MP News/भोपाल। मध्यप्रदेश में जल्दी भू-अभिलेखों को हासिल करना किसी चुनौती से कम नहीं रहा है, आमजन की यह समस्या साइबर तहसील के जरिए सुलझाना आसान हो रहा है। राज्य के हर जिले में साइबर तहसील की व्यवस्था अमल में लाई जा रही है और इसकी शुरुआत नए साल पर खरगोन से होने वाली है।
राज्य में राजस्व विभाग से भू-अभिलेख मिलने में औसतन दो माह तक का वक्त लग जाता है। साइबर तहसील के शुरू हो जाने से यह अभिलेख 15 से 17 दिन में हासिल हो जाते हैं। राज्य में साइबर तहसील परियोजना फिलहाल 12 जिलों सीहोर, दतिया, इंदौर, सागर, डिंडोरी, हरदा, ग्वालियर, आगर-मालवा, श्योपुर, बैतूल, विदिशा एवं उमरिया में चल रही है। अब सभी जिलों में एक जनवरी से यह व्यवस्था लागू हो रही है।
प्रदेश में हर साल नामांतरण के लगभग 14 लाख प्रकरण पंजीबद्ध होते हैं। इनमें से विक्रय विलेखों के निष्पादन के बाद नामांतरण के लिए दर्ज होने वाले प्रकरणों की संख्या आठ लाख होती है। इसमें संपूर्ण खसरा के क्रय-विक्रय से संबंधित लगभग दो लाख अविवादित नामांतरण प्रकरण पंजीबद्ध किए जाते हैं। इस प्रक्रिया में 60 दिन तक लग जाते हैं। साइबर तहसील स्थापित होने से इस प्रकार के प्रकरणों में 15 दिन की समय-सीमा में बिना आवेदन दिए, पेपरलेस, फेसलेस, ऑनलाइन नामांतरण और भू अभिलेखों को अपडेट किया जा सकेगा।
इस नई व्यवस्था से क्रेता और विक्रेता को नामांतरण के लिए तहसील कार्यालय में उपस्थित होने या पेशी पर आने की जरूरत ही नहीं होती। संपूर्ण प्रक्रिया फेसलेस एवं पेपरलेस, पारदर्शी है। इसमें कोई भी मानवीय हस्तक्षेप नहीं है। क्रेता-विक्रेता तथा ग्राम के सभी निवासियों को नोटिस एसएमएस से मिलता है। नोटिस आरसीएमएस पोर्टल पर भी दिखता है।
ऑनलाइन आपत्ति दर्ज की जा सकती है। अंतिम आदेश की कॉपी ई-मेल या व्हाट्सएप के माध्यम से आवेदक को मिलेगी। साइबर तहसील के जरिए आदेश पारित होते ही भू-अभिलेखों में स्वतः सुधार हो जाता है। आदेश एवं राजस्व अभिलेखों में अमल की प्रक्रिया सरकारी छुट्टियों को छोड़कर 15 दिनों में पूरी हो जाएगी। इतना ही नहीं, इस प्रणाली से रियल टाइम में भू-अभिलेख अपडेट किए जाने की अनूठी सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इससे पटवारी का हस्तक्षेप भी नहीं रहेगा। पटवारी रिपोर्ट ऑनलाइन जमा कराने की सुविधा है। पहले इन पूरी प्रक्रियाओं में औसत 60 दिन लग जाते थे। साइबर तहसील में औसत 15 दिनों में ही यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।