विशेष संवादाता
रायपुर। लंबे समय तक नक्सलियों को बैकफुट में रखने वाले DRG जवान आज ज़रा सी चूक से उनके निशाना बन गए। बुधवार को दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर के पास सर्चिंग टीम के लौटते वक्त IED ब्लास्ट कर नक्सली अपने मंसूबों में कामयाब हो गए। ब्लास्ट में DRG के 10 जवानों समेत यूनिट की वाहन और ड्राइवर के परखच्चे उड़ गए। सालभर बाद नक्सलियों द्वारा किये गए इस घटना के बाद पुलिस मुख्यालय में उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई है।
जिसमे खासतौर से पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा, स्पेशल DG नक्सल ऑपरेशन विवेकानंद सिन्हा, SIB चीफ से लेकर पुलिस के आला अधिकारी मौजूद हैं। बताया जाता है कि पूरी घटनाक्रम की जानकारी बस्तर IG सुंदरराज पी और IG नक्सल ऑपरेशन ओपी पाल से ली गई है। आईपीएस ओपी पाल के मुताबिक वारदात के फ़ौरन बाद ही दो संदिग्धों को अरेस्ट किया गया। वारदात के सभी बिंदुओं पर जानकारी ली जा रही है।
घटना के बाद नक्सली हथियार लूटकर ले गए या नहीं और कितने की संख्या में वे शामिल थे, चूक कहाँ हुई और रोड ओपनिंग पार्टी, सर्चिंग पार्टी के अलावा ख़ुफ़िया सूचनाओं पर भी अधिकारी बैठक में जानकारी जुटा रहे हैं।
बस्तर में नक्सलियों का TCOC (टैक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन) चल रहा है। नक्सली इस दौरान अक्सर कई बड़ी घटनाओं को अंजाम देते हैं। TCOC को देखते हुए फोर्स भी अलर्ट मोड पर है। बस्तर के सभी जिलों में जवानों को सर्चिंग के लिए भेजा जा रहा है।
सरकार द्वारा जारी 2021 के आंकड़ो के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में 8 जिले नक्सल प्रभावित हैं. इनमें बीजापुर, सुकमा, बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर, राजनंदगांव और कोंडागांव शामिल हैं.
गृह मंत्रालय ने अप्रैल 2021 में लोकसभा में बताया था कि पिछले 10 साल में यानी 2011 से लेकर 2020 तक छत्तीसगढ़ में 3 हजार 722 नक्सली हमले हुए. इन हमलों में हमने 489 जवान खो दिए.
2011 से लेकर 2020 तक छत्तीसगढ़ में जितने भी नक्सली हमले हुए, उसमें नक्सलियों से ज्यादा आम लोग मारे गए. ये आंकड़े सरकार के ही बताए गए हैं. पिछले 10 सालों में राज्य में सुरक्षाबलों ने एक तरफ 656 नक्सलियों को मार गिराया, वहीं दूसरी तरफ नक्सली घटनाओं में 736 आम लोगों की जान गई. सुरक्षाबलों ने सबसे ज्यादा नक्सली 2016 में मारे थे. उस साल 135 नक्सली मारे गए थे. उसके बाद 2018 में 125 नक्सली मारे गए।