बिलासपुर—करीब दो महीने पहले अंधी मां के आखों का तारा रोशन ध्रुव की लाश तुर्काडीह में लावारीश हालत में खेत में मिली। मां बाप को आठ जून को जानकारी मिली कि युवक की मौत हो गयी है। सात जून की देर रात्रि पुलिस से बचने के लिए भागते समय उसने खेत में दम तोड़ा है। तब से आज तक परिजनों की गुहार है कि यदि रोशन की मौत भागने और अत्यधिक शराब पीने से हुई है तो उसके शरीर के एक एक हिस्से में गंभीर चोट कैसे पहुंची। आज कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर रोशन की अंधी मां और बहन ने कलेक्टर से न्याय की मांग की है। साथ ही कोनी पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया है। परिजनों का आरोप है कि हत्या के पीछे राज्यपाल से बर्खास्त एक पुलिस कर्मचारी का हाथ जिसे पिछली सरकार ने बहाल किया था। मामले में यदि जांच हो तो दूध और पानी अलग हो जाएंगा।
पुलिस की जुबानी हत्या की कहानी
रोशन जानकारी देते चलें कि आज से ठीक दो महीने पहले आठ जून को पुलिस प्रेस नोट जारी कर बताती है कि तुर्काडीह पुल के पास शराब पीकर और लेकर भागते तीन मोटरसायकल सवार का पीछा किया गया। 27 मई रात्रि करीब डेढ़ बजे दोनो सवार को पुलिस ने रोका। इसी दौरान एक युवक पुलिस से बचकर खेत की तरफ भागा। और पीछा करने के दौरान गिरकर रोशन ध्रुव की मौत हो गयी ।लेकिन उसके साथी को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार साथी ने बताया कि हम लोगों ने ढाबा में शारब का सेवन किया। और पुलिस को देखकर भागने लगे। वह तो पकड़ा गया..लेकिन रोशन की भागते समय मौत हो गयी। फिर पोस्टमार्टम कराया। रिपोर्ट में बताया गया कि अत्यधिक शराब पीने से रोशन की मौत हुई है।
रतनपुर से लौटते समय पीछा कर मारा गया
मौत के बाद परिजनों का आरोप है कि पुलिस वालों ने रोशन की हत्या की है। जबकि रोशन अपने साथियों के साथ रतनपुर काम से गया था। देर रात्रि करीब डेढ़ बजे घर लौट रहा था। इसके पहले ढाबा में भी रूका। इसी दौरान कोनी पुलिस की पेट्रोलिंग पार्टी सकरी से फरार बुलेट सवार दो व्यक्तियों को तलाश करते पहंची। ढाब वाले ने बताया कि बुलेट सवार युवक तुर्काडीह की तरफ गए है। जानकारी के बाद गश्ती टीम ने पीछा कर मोटरसायकल सवार रोशन और उसके साथी को रोका।
मौके पर पहुंचते ही पुलिस वालों ने मारपीट करना शुरू कर दिया। सुबह पुलिस वालों ने बताया कि रोशन की मौत शराब पीने और भागते समय खेत में हो गयी है।
न्याय न्याय और सिर्फ न्याय चाहिए
कलेक्टर कार्यालय घेराव करने पहुंचे मृतक रोशन की मां,बहन और और समाजसेविका ने युवक की मौत को पुलिस का स्क्रिप्ट बताया। रोशन की मां सुखिया बाई ने बताया कि उसका बेटा शराब नहीं पीता है। वह तो रतनपुर काम से गया था। पुलिस वालों ने किसी दूसरे युवक के धोखे में मेरे बेटे को इतना मारा कि उसकी मौत हो गयी। उसके शरीर का ऐसा कौई हिस्सा नहीं बचा जहां पुलिस वालों की मारपीट का निशान ना हो। वह अंधी है..घर का पेट भरने वाला बेटा मर गया। उसे न्याय चाहिए..जिसने मेरे बेटे को मारा उसे जेल होनी चाहिए।
मौत के बाद भाई बना हिस्ट्रीशीटर
रोशन की बहन रोशन ध्रुव ने बताया कि मरने तक भेया का कोई अपराधिक रिकार्ड नहीं था। लेकिन उसे पुलिस वालों ने पहले जान से मारा। इसके बाद उसे हिस्ट्रीशीटर बना दिया। इतना मारा कि उसने दम तोड़ दिया। इसके बाद उसे पुलिस वालों ने खेत में लिटाया। सोची समझी रणनीति के तहत सुबह लाश ढूढकर मृत घोषित कर दिया।
पुलिस स्क्रिप्ट मे लोचा का आरोप
समाज सेविका प्रतिभा दास ने कहा कि रोशन की मौत बेगुनाह परिवार को बहुत बड़ी सजा है। हमने मौके पर जाकर मुआयना किया। चप्पल पुल के पास मिला। समझने वाली बात है कि नशे की हालत में शऱाबी अपना शरीर नहीं संभाल सकता है। लेकिन पुलिस स्क्रिप्ट के अनुसार रोशन पतले मे़ड़ से इतना तेज भागा कि खेत में गिरकर मौत हो गयी। प्रतिभा दास ने आरोप लगाया दरअसल पुलिस वालों ने रोशन को पहले तो जमकर मारा..शरीर के चमड़े निकाल दिए। जब मर गया तो लाश को खेत में लिटा दिया। ऐसा लिटाया जैसे रोशन सो रहा है।
आखिर पुलिस क्या छिपा रही
प्रतिभा ने यह भी आरोप लगाय कि पोस्टमार्टम से पहले परिजनों से अनुमति नहीं ली गयी। हमने जब वीडियो बनाने शुरू किया तो पुलिस वालों ने रोक दिया। आखिर क्यों….? फोटो में देखा जा सकता है कि रोशन के शरीर पर कितना चोट है। ऐसी चोट तो सिर्फ दुश्मनी भरे मारपीट में ही पहुंचती है। अंतिम क्रिया कर्म के शव को पुलिस वालों ने ऐसा घेरा कि जैसे किसी मंत्री या व्हीआईपी का अंतिम संस्कार हो रहा है। आखिर इतनी सावधानी क्यों…। सिर्फ इसलिए कि किसी पत्रकार की नजर रोशन के शरीर पर ना पड़े।
रोशन को किसने मारा
बहरहाल रोशन के परिजन अब ना केवल पेट की भूख के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। बल्कि न्याय के लिए तरस खा रहे हैं।आज कलेक्टर का घेराव कर हमने जांच की मांग की है। प्रतिभा ने यह भी बताया कि जब हमने कलेक्टर के सामन प्रदर्शन का एलान किया तो कोनी थाना के तीन पुलिस जवान घर पहुंच गये। पुलिस ने धमकी दी कि यदि प्रदर्शन किया तो अंजाम बुरा होगा। सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है। लेकिन इतना तो निश्चित है कि आदिवासी युवक की मौत को लेकर अंतिम दम तक लड़ेंगे। हमारा सिस्टम को बताना पड़ेगा कि आदिवासी युवक की मौत पुलिस अत्याचार के कारण हुई है…या जो पुलिस कह रही है वह सही है।