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MP Exclusive: ढाई हजार करोड़ के सरकारी प्रोजेक्ट पर ब्रेक, स्टेट वेटलैंड अथॉरिटी की बैठक में निर्णय, पढ़िए पूरी खबर

शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्यप्रदेश में सरकारी निर्माण एजेंसियां ही नियमों को ताक पर रख मनमानी को अंजाम देती हैं। मामला प्रदेश की वाटर बॉडी के संरक्षण से जुड़ा हुआ है। दरअसल, बुधवार को पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग की अध्यक्षता में स्टेट वेटलैंड अथॉरिटी की बैठक हुई। बैठक में वाटर बॉडी पर हो रहे नियम विरुद्ध निर्माणों पर भी मंथन किया गया। शिकायतों के आधार पर करीब ढाई हजार करोड़ के ब्रिज निर्माण संबंधित प्रोजेक्ट पर ब्रेक लगा दिया गया है। इसमें राजधानी की लाइफ लाइन कहे जाने वाले बड़ा तालाब पर बनी प्रदेश की सबसे सुंदर वीआईपी रोड 8 लेन प्रोजेक्ट समेत अन्य 6 प्रोजेक्ट शामिल हैं।

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नियम विरुद्ध प्रोजेक्ट के खिलाफ दर्ज अलग-अलग शिकायतों में बताया गया कि प्रदेश में वेटलैंड रूल्स 2017 लागू है। केंद्र सरकार के इस नियम के तहत वाटर बॉडी संरक्षण के लिए प्रावधान किए गए हैं। प्रावधानों के मुताबिक फुल टैंक लेवल (एफटीएल) से 50 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का निर्माण संभव नहीं है। वाटर बॉडी संरक्षण के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। किसी प्रकार के निर्माण या प्रोजेक्ट से पहले स्टेट वेटलैंड अथॉरिटी से अनुमति भी अनिवार्य है। साथ ही यह भी बताया गया कि भोपाल स्थित बड़ा तालाब में आधा दर्जन से ज्यादा प्रोजेक्ट पर रोक वेटलैंड रूल्स 2017 के तहत ही रोक लगाई जा चुकी है।

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यह है वीआईपी रोड 8 लेन प्रोजेक्ट का प्लान

प्रोजेक्ट की डीपीआर मध्यप्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एमपीआरडीसी) ने तैयार की है। प्रोजेक्ट में कुल 1771 करोड़ रुपये खर्च का अनुमानित खाका तैयार किया गया है। नए डेवलपमेंट प्लान के तहत वीआईपी रोड को खानूगांव से रेत घाट तक 8 लेन में तब्दील किया जाएगा। वहीं बैरागढ़ से खानूगांव तक 6 लेन का निर्माण होगा। बड़ा तालाब की वाटर बॉडी में कुल 20 पिलर का निर्माण किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट भी आगामी 10 साल की ट्रैफिक व्यवस्था के मद्देनजर तैयार किया गया है।

पेड़ों की भी होगी कटाई

खानूगांव से बैरागढ़ तक 6 लेन प्रोजेक्ट में पेड़ों की कटाई भी होगी। खानूगांव से लालघाटी के बीच चौड़ीकरण उस क्षेत्र में किया जाएगा, यहां सैकड़ों हरे-भरे पेड़ लगे हुए हैं। सड़क की दूसरी ओर चौड़ीकरण संभव नहीं है। ऐसे में यहां सौ से ज्यादा पेड़ों की कटाई भी होगी। बता दें कि यह पेड़ भी भोज वेटलैंड परियोजना के तहत लगाए गए थे। बड़ा तालाब के चारों ओर साल 1990 से 2002 तक 17 लाख पौधे लगाए गए हैं।

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केंद्र सरकार से मांगा अभिमत

राजधानी समेत अन्य छह प्रोजेक्ट को लेकर स्टेट वेटलैंड अथॉरिटी समेत एमपीआरडीसी ने केंद्र सरकार से अभिमत मांगा है। इसके लिए बुधवार को केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा गया है।

भोपाल का बड़ा तालाब अंतरराष्ट्रीय धरोहर

पर्यावरण विद् और वैज्ञानिक डॉ. सुभाष सी पांडे ने बताया कि भोपाल का बड़ा तालाब विश्व स्तरीय ख्याति रामसर साइट का दर्जा प्राप्त है। यह दर्जा भी हर वाटर बॉडी को नहीं मिलता। तालाब की विशेषता के आधार पर कई मानकों के सर्वे के बाद यह उपाधि दी जाती है। इसके बाद भी तालाब के एफटीएल में ही कई अवैध निर्माण सरकारी एजेंसियों ने ही किए हैं। चिरायु अस्पताल के पास नगर निगम का सीवेज सेंटर, वोट क्लब पर फ्लोटिंग रेस्टोरेंट समेत कई ऐसे अवैध निर्माण शुरू किए गए थे, जिन्हें शिकायत के बाद नगर निगम को रोकना पड़ा।

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