Ravi Pradosh Vrat 2024, Ravi Pradosh Vrat Mein Konsi Katha Kare: हिंदू पंचांग के हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव की पूजा के लिए रखे जाना वाला प्रदोष व्रत बहुत पुण्यकारी होते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने पर भगवान शिव सभी मनचाही इच्छा पूरी करते हैं. 5 मई रविवार यानी आज वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की प्रदोष व्रत किया जाएगा. रवि प्रदोष व्रत से कई पौराणिक कथा जुड़ी हुई हैं और व्रत के दिन इन कथा को पढ़ना बेहद शुभ माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जो इस कथा को पढ़ता है, भोलेनाथ उससे प्रसन्न होते हैं.
Ravi Pradosh Vrat 2024, Ravi Pradosh Vrat Mein Konsi Katha Kare:धर्म शास्त्रों के अनुसार, प्राचीन काल में माता पार्वती, मां लक्ष्मी सहित कई देवियों ने प्रदोष व्रत का पालन किया था. इस व्रत के पुण्य से धन, सुख, सुविधाएं, संपत्ति, सफलता, संपन्नता और समृद्धि की प्राप्ति होती है. रवि प्रदोष व्रत में भगवान शिव और सूर्य देव का प्रभाव रहता है.
इस दिन किए गए सभी कार्य, व्रत और पूजा सफलता दिलाते हैं. जो लोग प्रदोष व्रत करते हैं वे इस दिन पूजा में नीचे दी गई व्रत कथा को जरूर पढ़ें, इसके बिना पूजा अधूरी मानी गई है. आइए जानें रवि प्रदोष व्रत कथा और शुभ मुहूर्त.
Ravi Pradosh Vrat 2024, Ravi Pradosh Vrat Mein Konsi Katha Kare: एक पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक गरीब पुजारी था. बीमारी और तंगी के कारण उस पुजारी की मृत्यु हो जाती है. पुजारी की मौत के बाद उसकी विधवा पत्नी अपने इकलौते बेटे के साथ भीख मांगकर जीवन यापन करती थी. एक दिन उस विधवा स्त्री की मुलाकात विदर्भ देश के एक राजकुमार से हुई. वह राजकुमार अपने पिता की मृत्यु के बाद निराश होकर इधर-उधर भटक रहा था. पुजारी की पत्नी को उसे देख उसपर दया आई और वह उसे अपने साथ अपने घर आई और पुत्र की तरह उसे रखने लगी. एक बार पुजारी की पत्नी दोनों बेटों के साथ ऋषि शांडिल्य के आश्रम में गई. वहां उसने प्रदोष व्रत की कथा सुनी और घर आकर उसने प्रदोष व्रत रखना शुरू कर दिया.
एक दिन पुजारी के पत्नी के दोनों बालक जंगल में घूम रहे थे. पुजारी का बेटा घर लौट आया लेकिन वह राजकुमार जंगल में गंधर्व कन्या से मिला और उसके साथ समय बिताने लगा. उस कन्या का नाम अंशुमति था. फिर अगले दिन भी राजकुमार उसी स्थान पर पहुंचा. वहां पर अंशुमति के माता-पिता ने उसे पहचान लिया और उससे अपनी पुत्री के साथ विवाह रचाने की इच्छा प्रकट की. राजकुमार ने इस विवाह को स्वीकार कर लिया और दोनों का विवाह हो गया.
Ravi Pradosh Vrat 2024, Ravi Pradosh Vrat Mein Konsi Katha Kare:आगे चलकर राजकुमार ने गंधर्वों की विशाल सेना के साथ विदर्भ पर आक्रमण कर दिया. युद्ध जीतने के बाद राजकुमार पूरे विदर्भ का राजा बन गया. उसने पुजारी की पत्नी और उसके बेटे को भी राजमहल में रहने के लिए बुला लिया. अंशुमति ने राजकुमार से इस सफलता का राज पूछा तो राजकुमार ने उसे प्रदोष व्रत के बारे में बताया. इसके बाद अंशुमति ने भी प्रदोष का व्रतरखना शुरू कर दिया. इस प्रकार इस व्रत को करने से लोगों के जीवन में सुखद बदलाव आते हैं.
प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव की षोडषोपचार से पूजा करनी चाहिए. इसके बाद दिन में सिर्फ फलाहार कर प्रदोषकाल में भगवान शिव का अभिषेक करें और पूजा करके व्रत का पारण करना चाहिए.
इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं. इस दिन भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं. इसके साथ ही सभी कार्यों में सफलता मिलती है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को सिंदूर, हल्दी, केतकी, तुलसी और नारियल का पानी बिल्कुल नहीं चढ़ाना चाहिए. प्रदोष व्रत वाले दिन महिलाओं को शिवलिंग को छूना नहीं चाहिए.Ravi Pradosh Vrat 2024