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Padma Award 2024: छत्तीसगढ़ के तीन विभूतियों को मिलेगा पद्मश्री

Padma Award 2024/रायपुर/भारत सरकार द्वारा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के 110 विभूतियों को पद्मश्री सम्मान दिए जाने का एलान किया गया है, जिसमें छत्तीसगढ़ के रायगढ़ के कथक नर्तक पंडित राम लाल बरेठ, नारायणपुर के वैद्यराज हेमचंद मांझी तथा जशपुर के जागेश्वर यादव का नाम शामिल हैं।

Padma Award 2024।भारत सरकार द्वारा पंडित राम लाल बरेठ को कला क्षेत्र में, वैद्यराज श्री हेमचंद मांझी को चिकित्सा क्षेत्र में तथा श्री जागेश्वर यादव को समाज सेवा के क्षेत्र में उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए पद्मश्री सम्मान प्रदान किया जाएगा। 

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पंडित राम लाल बरेठ, जागेश्वर यादव तथा वैद्यराज हेमचंद मांझी को इस गौरवपूर्ण उपलब्धि के लिए बधाई दी है।Padma Award 2024

मुख्यमंत्री कहा है कि विशेष पिछड़ी जनजाति बिरहोर एवं पहाड़ी कोरवा की भलाई के लिए श्री जागेश्वर यादव ने अपना जीवन समर्पित कर दिया है। मुख्यमंत्री ने पद्मश्री सम्मान के लिए श्री जागेश्वर यादव के चयन पर प्रसन्नता जताते हुए उन्हें दूरभाष पर बधाई दी।Padma Award 2024

मुख्यमंत्री ने वैद्यराज हेमचंद मांझी द्वारा नारायणपुर के अबूझमाड़ इलाके में पारंपरिक औषधि जड़ी-बूटी से बीते पांच दशकों से जरूरतमंद लोगों का इलाज को उनकी सेवा का प्रतिफल कहा है। कथक के मूर्धन्य नर्तक पंडित राम लाल बरेठ ने कला के लिए अपना जीवन समर्पित किया है।Padma Award 2024

रायगढ़ के रहने वाले पंडित राम लाल बरेठ के पिता श्री कार्तिक राम बरेठ भी कथक के मूर्धन्य नर्तक रहे है। पंडित राम लाल बरेठ को संगीत नाटक अकादमी द्वारा भी पुरस्कृत किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि इन तीनों विभूतियों ने अपने-अपने क्षेत्र में अपने उल्लेखनीय कार्य से राष्ट्रीय स्तर छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित किया है

जशपुर के जागेश्वर यादव, की प्रसिद्धि बिरहोर के भाई के रूप में है। आदिवासी कल्याण कार्यकर्ता श्री यादव ने अपना पूरा जीवन बिरहोर और पहाड़ी कोरवा जनजाति के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया है। उन्होंने जशपुर में आश्रम की स्थापना की और निरक्षरता उन्मूलन और स्वास्थ्य सेवा के मानकों को बेहतर बनाने का काम किया है।  

नारायणपुर के श्री हेमचंद मांझी ख्याति प्राप्त वैद्य है। वह 15 साल की उम्र से ही अपने पारंपरिक औषधि ज्ञान से जरूरतमंद लोगों का इलाज कर रहे है। विभिन्न बीमारियों से पीड़ित लोगों से वह इलाज के लिए बहुत कम राशि लेते हैं।

जब उनकी उम्र 15 वर्ष की थी, तभी से वह जरूरतमंदों की चिकित्सा कर रहे है। अबूझमाड़ के जंगलों में पाई जाने वाली जड़ी-बूटियों का उन्हें विशेष ज्ञान है।

यहां यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 1976 से लेकर 2023 तक छत्तीसगढ़ में 26 लोगों को पद्मश्री सम्मान मिल चुका है। पंडित राम लाल बरेठ, श्री जागेश्वर यादव एवं वैद्यराज श्री हेमचंद मांझी का नाम पद्मश्री के लिए घोषित होने पर पद्मश्री सम्मान से विभूषित होने वालों की संख्या 29 हो जाएगी।

विश्व विख्यात पंडवानी गायिका श्रीमती तीजन बाई छत्तीसगढ़ की एक मात्र ऐसी हस्ती है, जिन्हें भारत सरकार द्वारा भारतीय नागरिकों को दिया जाने वाला तीनों पद्म सम्मान मिला है। श्रीमती तीजन बाई को लोक गायन (पंडवानी) के क्षेत्र में उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए वर्ष 1988 में पद्मश्री, वर्ष 2003 में पद्म भूषण तथा वर्ष 2019 में पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा गया है। 

