Supreme court ने किसी आपराधिक मामले में दोषसिद्धि या दोषमुक्ति के न्यायिक निर्धारण में देरी को कम करने के लिए किसी अपील में इजाजत मिलते ही हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड की सॉफ्ट कॉपी तुरंत मंगाने की प्रथा पर जोर दिया है।
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और उज्ज्वल भुइयां की खंडपीठ ने हाल ही में पारित आदेश में कहा, “हमारी राय में जब भी दोषसिद्धि के आदेश या दोषमुक्ति के आदेश को चुनौती देने वाली अपील में अनुमति दी जाती है, तो तुरंत उच्च न्यायालय और अदालत के रिकॉर्ड की सॉफ्ट कॉपी मंगाने की प्रथा होनी चाहिए।
ट्रायल कोर्ट इसे सिस्टम पर अपलोड करने के लिए; और पक्षों का प्रतिनिधित्व करने वाले विद्वान वकील को उसकी सॉफ्ट कॉपी प्रदान करें।”
पीठ ने कहा कि बड़ी संख्या में अपीलों की सुनवाई में देरी हो जाती है, क्योंकि जब तक शीर्ष अदालत का इस आशय का कोई आदेश न हो तब तक रिकॉर्ड नहीं मांगा जाता है।
बेंच ने आगे कहा, “यह उचित होगा, यदि रजिस्ट्रार (न्यायिक) भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश से उचित प्रशासनिक निर्देश मांगे, ताकि रजिस्ट्री छुट्टी दिए जाने के तुरंत बाद उच्च न्यायालय और ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड की सॉफ्ट कॉपी मंगवाए।“
पिछले हफ्ते, शीर्ष अदालत दोषसिद्धि के आदेश को चुनौती देने वाली एक आपराधिक अपील पर सुनवाई कर रही थी, लेकिन मामले को स्थगित करने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि सभी बयान रिकॉर्ड पर नहीं थे।
रजिस्ट्री को तुरंत रिकॉर्ड मंगाने का आदेश देते हुए उसने आपराधिक अपील पर सुनवाई 3 अप्रैल को को होनी तय कर दी।