Rajasthan Government Job Exam Fees Hike: राजस्थान में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे लाखों युवाओं के लिए एक चिंताजनक खबर है। राज्य सरकार परीक्षा फॉर्म के लिए फिर से फीस लेने की तैयारी कर रही है। इससे लगभग 40 लाख बेरोजगार युवाओं पर आर्थिक बोझ पड़ सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा शुरू की गई “वन टाइम रजिस्ट्रेशन फीस” व्यवस्था को खत्म करने का प्रस्ताव सरकार के पास है। इस फैसले से युवाओं में निराशा है।
पहले, गहलोत सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में एक राहत भरा कदम उठाते हुए “वन टाइम रजिस्ट्रेशन फीस” का नियम लागू किया था। इस नियम के तहत, उम्मीदवारों को केवल एक बार पंजीकरण शुल्क देना होता था और वे भविष्य में किसी भी भर्ती परीक्षा के लिए बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के आवेदन कर सकते थे। इससे बेरोजगार युवाओं को आर्थिक राहत मिली थी और वे बिना किसी हिचकिचाहट के विभिन्न परीक्षाओं में आवेदन कर पा रहे थे। यह नियम युवाओं के लिए एक वरदान साबित हुआ था।
लेकिन, अब वर्तमान भजनलाल सरकार का तर्क है कि इस नियम से सरकारी खजाने पर बहुत ज्यादा बोझ पड़ रहा है। राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड (RSMSSB) और राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के अधिकारियों का कहना है कि बहुत से उम्मीदवार फॉर्म भरते तो हैं, लेकिन परीक्षा में शामिल नहीं होते। इससे सरकार को प्रति परीक्षार्थी लगभग 600 रुपये का नुकसान होता है, क्योंकि लगभग 60% परीक्षार्थी परीक्षा हॉल में उपस्थित ही नहीं होते।
अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को प्रत्येक परीक्षा के लिए 200 रुपये और सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को 300 रुपये परीक्षा शुल्क देना होगा। कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष आलोक राज का कहना है कि मुफ्त आवेदन सुविधा के कारण कई उम्मीदवार एक साथ कई भर्तियों के लिए आवेदन कर देते हैं, लेकिन परीक्षा में शामिल नहीं होते। इससे सरकारी संसाधनों की बर्बादी होती है।
वर्ग | वर्तमान शुल्क (वन टाइम) | प्रस्तावित शुल्क (प्रति परीक्षा) |
---|---|---|
आरक्षित वर्ग | एक बार | ₹200 |
सामान्य वर्ग | एक बार | ₹300 |
यह फैसला बेरोजगार युवाओं के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। बढ़ती महंगाई के दौर में, नौकरी की तलाश में पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे युवाओं पर परीक्षा शुल्क का अतिरिक्त बोझ पड़ना उनके लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है। सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और बेरोजगार युवाओं के हितों को ध्यान में रखते हुए कोई संतुलित रास्ता निकालना चाहिए। क्या यह फैसला वाकई में युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है?
अब देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या फैसला लेती है और क्या बेरोजगार युवाओं की आवाज सुनी जाती है।