Pradosh Vrat , Pradosh Vrat 2023: हर महीने में 2 प्रदोष व्रत रखे जाते हैं. यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर पड़ता है. प्रदोष व्रत में मान्यतानुसार भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा की जाती है और माना जाता है कि जो भक्त पूरे श्रद्धाभाव से व्रत रखते हैं और शिव पूजा करते हैं उनपर भोलेनाथ अपनी कृपादृष्टि बनाए रखते हैं.
प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल (Pradosh Kaal) में की जाती है. जीवन से कष्टों की मुक्ति पाने की इच्छा रखने वाले भक्त इस व्रत को रखते हैं.
पंचांग के अनुसार, अक्टूबर महीने का पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर 11 अक्टूबर, बुधवार के दिन रखा जाएगा. बुधवार के दिन पड़ने के चलते इसे बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) भी कहते हैं. मान्यताओं के अनुसार, बुधवार के दिन को भगवान गणेश का दिन भी कहा जा सकता है जिस चलते इस दिन भगवान गणेश की पूजा भी की जा सकती है.
वहीं, प्रदोष व्रत में भोलेनाथ के साथ-साथ माता पार्वती की भी पूजा होती है.
शिव पूजा (Shiv Puja) के लिए प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल को अति उत्तम माना जाता है. आश्विन कृष्ण त्रयोदशी तिथि 11 अक्टूबर शाम 5 बजकर 37 मिनट से अगले दिन 12 अक्टूबर शाम 7 बजकर 53 मिनट तक रहेगी.
प्रदोष काल 11 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 56 मिनट से 8 बजकर 25 मिनट तक रहने वाला है. इस चलते इस मुहूर्त में पूजा-पाठ किया जा सकता है.
प्रदोष व्रत के दिन मान्यतानुसार पूजा की जाए तो भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हो सकते हैं. प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान पश्चात व्रत का संकल्प लिया जाता है. भक्त शाम के समय प्रदोष व्रत की पूजा करते हैं लेकिन सुबह शिव मंदिर के दर्शन कर आते हैं. शाम को पूजा करने के लिए बेलपत्र, अक्षत, दीपक, गंगाजल और धूप आदि पूजा सामग्री के रूप में सम्मिलित किए जाते हैं. इसके अलावा, शिवलिंग पर जलाभिषेक कर शिव मंत्रों (Shiv Mantra) का जाप होता है. (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. CGWALLइसकी पुष्टि नहीं करता है.
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