सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कांशेसनेस’ (इस्कान) कोलकाता के अधिकारियों ने इस्कान, बेंगलुरु के उच्च पदाधिकारियों के खिलाफ तुच्छ, गैरजिम्मेदार और बेसिर-पैर का बस चोरी का केस दायर किया है।
सर्वोच्च अदालत ने निजी दुश्मनी के लिए कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने पर कोलकाता के इस्कान अधिकारियों को फटकार भी लगाई है। साथ ही मामले को खारिज कर दिया है।
इस्कान के कोलकाता के अधिकारियों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए सोमवार को जस्टिस अजय रस्तोगी और बेला एम.त्रिवेदी की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए क्योंकि यह लोग खुद को वैश्विक धर्मगुरु बुलाते हैं और अपने अहम की तुष्टि के लिए निजी दुश्मनी निकाल रहे हैं।
खंडपीठ ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं की आठ सालों की देरी के बाद कोलकाता, इस्कान का केस दर्ज करना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। अदालत ने कहा कि इस्कान बेंगलुरु के प्रेसिडेंट और वाइस प्रेसिडेंट के खिलाफ लगाए गए आक्षेप बेतुके और विचित्र हैं।
मालूम हो कि 30 सितंबर, 2006 में इस्कान, कोलकाता के ब्रांच मैनेजर ने कोलकाता के बालीगुंजे पुलिस स्टेशन में वर्ष 2001 में एक बस के चोरी होने की शिकायत दर्ज कराई थी। कोलकाता के अधिकारियों ने यह भी दावा किया कि चोरी हुई बस इस्कान, बेंगलुरु के प्रेसिडेंट मधु पंडित दास के अवैध कब्जे में है।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस्कान कोलकाता के प्रेसिडेंट अद्रिधरन दास ने मधु पंडित दास के साथ साजिश करके बस को चुराया और बेंगलुरु ले गए।
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