बीते 16 दिसम्बर की बात है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से मिलने और राज्य के 18 लाख बेघर लोगों को प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करने के लिए श्री जागेश्वर यादव रायपुर स्थित उनके सरकारी आवास पहुना पहुंचे थे। मुख्यमंत्री से मुलाकात करने वालों की भीड़ और बेरिकेट देखकर दूर खड़े जागेश्वर यादव मुख्यमंत्री से मिलने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे, जैसे ही मुख्यमंत्री लोगों से मिलने बाहर आए उनकी नजर दूर खड़े श्री यादव पर पड़ी और मुख्यमंत्री ने उन्हें जशपुरिया लहजे में बड़े ही अपनेपन से पुकारा ‘‘आ ऐती आ, उहां का खडे़ हस, मोर कोती आ‘‘।

जागेश्वर यादव अपने पास आते ही मुख्यमंत्री ने उन्हें गले लगाया, पूरे समय साथ ही रहे और समय-समय पर आत्मीय चर्चा करते रहे। जागेश्वर यादव ने मुख्यमंत्री को कैबिनेट की बैठक में प्रदेश के 18 लाख लोगों को आवास देने के निर्णय पर आभार जताया। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से सरगुजा संभाग की विशेष पिछड़ी जनजाति के हजारों बिरहोर लोगों को आवास मिलने का रास्ता खुल गया है जो घास-फूस की झोपड़ियों में हर साल सरगुजा की कड़ी सर्दी गुजारते हैं।

जागेश्वर राम कभी चप्पल नहीं पहनते, वे कपड़े भी मामूली ही पहनते हैं। वे मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से मिलने जब पहुना पहुंचे तो वे बैरिकेड के उस पार थोड़े से संकोच के भाव से अपनी बारी का इंतजार करते खड़े हो गये। मुख्यमंत्री श्री साय जब आये तो परिचितों से भेंट करते वक्त उनकी नजर दूर खड़े जागेश्वर राम पर गई। उन्होंने जागेश्वर को बड़े ही अपनेपन से आवाज लगाकर अपने पास बुलाया और उनसे मिले।

दरअसल जागेश्वर राम और मुख्यमंत्री श्री साय के बीच आत्मीयता की जो कड़ी जुड़ी, वो प्रदेश की अति पिछड़ी जनजाति मानी जाने वाली बिरहोर जनजाति की वजह से जुड़ पाई। जागेश्वर, महकुल यादव जाति से आते हैं। अपने युवावस्था के दिनों में जब पहली बार वे बिरहोर जनजाति के संपर्क में आये तो इस विशेष पिछड़ी जनजाति की बेहद खराब स्थिति ने उन्हें बेहद दुखी कर दिया। वे शेष दुनिया से कटे थे। शिक्षा नहीं थी, वे झोपड़ियों में रहते थे। स्वास्थ्य सुविधा का अभाव था।

उन्होंने संकल्प लिया कि अपना पूरा जीवन बिरहोर जनजाति के बेहतरी में लगाऊंगा। यह बहुत बड़ा मिशन था और इसके लिए उन्होंने अपनी ही तरह के संवेदनशील लोगों से संपर्क आरंभ किया। इसके चलते वे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री एवं तत्कालीन सांसद श्री विष्णु देव साय के संपर्क में आये। श्री राम ने उनके समक्ष इस जनजाति के विकास के लिए योजना रखी।

उन्होंने उन्हें पूरे सहयोग के लिए आश्वस्त किया। इसके बाद श्री विष्णु देव साय के सहयोग से भीतघरा और धरमजयगढ़ में आश्रम खोले। शुरूआत में ऐसी स्थिति थी कि लोग आश्रम से अपने बच्चों को घर ले जाते थे लेकिन जब आश्रम में पहली पीढ़ी के बच्चे पढ़कर निकले और उनके जीवन में सुखद बदलाव आये तो बिरहोरों ने अपने बच्चों को यहां भेजना शुरू किया। इस गौरवमयी उपलब्धि के लिए राज्य अलंकरण समारोह में श्री जागेश्वर यादव को शहीद वीर नारायण सिंह पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

खाट-पलंग की व्यवस्था की थी श्री साय ने-श्री जागेश्वर राम ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री साय ने सांसद रहते बिरहोर जनजाति के दुखदर्द को समझा। वे झोपड़ियों में सर्द रातें बिना खाट के गुजारते थे। श्री साय ने उनके लिए खाट-पलंग की व्यवस्था की। वे 1980 से ही उनके साथ हैं और पहाड़ी कोरवा तथा बिरहोर जनजाति के इलाकों में जब भी दौरे पर जाते हैं जागेश्वर यादव को अपने साथ ही रखते हैं।

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