रायपुर। स्कूल शिक्षा विभाग बेपटरी है यदि कहें तो गलत नहीं होगा। क्योंकि अलग-अलग विभागों से संचालित हो रहे स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश निर्देश में भी सामंजस्य का अभाव साफ नजर आता है। अब तिमाही परीक्षा को ही ले लीजिए जो पूरी तरह मजाक बनकर रह गया और जैसे ही एनपीजी ने इस बात का खुलासा किया कि विभाग द्वारा भेजे गए प्रश्न पत्र उत्तर के साथ यूट्यूब पर मौजूद है… विभाग के अधिकारी भी हैरत में पड़ गए। आनन-फानन में सोमवार से आयोजित पूरी परीक्षा ही रद्द हो गई लेकिन इसके बावजूद कई बड़े सवाल जस के तस खड़े हैं जिसमें सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि आखिरकार इतनी बड़ी चूक का दोषी कौन है। और क्या विभाग के अधिकारियों को यह बात समझ में ही नहीं आई थी की पीडीएफ से भेजे गए प्रश्न पत्र का लीक होना लगभग तय है।
प्रदेश के 50 हजार से अधिक स्कूलों में आप प्रश्न पत्र यदि पीडीएफ के माध्यम से भेज रहे हैं तो कहीं न कहीं से उसका लीक होना तय है। किसी भी स्कूल के शिक्षक ने या किसी भी प्रिंट करने वाले कंप्यूटर सेंटर ने पेपर लीक किया होगा तो उसे भी पता लगाना लगभग नामुमकिन है। कुल मिलाकर बिना सोचे समझे केंद्रीकृत तिमाही परीक्षा आयोजित करने की सोच ही गलत थी जिसका खामियाजा अब विभाग को अपनी भद्द पिटाकर मिल रहा है। प्रयोगशाला बन चुका विभाग अब यह कह रहा है कि शिक्षक खुद पेपर सेट करके परीक्षा आयोजित कराएं तो ऐसा इसलिए है क्योंकि यही सबसे कारगर तरीका रहा है अब तक, क्योंकि तिमाही परीक्षा में खर्च करने के लिए अधिक धनराशि भी नहीं होती है और यदि किसी स्कूल का पेपर लीक होता है तो उसकी गाज वहां के शिक्षक पर भी गिराई जा सकती है इसलिए पेपर लीक होने की संभावना बहुत कम रहती है । सबसे बड़ा सवाल यह है कि बहुत सारे स्कूलों ने प्रश्न पत्र प्रिंट भी करा लिए हैं ऐसे में उनके नुकसान की भरपाई कैसे होगी और स्कूल शिक्षा विभाग को पहुंची इस क्षति का जिम्मेदार कौन है जिसमें धन और मान-सम्मान दोनों का नुकसान हुआ है और सबसे बड़ी बात गैर कानूनी तरीके से प्रश्न पत्रों को लीक करने वाली यूट्यूब चैनल पर क्या विभाग द्वारा कोई कार्यवाही की जाएगी क्योंकि यदि विभाग द्वारा इसके लिए पुलिस की मदद ली जाती है तो निश्चित तौर पर इस बात का खुलासा हो सकता है कि आखिरकार विभाग की चूक किस बड़े स्तर की थी साथ ही हर चीज को मजाक बनाने वाले यूट्यूब चैनल को भी सबक मिलेगा जिन्हें गोपनीयता की परिभाषा ही नहीं पता और अब हर चीज केवल उन्हें टीआरपी बटोरने का साधन मात्र नजर आता है ।