भारत में बैंक एफडी (Bank FD) निवेश का एक लोकप्रिय विकल्प है। अगर आप ऐसे निवेशक हैं जो बिल्कुल भी जोखिम नहीं लेना चाहते हैं तो एफडी निवेश का एक अच्छा विकल्प हो सकता है। मौजूदा समय में आरबीआई की ओर से रेपो रेट बढ़ाने के बाद एफडी पर ब्याज बढ़कर औसत सात प्रतिशत हो गया है, जो कि एक साल पहले करीब पांच प्रतिशत था।
अप्रैल की शुरुआत में जारी मोनेटरी पालिसी में केंद्रीय बैंक द्वारा रेपो रेट को नहीं बढ़ाया गया है। इसके बाद आंशका जताई जा रही है कि एफडी की ब्याज दरों में बढ़ोतरी अब थम या फिर रफ्तार धीमी हो सकती है।
आज हम अपनी इस रिपोर्ट में एफडी
से जुड़ी एक ऐसी स्ट्रेटेजी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे आप अपने रिटर्न को बढ़ा सकते हैं। इसे लैडरिंग स्ट्रेटेजी कहा जाता है। आइए जानते हैं इसके बारे में …
एफडी लैडरिंग एक स्ट्रेटेजी है। इसमें आप एफडी में किए जाने वाले निवेश को छोटे-छोटे भागों में बांटते हैं और अलग-अलग अवधि और ब्याज दर पर एफडी कराते हैं। इसका फायदा यह होता है कि इससे आपको लिक्विडिटी के साथ -साथ भविष्य में अधिक ब्याज दर पर निवेश करने का फायदा मिलता है।
पोर्टफोलियो में भिन्नता- एफडी लैडरिंग बड़ा फायदा यह है कि इसके जरिए आप अपने पोर्टफोलियो में आसानी से भिन्नता ला पाते हैं और आपको ब्याज दर में उतार-चढ़ाव होने का पूरा फायदा मिलता है।
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