Kamika Ekadashi 2024, Kamika Ekadashi 2024 Kab Hai: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को सबसे उत्तम तिथियों में से एक माना गया है. हर महीने की एकादशी का अपना एक विशेष महत्व होता है.
मान्यता है कि सावन के महीने में आने वाली कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को समस्त दुखों और पापों से मुक्ति मिलती है.
Kamika Ekadashi 2024, Kamika Ekadashi 2024 Kab Hai: कामिका एकादशी का व्रत सावन महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है. वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार सावन महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 30 जुलाई को शाम 4 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी.
Kamika Ekadashi 2024, Kamika Ekadashi 2024 Kab Hai: व्रत की तिथि का समापन 31 जुलाई को शाम 3 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगा. उदय तिथि के अनुसार कामिका एकादशी का व्रत बुधवार, 31 जुलाई 2024 को रखा जाएगा.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कामिका एकादशी व्रत करने से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस व्रत का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि इसे सावन माह में किया जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित होता है. यह देवशयनी एकादशी के बाद पहली एकादशी है जिसमें भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं. सावन के महीने में इस एकादशी के होने से इस व्रत में भगवान विष्णु के साथ भोलेनाथ का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है.Kamika Ekadashi 2024
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीश जी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।