भारत में गरीबी पर पूछे गए सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि विश्व के कई हिस्सों में रोज़गार की समस्या गंभीर है, खासकर पश्चिमी देशों और भारत में। लेकिन कुछ देश ऐसे भी हैं जहां यह समस्या नहीं है। चीन और वियतनाम जैसे देश निश्चित रूप से इस चुनौती का सामना नहीं कर रहे हैं। इसका एक मुख्य कारण उत्पादन का केंद्रीकरण है। अगर हम 1940, 50 और 60 के दशक के अमेरिका को देखें, तो वह वैश्विक उत्पादन का केंद्र था। उस समय हर वस्तु, चाहे कार हो, वॉशिंग मशीन हो या टीवी, सब कुछ अमेरिका में ही बनता था, लेकिन धीरे-धीरे उत्पादन अमेरिका से कोरिया, जापान और फिर अंततः चीन की ओर स्थानांतरित हो गया।
राहुल गांधी ने कहा कि आज, चीन वैश्विक उत्पादन में सबसे आगे है. अमेरिका, यूरोप और भारत ने उत्पादन के विचार को छोड़ दिया और इसे चीन को सौंप दिया। उत्पादन का कार्य रोज़गार उत्पन्न करता है, लेकिन अब पश्चिमी देश और भारत केवल उपभोग को संगठित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। भारत को उत्पादन के विचार को फिर से समझने की जरूरत है। भारत में कुछ चुनिंदा लोगों को ही बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स और डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट दिए जाते हैं। उन्होंने कहा, “सिर्फ एक या दो लोगों को सारे पोर्ट्स और डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट्स सौंपे जा रहे हैं, जिसकी वजह से भारत में मेनुफैक्चरिंग सेक्टर की हालत खराब है।
RSS पर हमला बोला
कांग्रेस नेता ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि RSS का मानना है कि भारत एक विचार है। हमारा मानना है कि भारत बहुत सारे विचारों से मिलकर बना है। हमारा मानना है कि हर किसी को सपने देखने की इजाजत मिले, बिना किसी की परवाह के। बिना उसका धर्म, रंग देखे बिना मौके मिलें। चुनाव में भारत के लाखों लोगों को साफ तौर से पता चला कि प्रधानमंत्री संविधान पर हमला कर रहे थे। मैं जो बाते कर रहा हूं वह संविधान में है। राज्यों का संघ, भाषा का सम्मान, धर्म का सम्मान।’
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रत जोड़ो यात्रा का आइडिया कहां से आया
उन्हें भारत जोड़ो यात्रा का आइडिया कहां से आया। उन्होंने इसकी शुरुआत कैसे की। इन सभी सवालों का जवाब उन्होंने अपनी अमेरिका की यात्रा पर दिया। उन्होंने छात्रों को संबोधित भी किया. अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि भारत जोड़ो का आइडिया कहां से आया। उन्होंने यह भी बताया कि आखिर उन्हें भारत जोड़ो यात्रा शुरू करने की जरूरत क्यों पड़ी। राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा, ‘पहला सवाल जो आपने पूछा, वह यह है कि मैं चार हजार किलोमीटर पैदल क्यों चला, हमें ऐसा करने की क्यों जरूरत पड़ी? इसका कारण यह है कि भारत में हम जो भी कम्युनिकेशन करना चाहते थे, उसे अवरुद्ध कर दिया गया था। हमने संसद में बात की, लेकिन उसका टेलीविजन पर प्रसारण नहीं हुआ। हम मीडिया के पास गए, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी। हमने कानूनी व्यवस्था के सामने दस्तावेज भी पेश किए, लेकिन कुछ नहीं हुआ, तो, सारे रास्ते बंद हो गए, और लंबे समय तक हम समझ ही नहीं पाए कि संवाद कैसे करें।
अगर मीडिया आम लोगों तक नहीं पहुंच रहा है और संस्थाएं हमें लोगों से नहीं जोड़ रही हैं, तो सीधे उनके पास जाएं। ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका था, पूरे देश में पैदल चलना. और इसलिए, हमने यही किया। मैं आपको बता दूं, शुरुआत में मुझे घुटने में तकलीफ थी। पहले 3-4 दिनों तक, मैंने सोचा, मैंने क्या कर दिया? क्योंकि जब आप सुबह उठते हैं और कहते हैं, मैं 10 किलोमीटर दौड़ूंगा, तो यह ठीक है. लेकिन जब आप उठते हैं और कहते हैं, मैं 4,000 किलोमीटर चलूंगा, तो यह पूरी तरह से अलग लक्ष्य है।
संसद को बताया विचारों का युद्धक्षेत्र
छात्रों से संवाद के दौरान राहुल गांधी ने संसद में विपक्ष की भूमिका और राजनीति में सुनने की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “सुनना बोलने से ज्यादा जरूरी है, क्योंकि सुनने से आप लोगों को बेहतर समझ पाते हैं। हर मुद्दे को उठाना जरूरी नहीं है, बल्कि उन मूलभूत मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए जो जनता के जीवन को प्रभावित करते हैं। राहुल गांधी ने विपक्ष की जिम्मेदारियों पर चर्चा करते हुए कहा, “विपक्ष जनता की आवाज़ है. आपकी जिम्मेदारी होती है कि आप सोच-समझकर उन मुद्दों को उठाएं जो भारत के लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह काम आपको व्यक्तिगत दृष्टिकोण से नहीं बल्कि उद्योगों और किसानों जैसे समूहों के नजरिए से भी करना होता है।
संसद के कामकाज का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “जब आप संसद पहुंचते हैं, तो यह एक युद्धक्षेत्र की तरह होता है, जहां आप विचारों और शब्दों की लड़ाई लड़ते हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सब समझदारी और संवेदनशीलता से किया जाए।
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