Vaishakha Amavasya 2024 Date- हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि का विशेष महत्व माना जाता है. हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के बाद यानी अगले दिन अमावस्या तिथि आती है. इस तिथि पर पितरों की पूजा और तर्पण करने के विधान है. साथ ही इस दिन पितरों का श्राद्ध भी किया जाता है.
Vaishakha Amavasya 2024 Date/धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से पितर अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. इस बार वैशाख अमावस्या की डेट को लेकर बहुत कंफ्यूजन बनी हुई है. कुछ लोग वैशाख अमावस्या 8 मई को बता रहे हैं, जबकि कुछ लोग वैशाख अमावस्या 9 मई को मनाई जाने की बात कह रहे हैं. आइए इस लेख में हिंदू पंचांग के अनुसार आपकी ये कंफ्यूजन दूर करेंगे और बताएंगे कि वैशाख अमावस्या किस तारीख को मनाई जाएगी.
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख के माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 7 मई को सुबह 11 बजकर 40 मिनट से शुरू होगी और इस तिथि का समापन 8 मई को सुबह 8 बजकर 51 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार वैशाख अमावस्या 8 मई 2024 को मनाई जाएगी.Vaishakha Amavasya 2024 Date
वैशाख अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और देवी-देवताओं के ध्यान से दिन की शुरुआत करें. इसके बाद किसी पवित्र नदी या फिर घर में ही स्नान करें. इसके बाद सूर्यदेव को जल अर्घ्य दें और पितरों का तर्पण करें. इसके अलावा, इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास रखें और पितरों के मंत्रो का जाप करें. आखिर में अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य अनुसार गरीबों को दान करें.
Vaishakha Amavasya 2024 Date/पंचांग के मुताबिक पितृ संबंधित कार्यों के लिए 7 मई का दिन शुभ रहेगा, क्योंकि पितृ क्रम उस अमावस्या तिथि में किया जाता है जिसमें दोपहर के समय अमावस्या तिथि प्रभावी होती है. वहीं, अमावस्या का स्नान, दान और पूजा से संबंधित कार्य 8 तारीख को किया जाएगा, क्योंकि, 8 तारीख को उदया तिथि में अमावस्या तिथि वर्तमान रहेगी. इसलिए 8 तारीख को देव कर्म किए जाएंगे.
वैशाख अमावस्या पर स्नान-दान 8 मई को किया जाएगा. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4: 10 मिनट से 4: 52 मिनट तक अमावस्या तिथि का स्नान किया जा सकता है. वहीं, दान पुण्य के कार्य लाभ चौघड़िया में सुबह 5: 34 मिनट से 7: 15 मिनट तक करना शुभ फलदायी रहेगा.Vaishakha Amavasya 2024 Date
1. ॐ पितृ देवतायै नम:
2. ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।
3. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च
नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
4. गोत्रे अस्मतपिता (पितर का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम
गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।