शाम या सुबह के समय ही सिंचाई करें।

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